अमरीकी रक्षा विभाग पेंटागन ने दावा किया है कि उसने 4 फरवरी 2023 के तड़के पृथ्वी से लगभग 265 किमी ऊपर फाइटर जेट F-22 की मदद से चाइना की जासूसी गुब्बारे को नष्ट कर अटलांटिक महासागर में गिरा दिया है और गुब्बारे के मलबे को चाइना के सुपुर्द करने से साफ मना कर दिया है.
अमरीकी खुफिया एजेंसी सीआईए के अनुसार अमरीकी रक्षा विभाग को इस गुब्बारे के बारे में कई साल पहले ही पता था लेकिन रक्षा विभाग ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. अब जब कनाडा डिफेंस रेगुलेटरी ने भी कनाडा के आसमान में चाइना जासूसी गुब्बारे की पुष्टि की तब अमरीकी रक्षा विभाग हरकत में आया.
सीआईए ने अपने खुलासे में कहा है कि चाइना इन गुब्बारों को उन सभी देशों में भेज चुका है जिन देशों की रक्षा संबंधी डेटा को वह हासिल करना चाहता है. अमरीकी रक्षा अनुसंधान विशेषज्ञों के अनुसार यह गुब्बारा परमाणु व सभी रक्षा संबंधी रणनीतिक डेटा को कलेक्शन करने में समर्थ है. हीलियम गैस से उड़ने वाला व सोलर पैनल मशीनरी से स्व-संचालित 1 हजार किलोग्राम वजनी यह गुब्बारा आसमान में 300 किमी दूर स्थित रहकर डेटा कलेक्शन कर संबंधित डेटा आपरेशन कंट्रोल रूम को भेजता है.
खुलासे में कहा गया है कि चाइना इन गुब्बारों को यनान प्रान्त से लांच करते रहा है, जिसे चाइना की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) कंट्रोल करती है. आप इस हवाई गुब्बारे की ताकत का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि अमरीकी आसमान पर चाइना जासूसी गुब्बारा होने की पुष्टि के चलते अमरीकी रक्षा मंत्री एंटनी ब्लिंकेन की अगले महीने होने वाली चाइना यात्रा रद्द हो गई है. ह्वाइट हाउस द्वारा रक्षा मंत्री की यात्रा रद्द करने की आधिकारिक घोषणा के बाद चाइना ने अमरीका की कड़ी आलोचना की है. हालांकि चाइना ने इस गुब्बारे को मौसम संबंधी जानकारी देते रहने वाला एक सामान्य उपकरण बताया है.
अमरीकी रक्षा विभाग ने कहा है कि इस गुब्बारे ने जनवरी 2022 में भारतीय समुद्री सैन्य अनुसंधान क्षेत्र अंदमान निकोबार द्वीप क्षेत्र में भी जासूसी की थी. वर्ष 2020 में जापान में भी जासूसी गुब्बारा पहुंचने की बात कही गई है. अमरीकी राष्ट्रपति ने भारत से चाइना के खिलाफ साथ देने की अपील की है. चाइना-अमरीका तक तो ठीक है ‘अगर अमरीका भारत को गुब्बारा प्रकरण की आड़ में उकसाकर अमरीका का साथ देने की बात कर रहा है तो तब इस पूरे गुब्बारा कांड पर शक किया जाना चाहिए.’
दरअसल अमरीका, यूक्रेन युद्ध को हवा देकर अपने ही नाटो सैन्य संगठन की नजरों में अलग-थलग पड़ता जा रहा है, जिसके चलते वह इस गुब्बारा प्रकरण पर हो-हल्ला मचाकर एक तीर से कई आखेट करने की मंशा बना रहा है हालांकि इससे पहले भी कई मर्तबा चाइना जासूसी उपग्रह अमरीकी सीमाओं में धमाल मचा चुके हैं. तब अमरीका के लिए उन उपग्रहों की जासूसी कोई बड़ा मुद्दा नहीं था.
चाइना-ताइवान, तनाव के चलते चाइना पीएलए ने ताइवान में इकलौते अमरीकी सैन्य बेस के लिए सभी हवाई मार्गों की घेराबंदी कर रखी है, जिसके लिए अमरीका को नेपाल भारत भूटान में अपने सैन्य बेस बनाने की पहली जरूरत बन आई है. गुब्बारा प्रकरण पर भारत का साथ चाहने के यही मायने हैं कि अमरीका दक्षिण एशिया में अपने सैन्य अड्डों की संख्या, गुणात्मक तौर पर बढ़ा सके.
नेपाल में अमरीका अपने सैन्य अड्डों के विस्तार के मामले में चाइना से धक्के खा चुका है अब अमरीका भारत को इस्तेमाल में लेना चाह रहा है. अगर भारत अमरीकी षड्यंत्र का हिस्सा बनता है तो यह पूरे भारत की अखंडता पर खतरे को न्यौता देना होगा.
बहरहाल, रूस यूक्रेन युद्ध में रूस की जीत के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं. क्रेमलिन ने कहा है कि यूक्रेन का सोलेदार क्षेत्र अब रूस के कब्जे में आ चुका है और जल्दी ही कुछ और महत्वपूर्ण भू-भाग रूसी सैनिकों के कब्जे में होंगे. हालांकि अमरीका ने सोलेदार पर रूसी कब्जे को कबूल तो किया है लेकिन इसे सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं माना है.
गुब्बारा मतलब धमाके की तैयारी
विगत महीनों नवंबर 2022 में अमरीकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने रूस के पास रोबोटिक हथियारों की कथित सूचना जाहिर की थी तो नाटो संगठन के देशों व अमरीका के हाथपांव फूल गये थे. रोबोटिक हथियारों के बारे में कहा गया था कि एक रोबोट 300 सैनिकों के बराबर सैन्य सक्रियता की ताकत रखता है.
रोबोट में यह प्रोग्राम भी फिट बताया जा रहा था कि यदि रोबोट युद्ध में ध्वस्त होने की कगार पर पहुंचता है तो रोबोट में 500 मीटर वृत्ताकार क्षेत्र को नेस्तनाबूद करने के लिए परमाणु हथियार से लैस किया गया है. हालांकि क्रेमलिन रक्षा विभाग ने इस खबर को हास्यास्पद अफवाह बताया था.
अब जबकि अमरीकी आसमान में चाइना गुब्बारा मंडराने की बात की जा रही है तो सीआईए ने रूस चाइना के बीच विनाशकारी हथियारों की तकनीकी का आदान प्रदान होने की बात कही है. कुछ साल पहले ह्वाइट हाउस को आगाह करने वाली सीआईए की एक खबर लीक हुई थी, जिसमें रूस के पास दुनिया के सबसे उन्नत आणुविक हथियार होने की बात कही गई थी. इस खबर को लीक करने के चक्कर में अमरीकी ह्वाइट हाउस ने सीआईए के एक अधिकारी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था.
फिलहाल, रूस यूक्रेन युद्ध से खिन्न अमरीका पगलाया हुआ है. नाटो सैन्य संचालन में भी नाटो देशों के बीच चौ-फाड़ा मचा हुआ है. कुछ नाटो देशों ने तो प्रत्यक्ष तौर पर यूक्रेन युद्ध में किसी भी मदद से किनारा कर लिया है. यूक्रेन युद्ध जारी है ऐसे में अमरीका का गुब्बारे से डरना जायज है.
दो दशक पहले तिब्बत ने भी चाइना गुब्बारे व खिलौनों को महज खेलने की चीज माना था लेकिन देखते ही देखते तिब्बती बाजारों में चाइना खिलौने खुद ही विस्फोटित होने लगे, जिसकी वजह से भारी आगजनी हुई थी. तब दलाईलामा ने भी भारत सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी. तबसे दुनिया के सभी ताकतवर देश चाइना खिलौनों को सिर्फ खिलौना मानने की गलती नहीं कर रहे हैं, जैसे अमरीका इस समय चाइना गुब्बारे को महज बच्चों के खेलने का गुब्बारा नहीं मान रहा है.
- ए. के. ब्राईट
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