कृष्णकांत
2014 में अडानी की संपत्ति थी लगभग 40 हजार करोड़ जो अब बढ़कर पहुंच गई है – लगभग 12 लाख करोड़ यानी लगभग 30 गुना यानी 3000 प्रतिशत. इस देश में किसकी संपत्ति आठ साल में 3000 प्रतिशत बढ़ी ? वे देश नहीं, लूट का राष्ट्रीय रैकेट चला रहे हैं.
पिछले आठ साल में गरीबों की संख्या 35 करोड़ से 80 करोड़ पहुंच गई. इसी दौरान अडानी की संपत्ति 40 हजार करोड़ से 12 लाख करोड़ हो गई. आज अडानी की एक दिन की कमाई में तीन महीने तक 80 करोड़ गरीबों का पेट भरा जा सकता है.
अगस्त के आखिरी हफ्ते में अडानी दुनिया के तीसरे सबसे बड़े खरबपति बने. उसी दौरान खबर छपी कि अडानी की संपत्ति एक दिन में 42,000 करोड़ रुपये बढ़ गई. उस दिन तक उनकी संपत्ति लगभग 11 लाख करोड़ थी. एक पखवाड़े बाद आज अडानी दुनिया के दूसरे सबसे बड़े अमीर बन गए. आज उनकी संपत्ति करीब 12 लाख करोड़ हो गई. अडानी कौन सा कारोबार करते हैं कि 15 दिन में लगभग एक लाख करोड़ कमा लेते हैं ?
31 अगस्त को एक दिन में अडानी की संपत्ति 42,000 करोड़ रुपये बढ़ गई. मुफ्त राशन योजना को सरकार ने 3 महीने के लिए बढ़ाया तो 40,000 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान था यानी अडानी की एक दिन की कमाई से तीन महीने तक 80 करोड़ गरीबों का पेट भरा जा सकता है और 2000 करोड़ फिर भी बच जाएंगे.
भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, 2014 के बाद देश में गरीबों की संख्या 35 करोड़ के आसपास थी यानी जो गरीबी रेखा के नीचे थे. पिछले दो साल से सरकार दावा कर रही है कि वह 80 करोड़ लोगों का पेट भरने के लिए गरीब कल्याण योजना के तहत मुफ्त राशन दे रही है. 2020-21 के दौरान सिर्फ एक साल में 23 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए. आज 140 करोड़ में से 80 करोड़ मुफ्त सरकारी राशन पर ज़िंदा रहने को क्यों मजबूर हुए ? देश को इस हाल में किसने पहुंचाया ?
इन आंकड़ों से आप देश में व्याप्त विसंगति और गैर-बराबरी का अंदाजा लगा सकते हैं. पिछली सरकार की प्राथमिकता थी कि कुछ लोग तेजी से अमीर हो रहे हैं तो बाकी जनता के हाथ में भी जीने भर का पैसा पहुंचना चाहिए, इसके लिए मनरेगा का सहारा लिया गया. आज मनरेगा का बजट घटा दिया गया है, लेकिन गरीबों से रोटी और कफन तक पर टैक्स वसूला जा रहा है.
यह देश भयंकर आर्थिक तबाही की ओर बढ़ रहा है. डेढ़ लोगों द्वारा दो लोगों के लिए चलाया जा रहा यह देश अगर आपका भी है तो आपको इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए. अगर आप एक आदमी की लूट, लालच और झूठ पर ताली बजाने के लिए धरती पर अवतरित हुए हैं तब आपसे बड़ा गर्वीला प्राणी हो नहीं सकता. आपको बधाई हो !
अडानी के पास इतना धन आया कहां से ?
गिरीश मालवीय लिखते हैं – इस प्रश्न पर सीरियस ढंग से आपने कभी सोचा ? आइए कुछ कमाल के आंकड़ों पर नजर डालते हैं. आपको याद होगा कि 8 नवंबर 2016 को मोदी जी ने आम आदमी की जेब को गहरा झटका देते हुए नोटबंदी की थी.
जब नोटबंदी की गई थी तब 2016 में अडानी की नेट वर्थ थी महज 3.5 अरब डॉलर और आज सितंबर 2022 में अडानी की संपति है 155.2 अरब डॉलर. अडानी की संपति कितने गुना बढ़ी ये मन ही मन में जोड़ लीजिएगा.
कुछ दिन पहले मित्र रविन्द्र पटवाल ने एक बेहद दिलचस्प आंकड़े पर ध्यान दिलाया. उन्होंने बताया कि नोटबंदी वाले साल, 31 मार्च 2016 तक देश में कुल 16 लाख़ 415 करोड़ रुपए नकदी प्रचलन में थी, ऐसा आरबीआई के ही आंकड़े बता रहे थे. और इस साल यानी 2022 की आरबीआई रिपोर्ट यह बता रही हैं कि 31 मार्च 2022 को 31.05 लाख करोड़ रुपए की नकदी सर्कुलेशन में आ गई है. यानि 6 सालो में लगभग दोगुनी मुद्रा आरबीआई ने छाप मारी.
आप ही सोचिए कि कहा 31 मार्च 2016 तक आजादी के 70 सालो में कुल 16 लाख़ 415 करोड़ रुपए के नोट छापे गए और वही मात्र पिछले छह सालो में लगभग उतने ही नोट आरबीआई ने छाप दिए और वो सर्कुलेशन में आ भी गए ? तो इतना धन आखिर गया कहा ?
इस वक्त भारत में यूपीआइ ट्रांजेक्शन 500 अरब महीने में हो रहा है. हम जैसे लोग जो पहले पूरी तनख्वाह को बैंक से कैश ट्रांसफर किया करते थे, अब दस हजार रुपए से अधिक कभी निकालते ही नहीं. एटीएम की संख्या भी कम हुई है.
पिछले छह सालों से महंगाई बढ़ रही है और तनख्वाह कम हो रही है. देश का जीडीपी ग्रोथ रेट भी घटा है. 2015-16 के दौरान जीडीपी की ग्रोथ रेट 8.01 फ़ीसदी के आसपास थी ओर अब उसकी आधी से भी कम हो गई है. तो आखिर जो नोट छापे गए वो किसके पास जमा हो रहे हैं ? क्योंकि वो हमारे आपके पास तो पुहंचे ही नहीं !
अमित टकसाली पड़ताल करते हैं कि आज भारत का ग्रास डोमेस्टिक प्रोडक्ट की वैल्यू 3.2 ट्रिलियन डॉलर है और अकेले अडानी की संपत्ति इसके पांच फीसदी तक पहुंच गई है. Fortune 500 की लिस्ट में मौजूद दुनिया की टॉप कंपनियों में अडानी के पोर्टफोलियो की एक भी कंपनी नहीं है, तब भी इतनी तेजी से उसकी दौलत बढ़ी है ? आखिर कैसे ?
यहां तो एक ही संभावना बनती दिख रही है कि अडानी के हाथ कोई नोट छापने की कंपनी लग गई है ! क्या कहते हो मितरो ?
कल ऐसे ही मूड हुआ तो सोचा देखे अडानी की कम्पनीज के P/E रेश्यो क्या चल रहे हैं. मैं देख कर हैरान रह गया अडानी ट्रांसमिशन का P/E दस हज़ार से भी ज्यादा है और वो भी नेगेटिव में. अर्थात कंपनी लॉस में है फिर भी उस कंपनी के शेयर का मार्किट रेट आसमान छू रहा है.
शेयर मार्किट में काम करने वाले जानते होंगे कि किसी शेयर की वैल्यू देखने का सबसे भरोसेमंद पैरामीटर P/E रेश्यो ही है, वैसे कुछ लोग प्राइस टू बुक वैल्यू को भी भरोसेमंद पैरामीटर मानते है
जब मैंने अडानी की सारी कम्पनीज के P/E देखे तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए. अगर 2024 में मोदी हारा तो अडानी के शेयर्स धुल चाटेंगे, रिटेल इन्वेस्टर्स बर्बाद हो जायेंगे और शेयर मार्केट क्रेश हो जाएगा. भारत में फाइनेंसियल क्राइसिस भी अडानी की वजह से ही आएगा. बहुत से बैंक बर्बाद हो जायेंगे. नीचे अडानी की सारी लिस्टेड कम्पनीज़ के P/E दिए हुए हैं, आप खुद देख सकते हैं, यह मैंने बीएसई की साईट से लिए हैं –
एक आदमी ने कहा कि हर साल दो करोड़ बच्चों को रोजगार देगा. आपने भरोसा किया, हम आपके भरोसे का सम्मान करते हैं. लेकिन उसी आदमी ने आठ साल शासन किया और देश को 50 साल की रिकॉर्ड बेरोजगारी में धकेल कर 55-60 करोड़ युवाओं को भविष्य के अंधकार में धकेल दिया.
रोजगार देने वाली देश की सब संस्थाएं बेच डाली. अपने एक मित्र को दुनिया के चुनिंदा खरबपतियों की सूची में पहुंचा दिया लेकिन मात्र एक साल में 23 करोड़ भारतीयों को गरीबी रेखा के नीचे पहुंचा दिया.
अपनी पार्टी का पूरे देश में फाइव स्टार दफ्तर बनवा लिया, लेकिन करोड़ों भारतीयों की नौकरी चली गई, रोजगार छिन गया. दो-ढाई दशक में भारत में आए आर्थिक परिवर्तन की उसने बैंड बजा दी और लगभग चार साल से देश की ग्रोथ माइनस में चल रही है.
ऐसा ही पांच साल और चला तो हम, तुम, हमारे-तुम्हारे बच्चे और अगली पीढ़ी सब के सब, हाथ में कटोरा लेकर घूमोगे, किसी काम के नहीं रहोगे.
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