Home लघुकथा ईश्वर और किसान

ईश्वर और किसान

2 second read
0
0
431

ईश्वर और किसान

ईश्वर एक बार एक किसान से मिले. उससे उसके दुख-दर्द पूछने लगे. उसने कुछ बताए कुछ नहीं बताए.

शाम, रात में बदल रही थी. उसके यहां भोजन बन चुका था. किसान ने कहा – ‘आइए भोजन कीजिए. पत्नी ने आपकी थाली भी तैयार कर दी है.’

मेथी की भाजी और मक्के की रोटी की सुगंध भूख बढ़ाने वाली थी. ईश्वर ने संकोच में भूख न होने का बहाना किया लेकिन किसान का आग्रह ऐसा था कि ईश्वर पिघल गए, मगर पिघलते-पिघलते उन्हें ख्याल आया कि धरती पर भेजते समय उन्हें किसानों-मजदूरों के घर खाना न खाने की खास हिदायत दी गई थी.

उनसे कहा गया था कि अगर उन्होंने किसानों-मजदूरों के घर खाना खाया तो उनमें दुनिया को बदलने की भावना पैदा हो जाएगी. यह काम लंबा है और यह काम ईश्वर का है भी नहीं, इसलिए वह इस चक्कर में न पड़ें.

ईश्वर ने फिर से खाने से इंकार किया तो किसान ने कहा – ‘अन्न का कभी अपमान नहीं किया करते. अन्न का अपमान ईश्वर का अपमान होता है.’

ईश्वर ने अपना अपमान होने दिया मगर खाना जमींदार के यहां ही खाया.

  • विष्णु नागर
    (1997 में प्रकाशित ‘ईश्वर की कहानियां’ से)

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • देश सेवा

    किसी देश में दो नेता रहते थे. एक बड़ा नेता था और एक छोटा नेता था. दोनों में बड़ा प्रेम था.…
  • अवध का एक गायक और एक नवाब

    उर्दू के विख्यात लेखक अब्दुल हलीम शरर की एक किताब ‘गुज़िश्ता लखनऊ’ है, जो हिंदी…
  • फकीर

    एक राज्य का राजा मर गया. अब समस्या आ गई कि नया राजा कौन हो ? तभी महल के बाहर से एक फ़क़ीर …
Load More In लघुकथा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

ठगों का देश भारत : ठग अडानी के खिलाफ अमेरिकी कोर्ट सख्त, दुनिया भर में भारत की किरकिरी

भारत में विकास के साथ गटर होना बहुत जरूरी है. आपको अपने पैदा किए कचरे की सड़ांध बराबर आनी …