भारत को अब तक एक राष्ट्र के तौर पर राष्ट्रीय भावना को उभारने वाली तीन यादें हैं, जिस पर सारे भारत के लोग एकजुट होकर बहस में शामिल हुये हैं. पहली बार यह भावना महात्मा गांधी के नेतृत्व में उभरी थी, जब पूरा देश अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हो गया था. दूसरी बार यह राष्ट्रीय भावना अमर शहीद भगत सिंह के नेतृत्व में उभरी थी और तीसरी दफा नक्सलबाड़ी किसान आंदोलन ने इस राष्ट्र को एक साथ होने का अहसास कराया था. अब इस भारतीय राष्ट्र के तौर पर यह भावना अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी के नेतृत्व में उभरी है. यह अनायास नहीं है कि अरविन्द केजरीवाल के हर छोटे से छोटे निर्णय या उनके मफलर, चप्पल और खांसी जैसी बीमारी भी राष्ट्रीय बहस का केन्द्र बन जाती है. राष्ट्रवाद की यह नई लहर खुद आम आदमी पार्टी ने पैदा की थी, लेकिन वह इसे संभालने के लिहाज से बेहद ही छोटी ताकत थी. परिणातः इस राष्ट्रीय उभार के लाभ एक फर्जी हिन्दुत्व राष्ट्रवादी आर.एस.एस. ने ले लिया और सत्ता संघर्ष में जीत का सेहरा बांधते हुए 2014 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़कर भारत की केन्द्रिय सत्ता पर काबिज हो गया. अब यह फर्जी हिन्दु राष्ट्रवादी राष्ट्रीय भावना के साथ खिलवाड़ करते हुए राष्ट्रवाद को रौंदते हुए आगे निकल जाना चाहती है. इसमें उसकी सबसे बड़ी मददगार बनी भारत की मुख्यधारा की मीडिया, जिसने बेहिसाब पैसे लेकर न केवल अपने पेशे को ही कलंकित किया वरन् पत्रकारिता के पेशे को ही विश्व की निगाह में भी अविश्वसनीय बना दिया.
भारतीय मीडिया की विश्वसनीयता वैसे तो सदैव से ही संदिग्ध रही है, पर रामलीला मैदान और जंतर-मंतर के राष्ट्रवादी आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी और फर्जी हिन्दुत्व राष्ट्रवादी के प्रतिनिधि नरेन्द्र मोदी की प्रधानमंत्री बनने से पहले और उसके बाद से ही मीडिया ने जिस प्रकार से आम आदमी पार्टी पर जोरदार हमला केन्द्रित करने के लिए अपनी विश्वसनीयता तक को दाव पर लगा दिया है, सचमुच निंदनीय है. आज भारतीय बिकाऊ मीडिया की प्रतिष्ठा विश्वस्तर पर कलंकित हो गई है जब विश्व की प्रतिष्ठित एजेंसी ‘‘रिपोर्टर्स विदाउट बाॅर्डर्स’’ की प्रकाशित वार्षिक रिपोर्ट में भारत को ‘‘वल्र्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स’’ में 180 देशों के बीच 136 वां स्थान दिया गया और बताया कि ‘‘हिन्दु राष्ट्रवादियों द्वारा हर तरह की ‘राष्ट्रविरोधी’ अभिव्यक्तियों को राष्ट्रीय बहस से बाहर करने की कोशिशों के चलते, भारत की मुख्यधारा की मीडिया में स्व-नियंत्रण का रूझान बढ़ा है. रिपोर्ट में भारत पर केन्द्रित अध्याय को ‘‘मोदी के राष्ट्रवाद से खतरे’’ शीर्षक से प्रकाशित करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘‘पत्रकारों को सोशल मीडिया पर ‘बेहद कट्टरपंथी राष्ट्रवादियों’ के द्वारा निशाना बनाए जाने की घटनाएं तेजी से बढ़ी है. उन्हें बदनाम करने के लिए अभियान चलाये जाते है, अपशब्द कहे जाते हैं और यहां तक कि शारीरिक हिंसा की धमकी दी जाती है.’’ इसी रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ‘‘सरकार की खुलकर आलोचना करने वाले पत्रकारों का मुंह बन्द करने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के तहत् मुकदमा दर्ज कराने की धमकियां दी जाती है, जिसके तहत् देशद्रोह के लिए आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है.’’
पहले से ही अविश्वसनीय और अब अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बदनाम हो चुकी भारतीय मीडिया आम आदमी पार्टी सहित भारत के उन सरकारों, संस्थानों, व्यक्तियों पर जो केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ बोलने की जहमत उठाते हैं, उसे झूठे, मनगढंत आरोपों के जाल में इस कदर फांस लिया जाता है मानो आज की सारी समस्या केवल उसी के कारण है. उसके खत्म होते ही सारी समस्यायें खत्म हो जायेगी. चाहे वह जेएनयू प्रकरण हो या कश्मीर मसला. यही कारण है कि जो अफजल गुरू जेएनयू में देशद्रोही बन जाता है, वही कश्मीर में देशभक्त और शहीद बन जाता है. जो गाय उत्तर प्रदेश और गुजरात में माता बन जाती है और लोगों के कत्ल का कारण बनती है, वही गाय असम और दक्षिण भारत भाजपा के नेताओं द्वारा संचालित गो-वधशाला मांस आपूर्ति का एक माध्यम बन जाती है. शून्य से 20 विधायक ला कर मुख्य विपक्षी पार्टी बनने वाली और शून्य से 48 अब 50 सीट दिल्ली एमसीडी में लाने वाली आम आदमी पार्टी हार जाती है वहीं केरल में एक सीट लाने वाली भारतीय जनता पार्टी के विजय की दुदुंभी बजाती है. दिव्यांगों को बतौर पेंशन 300 से बढ़ा कर 500 करने वाली योगी सरकार की खबर दिनभर की खबर बनती है, वहीं दिल्ली सरकार के द्वारा 2000 किये जाने वाले पेंशन की कहीं कोई जिक्र नहीं होती. ऐसे बहुतों मसले हैं जो यह साफ तौर पर बताती है कि भारतीय मीडिया फर्जी राष्ट्रवादियों और राष्ट्रवादियों के बीच में साफ तौर पर फर्जी राष्ट्रवादियों की ओर से राष्ट्रवादी ताकतों पर हमले करने का हथियार बन चुका है. इसकी विश्वसनीयता शून्य हो चुकी है. ‘‘जी न्यूज’’जैसे मीडिया संस्थान ने तो नंगे-चिट्टे रूप में खुद को विश्व की जनता की निगाह में गिरा लिया है. आश्चर्य तो यह कि कोई सबक भी सीखने को तैयार नहीं है. आखिर हो भी क्यों न ? ‘जी-न्यूज’ का मालिक सुभाष चंद्रा बीजेपी का राज्य सभा सांसद, ‘18 इंडिया’ यानी आईबीएन-7, ई.टी.वी. सभी प्रादेशिक का मालिक मुकेश अंबानी, आजतक का मालिक बीजेपी नेता अरूण पूरी, इंडिया टी.वी. का सर्वेसर्वा रजत शर्मा अघोषित बीजेपी सांसद, ‘न्यूज 24’ की मालकिन अनुराधा प्रसाद बीजेपी के मंत्री रविशंकर प्रसाद की बहन है. वहीं प्रिंट मीडिया का भी जब यही हाल हो तो भला वह राष्ट्रवादी ताकतों की बातों का प्रचार-प्रसार क्योंकर करें?
यही कारण है फर्जी राष्ट्रवादी के एक मीटिंग में प्रधानमंत्री बने मोदी को भ्रष्ट कहते हुए और अपने गांव की समस्या को उठाते हुए जब एक युवती जूता फेंकती है तो वह खबर नहीं बनती, यह निश्चित रूप से भारतीय मीडिया के भ्रष्ट और बिकाऊ चरित्र का उजागर करती है, जिसे कहने का साहस करना भी एक अपराध है, पर वही बात जब विश्व की प्रतिष्ठित संस्था उजागर करती है तब हम बगलें झांकने लगते हैं. इस सब से बेपरवाह भारतीय मीडिया अब और ज्यादा बेशर्म होकर फर्जी राष्ट्रवादियों की झूठी, अलौकिक कारनामों का गुणगान करती है और मोदी पर जूता फेंकनी वाली युवती की बातों को अनसुना कर देते हैं क्योंकि युवती का बयान इस झूठी, अलौकिक कारनामों का भंडाफोर करती है. युवती के अनुसार, ‘‘उसने राज्य सभा में अपने गांव को लेकर कोई शिकायत रखी थी, जिस पर ना तो कोई सुनवाई हुई और ना ही कोई कार्रवाई.’’ युवती ने बताया कि ‘‘उस समस्या के चलते उसके गांव के लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ आम जनता को बेवकूफ बनाकर उनकी आंखों में धूल झोंक रहे है. मोदी जैसा भ्रष्ट नेता कोई नहीं है.’’ यही कारण उस युवती ने मोदी पर जूता फेंका था. युवती के ये सवाल फर्जी राष्ट्रवादियों, डरी या बिकी हुई मीडिया के सामने एक बड़ा सवाल है. जिसका जवाब फर्जी हिन्दुत्व राष्ट्रवादी से उसे नहीं मिलता. वह खबरों में भी नहीं आती. खबर आती है तो सिर्फ आम आदमी पार्टी की हार का क्योंकि राष्ट्रवादी ताकतों को कमजोर किये वगैर यह फर्जी हिन्दुत्ववादी राष्ट्रवाद टिक नहीं सकता. यही वजह है कि आज पूरा देश जाने-अनजाने दो खेमें फर्जी हिन्दु राष्ट्रवादी और राष्ट्रवादी ताकतों के पक्ष-विपक्ष में बंट चुकी है. यह पहली बार हुआ है जब पूरा देश आज दोनों प्रतिनिधि मोदी और केजरीवाल से जुड़ी हरेक गतिविधि को बहुत ही बारीकी से देख, सुन और समझ रही है. मीडिया की भूमिका की भी गहरी पड़ताल कर रही है, जो फर्जीराष्ट्रवाद का पताका लहराने में सबसे आगे चल रहा है और राष्ट्रवादी ताकतों के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है.
इस फर्जी राष्ट्रवादियों को समझ लेना और इसके खिलाफ आवाज बुलंद करना ही आज के दौर में इस मई दिवस की उपलब्धि होगी.
Sumit yadav
May 1, 2017 at 4:30 pm
सही और सटीक बात लिखी आपने….काफी अच्छा लेख है…….
Rohit Sharma
May 1, 2017 at 5:11 pm
धन्यवाद!
Krishna sarkar
May 2, 2017 at 3:12 pm
Badhiyan hua
Krishna sarkar
May 2, 2017 at 3:13 pm
इस फर्जी राष्ट्रवादियों को समझ लेना और इसके खिलाफ आवाज बुलंद करना ही आज के दौर में इस मई दिवस की उपलब्धि होगी