बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने आज शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा को माओवादियों से कथित संपर्क मामले में बरी कर दिया और उन्हें तत्काल जेल से रिहा करने का आदेश दिया. लेकिन महाराष्ट्र की भाजपा सरकार इसके खिलाफ चंद घंटे के अंदर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई और उनकी रिहाई के खिलाफ अपील दायर कर दी, जबकि बिलकिस बानो के बलात्कारियों और दर्जनों लोगों के हत्यारों को न केवल रिहाई ही दी गई बल्कि मिठाई खिलाकर और माला पहनाकर स्वागत भी किया था.
देश भर में इसके खिलाफ आवाज बुलंद होने के बाद भी इन बलात्कारियों और हत्यारों के खिलाफ कोई भी कदम नहीं उठाया गया. इसके विपरीत देश के जाने माने प्रतिष्ठित अंग्रेजी के प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा, जो दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रह चुके हैं और 90% विकलांग भी हैं, की बाम्बे हाईकोर्ट के द्वारा दी गई रिहाई के आदेश के खिलाफ महाराष्ट्र की भाजपा सरकार चंद घंटे के भीतर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई.
जैसा कि सभी जानते हैं महाराष्ट्र की भाजपा सरकार में शिंदे एक कठपुतली से भी बदतर है, बल्कि यह कहा जाये कि वह भाजपा के एक गुलाम से अधिक कुछ भी नहीं है, फलतः महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बयान जारी करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा को कथित माओवादी संबंधों के मामले में बरी करने को ‘दुर्भाग्यपूर्ण और निराशाजनक’ बताया है. उसने कहा कि साईबाबा के खिलाफ काफी सबूत थे लेकिन उन्हें तकनीकी आधार पर बरी कर दिया गया जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है.
यह धूर्त फडणवीस माओवादियों के हमलों में मारे गए पुलिसकर्मियों के परिजनों का हवाला देते हुए कहा कि ‘उस पर पर क्या बीत रही होगी जो इसे सुन रहे होंगे’, गोया जब यह पुलिसकर्मी आदिवासियों और आम जनों की हत्या करते हैं तो उन आदिवासियों और आम जनों के परिजनों पर कुछ भी नहीं बीतता है ? इस फडणवीस ने यह नहीं बताया कि गुजरात में नरसंहार और बलात्कार को अंजाम देने वाले बलात्कारियों को मिठाई और फूलमाला पहना कर स्वागत करने से उन पीड़ित परिवार पर कुछ भी नहीं बीतता है ? साफ है केन्द्र और राज्य की भाजपा सरकार हत्यारों, बलात्कारियों और देश के लुटेरों के साथ है. उसकी हिफाजत करना ही उसका ध्येय है.
अब जब जी. एन. साईबाबा की तत्काल रिहाई के खिलाफ महाराष्ट्र की निर्लज्ज भाजपा सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है और सुप्रीम कोर्ट ने एक बार तो रिहाई को रोकने से इंकार किया, लेकिन संघी एजेंट और मोदी का तलबाचाटु मुख्य न्यायाधीश यू. यू. ललित इस मामले को सुनवाई हेतु कल शनिवार को ही लिस्टिंग कर लिया है. अब वह दल्ला क्या निर्णय देता है, यह किसी से छिपा हुआ नहीं है. निःसंदेह जी. एन. साईंबाबा के रिहाई के आदेश को रद्द.करेगा, ताकि जिस प्रकार उनके सह-अभियुक्त पाण्डु नरेटी की जेल में ही हत्या कर दी गई, बांकी सभी की हत्या कर दी जाये.
जी. एन. साईंबाबा के मामले की संघी सुप्रीम कोर्ट कल यानी शनिवार को सुनवाई करने का तिथि आननफानन में रखा है, जबकि न्यायाधीश चन्द्रचूड़ ने इसे सोमवार को लिस्टिंग करने के बारे में कहा था. परन्तु, आननफानन में शनिवार को ही सुनवाई का समय देकर संघी सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मंशा साफ कर दी है. सुप्रीम कोर्ट जितना ज्यादा जनविरोधी रुख अख्तियार करेगा, वह देश और देश की मेहनतकश जनता के सामने उतनी ही तेजी से नंगा होता जायेगा. वैसे ही दुनिया भर में भारत की पत्रकारिता की ही तरह सुप्रीम कोर्ट का साख भी नीचे गिर चुका है और उसके फैसलों को दुनिया में हिकारत की नजर से देखा जाने लगा है.
सुप्रीम कोर्ट अब केवल केन्द्र की मोदी सरकार का ऐजेंट है. जिसका काम उसको बचाने, उसकी सेवा करने, उसके पापों को धोने, उसके विरोधियों को खत्म करने का है. देश की मेहनतकश जनता जितनी ही जल्दी सुप्रीम कोर्ट के इस घृणास्पद चरित्र को पहचान लेगी और उसके जनविरोधी चरित्रों के खिलाफ खड़ी होगी, यह उसके हित में उतना ही अधिक बेहतर होगा. विगत दिनों गुजरात नरसंहार के हत्यारों और बलात्कारियों को रिहाई देने वाले और उसके विरोध में लड़ने वाली तिस्ता सीतलवाड़ को जिस तरह गिरफ्तार कर जेल में डाला गया, यह सुप्रीम कोर्ट के चरित्र को अच्छी तरह नंगा करता है.
इतना ही नहीं प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक हिमांशु कुमार पर जिस तरह 5 लाख का जुर्माना लगाने का ठेका सुप्रीम कोर्ट ने लिया है, और हिमांशु कुमार ने भी सुप्रीम कोर्ट को ठेंगा दिखाते हुए जुर्माना का रुपया देने से इंकार कर सुप्रीम कोर्ट के मूंह में जूता घुसेड दिया है, सुप्रीम कोर्ट की इज्ज़त न केवल देश में अपितु सारी दुनिया में थूक के बराबर कर दिया है. शनिवार को संघी सुप्रीम कोर्ट जी. एन. साईंबाबा मामले में चाहे जो फैसला दें, पर यह तय है कि उसकी बची खुची इज्जत भी दांव पर है, चाहे तो वह अपने आका नरेन्द्र मोदी और उसके गैंग से पूछ लें.
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