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निर्वासित कविता

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हरेक कविता
निर्वासन में ही लिखी जाती है
हरेक कवि निर्वासन में ही रहता है

अनाम गोत्र फूलों के जंगल में
शकुंतला का सैर
हमेशा किसी दुष्यंत की प्रतीक्षा में नहीं होता

मेरी एक आंख से कुछ दिखता नहीं है
इसका अर्थ यह नहीं कि
उस तरफ़ कोई दुनिया नहीं है

तुम्हारी एक आंख से कुछ दिखता नहीं है
इसका अर्थ यह नहीं है कि
उस तरफ़ मैं नहीं हूं

दृष्टि बाधित जगत में
मैं अनायास ही निर्वासित हूं
क्यों कि तुम्हारी सोच का मैं हिस्सा नहीं हूं

गमले हैं
गमलों में फूल हैं
सुबह का वक़्त है
तुम फूलों में पानी डालते हो
और भूल जाते हो कि
कितने पानी की ज़रूरत
उन फूलों को है

तुम्हारी दिनचर्या से निष्कासित हैं
ख़ुशबू और रंग

और कविता निर्वासन में लिखी गई
एक शिल्पकार का प्रयोग है

सफल या असफल
ये उसकी नियति नहीं
तुम्हारा आकलन है
जिसके काबिल तुम नहीं हो

हर कविता निर्वासन में ही लिखी जाती है
अगर वह कविता है !

  • सुब्रतो चटर्जी

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