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‘फकीर’ मोदीजी की संपत्ति

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'फकीर' मोदीजी की संपत्ति

पं. किशन गोलछा जैन, ज्योतिष, वास्तु और तंत्र-मंत्र-यन्त्र विशेषज्ञ

वेबसाइट www.pmindia.gov.in पर दी गई जानकारी के मुताबिक 2016 तक प्रधानमंत्री मोदी की एक नंबर वाली कुल संपत्ति एक करोड़ तिहत्तर लाख छत्तीस हज़ार नौ सौ छियानवे रूपये थी, जिसमें –

  • 89,700 CASH
  • 2,09,296 BANK BALANCE
  • 51,27,428 FDR & MOD
  • 20,000 INFRASTRUCTURE BOND
  • 3,28,106 NSC
  • 1,99,031 LIC
  • 1, 27, 645 JWELERY (4 सोने की अँगूठियांं जिनका वजन 45 ग्राम है)
  • 12,35,790 ROYALTY OF BOOK RECEIVABLE (अब ये कौन-सी किताबें हैं, जिनकी रॉयल्टी वो ले रहे है ये तो वो ही जाने).
  • इसके अलावा गांंधी नगर में एक मकान का एक चौथाई हिस्सा जिसकी बाजार वैल्यू एक करोड़ रूपये है (चार करोड़ की वैल्यू वाला मकान है, जिसमें एक चौथाई हिस्सा मोदी को विरासत में मिला है).

वैसे सोचने वाली बात ये है कि मोदी बताते हैं कि वे रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते थे (अब ये तो मोदी ही जाने कि जिसके पास चार करोड़ की वैल्यू वाला मकान हो, वो स्टेशन पर चाय क्यों बेचता था ? (मेरे साथ ऐसी परिस्थिति होती तो मैं अपना हिस्सा बेचकर उसका पैसा या तो ब्याज पर लगा देता या फिर FDR बनवा देता और ब्याज के पैसों से आराम से जीवनयापन करता, बजाय चाय बेचने का ऑप्शन चुनने के).

इसके अलावा 2016 के बाद मार्च 2018 तक यानि सिर्फ दो साल में मोदीजी की संपत्ति 42% बढ़ गयी. वैसे मोदी जी की संपत्ति 2016 में भी ऐसे ही बढ़ी थी अर्थात 2014-15 में मोदीजी की संपत्ति 53 लाख थी, जो 2016-17 में 89 लाख हो गयी, मतलब 67% बढ़ोतरी जबकि मोदीजी कोई व्यापार भी नहीं करते.

रॉबर्ट वाड्रा पर भक्त रोज पूछते हैं कि उसने ऐसा कौन-सा बिजनेस टिप्स अपनाया कि उसकी संपत्ति इतनी बढ़ गयी, लेकिन अब यही सवाल मोदीजी से भी पूछ लो भक्तो ताकि दूसरे गरीब लोगों का भी फायदा हो. अभी शाह और डोभाल के बेटो के बिजनेस की बात नहीं करूंंगा क्योंकि उससे मुद्दा भटक जायेगा. ऐसे ही मोदी केबिनेट में सभी मंत्रियों की (सिर्फ जावड़ेकर को छोड़कर) संपत्ति भी ऐसे ही अनाप-शनाप तरीके से बढ़ी है लेकिन उसकी भी बात अभी नहीं करूंंगा क्योंकि इससे फिर मुद्दा भटकने की संभावना रहेगी.

एक बात और 2014 के लोकसभा चुनाव के पर्चे में मोदीजी ने घर के हिस्से की वैल्यू समेत डेढ़ करोड़ की संपत्ति बतायी थी, जो उनके इन्कमटैक्स के कागजों से मेल नहीं खाती (क्योंकि ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि गांधीनगर जैसी पॉश जगह पर मकान की वैल्यू पांच साल में न बढें). अगर उस समय उस हिस्से की वैल्यू एक करोड़ थी तो अब तो वो बढ़कर 3 करोड़ हो जानी चाहिये लेकिन जैसा कि उपरोक्त में भी आपने पढ़ ही लिया कि हर बार उस हिस्से की वैल्यू एक करोड़ ही रहती है, जबकि वक़्त के हिसाब से ऐसे पॉश इलाकों में हर साल कम से कम 20% वैल्यू तो बढ़ती ही है. अर्थात उस हिसाब से भी 2019 के चुनाव तक उस हिस्से की वैल्यू कम से कम ढाई करोड़ के लगभग तो हो ही जानी चाहिये !

वैसे ये बात भी सोचने वाली है कि 2014 के पर्चे में मोदी जी ने अपना चल धन 51 लाख 57 हजार 582 रुपये घोषित किया था जिसमें –

  • 29 हजार रुपये कैश,
  • पोस्टल सेविंग में 4,34,031 रुपये,
  • फिक्स डिपोजिट 44,23,383 रुपये,
  • इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड डिपॉजिट 20 हजार रुपये,
  • गोल्ड ज्वैलरी 1 लाख 35 हजार रूपये की और
  • ब्याज के रूप में रिफंड आया कुल धन 1,15,468 रुपये तथा
  • 1,59,281 रुपए की LIC

दर्शायी थी, जिसका मिलान आप 31 मार्च, 2019 तक के इन्कमटैक्स को सब्मिट होने वाले ब्योरे और लोकसभा 2019 के चुनावी पर्चे में भरे जाने वाले ब्योरे से जरूर मैच कर लेना और साथ में ये भी ध्यान रखियेगा कि प्रधानमंत्री के नाम पर कोई भी दुपहिया या चार पहिया वाहन रजिस्टर्ड नहीं है !

जब से मोदी ने प्रधानमंत्री का पद संभाला है तब से उन्होंने कोई नया सोना भी नहीं खरीदा है और कोई जमीन भी नहीं खरीदी है (खरीदी गयी आखिरी जमीन 2002 में एक लाख रुपये की कीमत से 3531.45 स्क्वायर फीट की संपत्ति थी, जो सिर्फ मोदी जैसे नेताओं को ही मिल सकती है. हम और आप खरीदने जायेंगे तो इतने में उस जमीन का फोटो भी नहीं मिलेगा. हालांंकि जांंच तो इसकी भी होनी चाहिये, जैसे वाड्रा की जमीनों की जांंच होती है लेकिन हम सब ये जानते हैं कि जब चौकीदार ही हाकिम हो तो जांंच कौन करेगा ?

मोदीजी की एक नंबरी संपत्ति में इतने झोल है तो सोचिये दो नंबर वाली में कितने झालमझोल होंगे, जिसकी तो अभी तक किसी को हवा तक नहीं पता है, जो बिड़ला से ली गयी कमीशन से लेकर टाटा, अडानी, अम्बानी और राफेल तक के कमीशन तक के रूप में मोदीजी ने ली है.
मुझे आज तक ये भी समझ में नहीं आया कि जब मोदीजी अपनी तनख्वाह के पैसे खर्च ही नहीं करते तो फिर ये 80 हज़ार रूपये किलो के मशरूम और काजू की रोटी जैसे महंगे खाने के पैसे कहांं से आते हैं ? ये मंहगी घडियों और पेनों से लेकर महंगे ब्रांडेड कपडे के पैसे कौन खर्च करता है ?

मोदीजी की होने वाली रैलियों के इंतजामों में न तो बीजेपी पार्टी कोई खर्च दिखाती है और न ही मोदीजी अपने निजी खर्चों में इसका खर्चा दिखाते हैं तो फिर इन रैलियों में करोडों रूपये कौन खर्च कर रहा है ? उन 60% हेलीकॉप्टरों और चार्टर विमानों का खर्च कौन वहन करता है, जो बीजेपी चुनाव से 6 महीने पहले बुक कर लेती है ?
सवाल तो और भी बहुत सारे है, मगर …, फिर कभी देखते हैं.

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