Home गेस्ट ब्लॉग गैंगस्टर कैपिटलिज्म : अडाणी एक सबक हैं, भारत की भावी राजनीति और आने वाली पीढ़ियों के लिये

गैंगस्टर कैपिटलिज्म : अडाणी एक सबक हैं, भारत की भावी राजनीति और आने वाली पीढ़ियों के लिये

7 second read
0
0
357
गैंगस्टर कैपिटलिज्म : अडाणी एक सबक हैं, भारत की भावी राजनीति और आने वाली पीढ़ियों के लिये,
गैंगस्टर कैपिटलिज्म : अडाणी एक सबक हैं, भारत की भावी राजनीति और आने वाली पीढ़ियों के लिये (कार्टून : ‘टाईम्स’ के एक कार्टून के आधार पर)
हेमन्त कुमार झा, एसोसिएट प्रोफेसर, पाटलीपुत्र विश्वविद्यालय, पटना

जब कोरोना के विकट काल में सारे उद्योग-धंधे बंद पड़े थे, बाजार मुंह के बल गिरा था, लाखों-करोड़ों लोग रोजगार और भूख के संकट से दो-चार थे, भारत का एक उद्योगपति हर घण्टे 90 करोड़ रुपयों की कमाई कर रहा था. एक रिपोर्ट में बताया गया कि वह उद्योगपति एक घण्टे में जितना कमा रहा था, उतना कमाने के लिये किसी दैनिक वेतनभोगी कामगार को बिना बीमार पड़े 10 हजार वर्षों तक लगातार काम करना पड़ेगा. यह तब भी रहस्य था, यह आज भी रहस्य ही है कि सत्ता के निकट रहे किसी कारपोरेट की उस बेलगाम आमदनी का सैद्धांतिक आधार क्या था.

हालांकि, देश का झंडा इस गरीब कामगार ने भी बीते दिनों धूमधाम से आयोजित हुए ‘हर घर तिरंगा’ अभियान में थाम रखा था और जैसा कि लोगों ने देखा, बेलगाम आमदनी की सफाई देते उस पूंजीपति के किसी गुर्गे ने भी हाल में ही प्रेस को संबोधित करते हुए अपनी बाईं ओर टेबुल पर तिरंगा लगा रखा था. उस गुर्गे का तिरंगा लगा कर प्रेस को संबोधित करना बहुत सारे लोगों को सैमुअल जॉनसन की याद दिला गया जिन्होंने कभी कहा था, ‘राष्ट्रवाद लंपटों की अंतिम शरणस्थली है.’

1980 के दशक में अमेरिका में ‘रीगनोमिक्स’ की बड़ी चर्चा थी. रीगनोमिक्स, यानी तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के नेतृत्व में आक्रामक आर्थिक सुधारों, उग्र बाजारवाद और श्रमिक अधिकारों का कठोर दमन. अर्थशास्त्रियों के एक वर्ग ने तब कहा था, ‘यह इकोनॉमिक्स नहीं है, यह रीगनोमिक्स है.’ इकोनॉमिक्स एक शास्त्र है जिसका अंतिम उद्देश्य आर्थिक सिद्धांतों के सहारे मानवता को राह दिखाना है. रीगनोमिक्स एक कृत्रिम और प्रायोजित उपक्रम था, जिसका अंतिम उद्देश्य मानवता की छाती पर बाजार को चढ़ाना था.

नई सदी के दूसरे दशक में भारत ने ‘मोदीनोमिक्स’ का जलवा देखना शुरू किया. मोदीनोमिक्स, यानी सत्ता-संरचना और नीति निर्माण में कारपोरेट के निर्णायक प्रभावों से आकार लेती ऐसी आर्थिकी, जिसका अर्थशास्त्र और मानवता के मौलिक सिद्धांतों से बहुत अधिक वास्ता न हो. गौतम अडाणी इसी मोदीनोमिक्स के नायाब निष्कर्ष हैं. मतलब कि कोई बिजनेसमैन देखते-देखते महज कुछ ही वर्षों में अपनी मूल हैसियत से कई सौ गुना अधिक धनी हो गया और बड़े-बड़े अर्थशास्त्री यह समझने में नाकाम होने लगे कि ऐसा आर्थिक चमत्कार आखिर हो कैसे रहा है !

राजनीति, सत्ता, समाज और आर्थिकी के अनैतिक घालमेल और घोर सैद्धांतिक पतन से जो नया भारत जन्म लेता है, जो नया नायक जन्म लेता है, वह ऐसा ही होता है. बाजार का ऐसा नायक, जिसके अविश्वसनीय उत्थान को परिभाषित और व्याख्यायित करने में अर्थशास्त्र के छात्र अपने को अजीब से कुहासे में घिरा महसूस करें, मतलब कि न वे खुद इस कथा की गतिशीलता को समझ सकें, न दूसरों को समझा सकें. विशेषज्ञों के एक वर्ग ने इसे ‘गैंगस्टर कैपिटलिज्म’ कहा.

गैंगस्टर कैपिटलिज्म यानी मोदीनोमिक्स का एक खास अध्याय, जिसमें किसी खास अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को अपने किसी खास को सौंपने में अड़चन बन रहे लोगों पर जांच एजेंसियां लगा दी जाती हैं, विरोधियों के हौसलों पर सत्ता का कहर फूटने लगता है और फिर मनचाहे लोगों को मनमाने तरीके से सार्वजनिक संपत्तियां सौंप दी जाती हैं.

मोदीनोमिक्स के साये में पनपे गैंगस्टर कैपिटलिज्म में बाजार के जिस नायक के अविश्वसनीय उत्थान की कहानी दर्ज हुई उसकी परतें आज बेपर्दा हो रही हैं और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मीडिया इसका शीर्षक दे रहा है, ‘दुनिया के कारपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला.’

इस आईने में भारत के हालिया आर्थिक विकास के आंकड़े गहरे सन्देह पैदा करते हैं. ऐसे संदेह पहले से भी थे जिसमें विशेषज्ञों का एक वर्ग चेतावनी दे रहा था कि यह एकायामी विकास है, कि इसमें देश की जीडीपी का बड़ा हिस्सा कुछ खास लोगों की मुट्ठियों में कैद होता जा रहा है, कि देश की विकास दर के अनुपात में आम लोगों का आर्थिक विकास बहुत पीछे है, कि यह ऐसा विकास है जो रोजगार देने के मामले में बांझ साबित हो रहा है आदि-आदि.

रीगनोमिक्स, जो थैचरवाद का सहजात था, ने एक नई, पहले से अधिक अमानवीय दुनिया गढ़ने में बड़ी भूमिका निभाई. आज ब्रिटेन में थैचरवाद वैचारिक चुनौतियों से रूबरू है, यूरोप और अमेरिका में रीगनोमिक्स से जन्मी व्यवस्था के विरोध में सड़कों पर विरोध प्रदर्शनों का रेला नजर आने लगा है. फ्रांस के शहरों के चौराहे इन वैचारिक संघर्षों और जन प्रतिरोध के नवीनतम उदाहरण बन कर आजकल हमारे सामने हैं.

भारत भी करवट ले रहा है. लोग शंकित होने लगे हैं कि बाजार के नायकों की चमक के पीछे घोटालों की कैसी कथाएं चलती रही हैं. अडाणी एक सबक हैं, भारत की भावी राजनीति के लिये, आने वाली पीढ़ियों के लिये, अगर सबक लिया जा सके.

Read Also –

अडानी-मोदी क्रोनी कैपिटलिज़्म : यह कैसा राष्ट्रवाद है तुम्हारा ?
डॉन की तलाश 11 मुल्कों की सेबी और ’11 चौराहों की जनता’ कर रही है
अडानी अन्तर्राष्ट्रीय ड्रग माफिया है !
अडाणी की योजनाओं और प्रधानमंत्री के सपनों का अद्भुत मेल
एनडीटीवी पर अडानी का कब्जा : सूचना के स्रोतों पर अधिकाधिक कब्जा करने की जंग

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

जूलियन असांजे ने पत्रकारिता में क्रांति ला दी

डॉ. सुएलेट ड्रेफस के अनुसार, विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे 21वीं सदी की पत्रकारिता म…