Home कविताएं घात लगाए बैठे हैं मछुआरे

घात लगाए बैठे हैं मछुआरे

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भगवान को तलाशा जा रहा है
मंदिर-मस्जिदों
मजारों, पीरों, कब्रों और टीलों की जड़ों में
खोदी जा रही हैं जड़ें
पाताल तक
अगली बार खंगाला जायेगा
आकाश भी

हाथ में कांटा लेकर
घात लगाए बैठे हैं मछुआरे

बस एक ही चिंता …
कुछ तो फंसना चाहिए कांटे में
ईश्वर या उसका कोई सगा-संबंधी
उसकी कोई निशानी
नई या पुरानी

जैसे-तैसे
कुछ तो फंसे !

नहीं तो धंधा कैसे चलेगा !

  • जयपाल

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