रविश कुमार
तीन साल से मोदी सरकार रेलवे की भर्ती परीक्षा नहीं करा सकी है. जनवरी 2019 में जो भर्ती निकली थी वो जनवरी 2022 में पूरी नहीं हुई है. रेलवे के लाखों परीक्षार्थियों के लिए यह समझना आसान नहीं होगा. वे आख़िर तक अपनी सच्चाई नहीं देख पाएँगे. मेरा काम है बता देना. एक सलाह और है, आपने एक ऐसे तंत्र को मज़बूती दी है जिसे आपकी ज़रूरत नहीं है तो एक सलाह मुफ़्त में दे रहा हूँ. आंदोलन कीजिए लेकिन हिंसा मत कीजिएगा. ग़ुस्सा आए तो अपने पुराने व्हाट्स एप फार्वर्ड याद कीजिएगा जो भेजा करते थे, आपका ग़ुस्सा जल्दी ही पछतावे में बदल जाएगा और आप विनम्र हो जाएँगे. यह भी सही है कि आपकी ज़िंदगी से खिलवाड़ बहुत हुआ है. अब ये हो चुका है. धर्म और जाति पर गौरव और नफ़रत की राजनीति की सज़ा सबको मिलेगी. बराबर मिलेगी. सज़ा स्वीकार करें.
मई 2019 में इलाहाबाद में था जो अब प्रयागराज है. उसी तरह के लॉज में जिस तरह के लॉज में पुलिस छात्रों को पकड़ने गई थी. ग़रीब और साधारण घरों के इन लड़कों के सपनों को रौंद कर अब इनका मज़ाक़ बनाया जा रहा है. इन छात्रों को नफ़रत का नशा दिया गया. सही ग़लत का फ़ैसला नहीं कर पाए. ये आगे भी नफ़रत की चपेट में रहेंगे क्योंकि इससे निकलना आसान नहीं. जब तक आप अपने भीतर वैचारिक और बौद्धिक परिवर्तन के ज़रिए नफ़रत को ख़त्म नहीं करते हैं, तब तक आप बदलते नहीं हैं. इतनी मेहनत अब इन छात्रों से नहीं होगी. भले पुलिस कितना भी मारे. इसके लिए बौद्धिक श्रम की ज़रूरत है.
मुसलमानों से नफ़रत के नाम पर ये काफ़ी आगे बढ़ चुके हैं. वहाँ से लौटने के लिए ये मेहनत नहीं कर पाएँगे. इसके लिए बहुत पढ़ना होगा, हर झूठ को समझना होगा. इन नौजवानों से इतना सब नहीं हो पाएगा. फिर भी इनकी मुक्ति के लिए ज़रूरी है कि ये नफ़रत की राजनीति से बाहर आएँ. नफ़रत से निकले बिना जीवन का उल्लास नहीं मिलेगा. उस समय भी किसी ने इस एपिसोड को नहीं देखा था, अब तो क्या ही कोई देखेगा.
अफ़सोस उन्हें लेकर नहीं है, अफ़सोस ख़ुद को लेकर है कि इनके चक्कर में मेरे बाल उड़ गए इसलिए मैं इनके क़रीब नहीं जाता. मैं हर बार कहता हूँ कि सांप्रदायिक युवाओं से गाली मिल जाए, ठीक लेकिन इनसे अपने लिए ताली नहीं लेनी है. ऐसा कहने वाला अक्खा इंडिया में अकेला बंदा हूँ.
रेल मंत्री जी इन पत्रों का क्या मतलब है, एक बार देख लीजिए
रेल मंत्री जी इन पत्रों का क्या मतलब है, एक बार देख लीजिए, रेलवे में दो लाख से अधिक पद ख़ाली हैं, भर दीजिए –
आदरणीय
रेल मंत्री महोदय
A-256 रेल भवन
रायसीना रोड,
नई दिल्ली – 110001
विषय :- विज्ञापन संख्या CEN 01-2018 के अंतर्गत RRB Secandarbad के Technician के मेडिकल फिट स्टैंडबाय अभ्यर्थियों को नियुक्ति देनें के संबंध में,
महोदय,
विज्ञापन संख्या CEN 01-2018 के अंतर्गत RRB Secandarbad में 2475 तकनीशियन पदों के लिए भर्ती निकाली गई थी, जिसका CBT 1, CBT 2, डॉक्यूमेंट वेरीफिकेशन तथा मेडिकल टेस्ट दिसम्बर 2019 में ही पूर्ण करा लिया गया.
अतः श्रीमान का निम्न बिन्दुओं पर ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा –
- RRCB के लेटर नंबर ERB-1/2020/23/14 दिनाँक 08/05/2020 के अनुसार NEC की 383 खाली गई सीटो पर मल्टीस्किल्ड नियम के अंतर्गत दूसरे ट्रेड वाले अभ्यर्थियों को मौका दिया जाए.
- Kanjipet में बने नए MEMU Electical शेड में तकनीशियन ग्रेड 3 के रिक्त पदों पर स्पेशल इंडेंट पैनल के माध्यम से उत्तर मध्य रेलवे HQ से अप्रूवल देकर RRB Secandarbad को डिमांड भेजा जाए.
- Secandarbad डिविजन तथा Kanjipet वर्कशॉप में वर्तमान में रिक्त पड़े पदों पर स्पेशल इंडेंट पैनल के माध्यम से नियुक्ति देनें की कृपया करें.
- 22.10.2021 को मिनिस्ट्री ऑफ रेलवे द्वारा जारी नोटिस के अनुसार अगर कोई व्यक्ति 1 साल के अंदर त्यागपत्र देकर जाता हैं या किसी कारणवश उसकी मृत्यु हो जाती हैं तो उस पर तत्काल indent पैनल जारी करके स्टैंडबाय मेडिकल फिट अभ्यर्थी को नियुक्ति पत्र दिया जाए.
धन्यवाद !
आदरणीय,
श्री अश्विनी वेश्नव जी
माननीय रेलमन्त्री
भारत सरकार
विषय – केन्द्रीकृत रोजगार सूचना सीईएन 01/2018 प्रतिक्षा सूची उम्मीदवार ( आरआरबी चेन्नई ) के संबंध.
महाश्य,
उपरोक्त विषयान्तर्गत केन्द्रीकृत रोजगार सूचना सीईएन 01/2018 के अंतर्गत आरआरबी चेन्नई मै एएलपी के 761 तथा टेक्नीशियन के 3060 पदो के लिए भर्ती निकली गई थी. इसकी दस्तावेज सत्यापन और चिकित्सा परिक्षण 2019 मै पूरी कर ली गई. कुछ पदो पर कोई उम्मीदवार न मिलने के कारण ICF मे 58 और दक्षिण रेलवे मे 400 पद रिक्त रह गई है. इस केन्द्रीकृत रोजगार सूचना के अंतर्गत PbWD के पदो की संख्या 52 थी जिसे 24 मई 2019 के रिवाइज नोटिफिकेशन मै 117 कर दिया गया. अब 95 PbWD के पद रिक्त रह गई है, उससे पुनः नॉर्मल उम्मीदवार को दिया जाए.
- गोल्डेन रॉक वर्कशॉप दक्षिण रेलवे में 250 पद रिक्त है इन पदो पर प्रतिक्षा सूची उम्मीदवार के द्वारा भरने की मांग करे.
- दक्षिण रेलवे मै 252 उम्मीदवार ऐसे है जो ज्वाइनिंग नही किया है और जो ट्रेनिंग के बीच या ट्रेनिंग के बाद छोड़ के चला गया है. इन रिक्त पदों पर वेटिंग कैंडिडेट्स के द्वारा जल्द भरने के मांग करे.
हमलोग दो बार दक्षिण रेलवे के हेडक्वार्टर विजिट किया पर हमलोग को कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. आरआरबी चेन्नई मै लगभग 350 उम्मीदवार वेटिंग लिस्ट में है. पिछले दो साल से इस कोरोना महामारी के हमलोगो को मानसिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. अब हम वेटिंग उम्मीदवारों की उम्मीद आपसे है.
अतः श्रीमान से प्राथना करता हूं की हम वेटिंग उम्मीदवारों को रिप्लेसमेंट पैनल, विशेष इंडेंट पैनल और अतरिक्त पैनल के माध्यम से दक्षिण रेलवे द्वारा नियुक्ति देने का अनुरोध किया जाए. इसके लिए हम वेटिंग उम्मीदवार आपका हमेशा आभारी रहेंगे.
धन्यवाद ! भवदीय
प्रतिक्षा सूची उम्मीदवार
आरआरबी चेन्नई ( दक्षिण रेलवे )
ज़रा बताइये, इन्हें नियुक्ति पत्र कब देंगे आप ?
उपरोक्त विषय के संबंध में श्रीमान जी का ध्यान केंद्रित करना चाहूँगा कि रेलवे भर्ती बोर्ड चंडीगढ के द्वारा CEN-01/2018, ALP/TECH की पोस्ट CAT-100(मोटर व्हीकल ड्राइवर) की CUT-OFF और Preference के अनुसार चुने गए सभी अभ्यर्थियों का CBT1,CBT2 पास होने तथा Document Verification और Medical परिक्षण होने के बावजूद बोर्ड द्वारा बीते 2 वर्ष 5 माह के बाद भी इस पोस्ट की मुख्य और प्रतिक्षा सूची अभी तक जारी नहीं की गयी है.
बोर्ड के अनुसार इस पोस्ट के लिए चयनित अभ्यर्थियों ने इस पोस्ट के लिए अनिवार्य HMV LICENCE को Document Verification के समय जमा नहीं किया था, जबकि बोर्ड ने खुद अभ्यर्थियों को Document Verification के लिए जारी किए गए Admit Card में इस विषय के संबंध कोई जानकारी इंगित नहीं की थी.
श्रीमान ! इस पोस्ट के लिए चयनित हम सभी अभ्यर्थियों के पास HMV LICENCE मौजूद है.
अतः आपसे बिनम्र निवेदन है अभ्यर्थियों की मेहनत को ध्यान में रखते हुए इस पोस्ट की मुख्य और प्रतीक्षा सूची जल्द जारी की जाए तथा मुख्य और प्रतीक्षा सूची के अभ्यर्थियों को वर्तमान और भविष्य में रिक्त पदों पर प्राथमिकता दी जाए.
सहृदय धन्यवाद !
निवेदक –
ALP/ TECH,CEN -01/2018 की पोस्ट
(मोटर व्हीकल ड्राइवर)(CAT-100) के सभी अभ्यर्थी
छह साल से केंद्रीय सचिवालयों में प्रमोशन नहीं
जब नहीं होगा प्रमोशन तो नहीं निकलेगी भर्ती, इस खेल को समझने के लिए पूरा पढ़ें. मोदी सरकार ने छह साल से केंद्रीय कर्मचारियों को प्रमोशन नहीं दिया है, जिसके कारण प्रमोशन और बिना वेतन वृद्धि के ही कई कर्मचारी रिटायर होते रहे. अब ये कर्मचारी भी ट्विटर पर ट्रेंड करा रहे हैं और अपने लिए प्रमोशन मांग रहे हैं. हिन्दू की रिपोर्ट से पता चलता है कि केंद्रीय सचिवालयों में छह साल से प्रमोशन बंद है.
मैं जानना चाहूंगा कि बिना प्रमोशन के रिटायर हुए ऐसे अफसरों में कितने भक्त हो गए थे और मुस्लिम विरोधी राजनीति में आनंद प्राप्त कर रहे थे और अब जब उनके प्रमोशन का चांस ख़त्म हो गया है. उन्हें इस नफरती राष्ट्रवाद से कितनी ऊर्जा मिलती है ? ज़ाहिर है कर्मचारी झूठ ही बोलेंगे कि उनका काम देश की सेवा करना है, उन्हें राजनीति से मतलब नहीं. हा हा हा हा हा हा. इस नफरत की आग में आप ही नहीं जले हैं, आपका वो बच्चा भी जला है, जो भर्ती नहीं निकलने से बेरोज़गार बैठा है. आपको प्रमोशन मिलता तो नीचे की सीट खाली होती. नीचे की सीट ख़ाली होती तो भर्ती निकलती.
हिन्दू की विजयिता सिंह की रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय सचिवालय सेवा (CSS) फोरम के अनुसार प्रमोशन नहीं होने की वजह से तीस फीसदी पद ख़ाली हैं. इनके अनुसार अवर सचिव, उप सचिव, निदेशक और संयुक्त सचिव के 1839 पद ख़ाली हैं. जब सचिवालयों में संकट होने लगा तो 2020 में अस्थायी तौर पर 2770 पदों पर प्रमोशन दिया गया. इसके बाद भी 1800 पदों पर प्रमोशन होना है. भर्ती ख़ाली है. सोचिए 4400 अफसरों में से 60 फीसदी से अधिक अस्थायी रुप से प्रमोशन लेकर काम कर रहे हैं. यह हाल है खूब काम करने वाली मोदी सरकार का.
2014 से प्रमोशन नहीं हुआ है. छह साल निकल गए. इस दौरान प्रमोशन और अधिक सैलरी के इंतज़ार में कितने ही लोग रिटायर कर गए. प्रमोशन में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. इसे जल्दी सुनने के लिए सरकार आग्रह कर सकती थी लेकिन लगता है इस मामले की आड़ में सरकार ने लोगों को बिना प्रमोशन दिए ही सेवा से बाहर कर दिया और उन्हें बढ़ा हुआ वेतन तक नहीं दिया. हिन्दू की रिपोर्ट में कर्मचारियों ने कहा है कि कई विभागों में कोर्ट के केस के बाद भी प्रमोशन हुए हैं. बस केंद्रीय सचिवालय की सेवा में प्रमोशन नहीं हुए हैं.
2014 से प्रमोशन न होने के कारण केंद्रीय सचिवालय ने एक और संकट को जन्म दिया होगा. बिना अवर सचिव, उप सचिव के काम कैसे होता होगा ? इनकी विश्वसनियता और पारदर्शिता कैसी होती होगी ? इसकी सच्चाई तो यही लोग बता सकते हैं. हम तो केवल अनुमान लगा सकते हैं. हमें यह समझ आ रहा है कि इतने सीनियर लेवल पर 30 प्रतिशत पद ख़ाली होने से IAS पर कितना दबाव पड़ता होगा. उसकी जान निकल जाती होगी काम करने में.
राज्यों से केंद्र में न आने के एक कारण यह भी हो सकता है. वैसे इसका भी असली कारण IAS ही बताएंगे जिसे बताने की हिम्मत नहीं हैं. उन रहस्यों से अब भय होने लगा होगा कि पता नहीं कब और कौन से पेपर पर साइन करना पड़ जाए. मैं बस जानना चाहता हूं कि क्या ऐसा है ? फाइल कहां से बन कर आती है और कहां चली जाती है, क्या उन्हें पता रहता है या केवल साइन करना पड़ता है ताकि जेल जाने के समय ये लोग उपलब्ध रहें. ये मेरी जिज्ञासा है.
तो यह उस सरकार का रिपोर्ट कार्ड है जो केवल काम करने का दंभ भरती है. केंद्रीय सचिवालयों में प्रमोशन के पद को खाली रख कर सरकार ने भारत के युवाओं को बेरोज़गार रखने में काफी मदद की है.अपना भविष्य संवारने के लिए यह एक बेहतर नौकरी थी. SSC के ज़रिए परीक्षा पास कर युवा इस नौकरी में जाते थे और अवर सचिव और उप सचिव के पद तक पहुंचते थे. अच्छा हुआ कि युवा मुस्लिम विरोधी राजनीति की आंधी में नफरत का नशा ले रहे थे. वर्ना ये सब पता चल जाता.
ये ऐसा नशा है कि रोज़गार के लिए लाठी खाने पर भी नहीं जाएगा. इस पर मैं शर्त लगा सकता हूं इसलिए युवाओं से दूर भी रहता हूं. मैंने लिखा भी है कि सांप्रदायिक युवाओं से गाली मिल जाए, गले लगा लूंगा, ताली नहीं चाहिए. ऐसा इस देश में केवल रवीश कुमार बोल सकता है.
तो छह साल के दौरान प्रमोशन के इंतज़ार में रिटायर हो गए केंद्रीय सचिवालय के उन कर्मचारियों के सपने इन दिनों किस तरह के हैं ? काश इसके बारे में कोई सच सच बता देता, वैसे मैं जवाब जानता हूं लेकिन फिर भी. और अब जब प्रमोशन नहीं मिल रहा है तो मौजूदा कर्मचारियों को कैसा लग रहा है ? आरक्षण से नफरत के नाम पर सबके लिए नौकरी और प्रमोशन दोनों बंद है. सरकार और राजनीति को फायदा है कि आप आरक्षण से नफरत कर अपने दिमाग़ की तर्क शक्ति को भोथरा कर दें ताकि उसकी आड़ में न भर्ती निकले और न प्रमोशन हो. मेरी यह बात अभी समझ नहीं आएगी लेकिन बीस साल बाद समझ आएगी.
अमित शाह को भी पता है कि बेरोज़गारी के बाद भी नौजवान उन्हीं को वोट करेंगे. तभी तो वे बेरोज़गारों से नहीं मिल रहे हैं, जाट नेताओं से मिल रहे हैं. इसकी ख़बर मोटी मोटी छपवाई जा रही है. अमित शाह को पता है कि जाट नाराज़ हैं और वोट नहीं कर सकते हैं. लोग जात के आधार पर नाराज़ होते हैं, जात के आधार पर ख़ुश हो जाते हैं. नौकरी के नाम पर कोई नाराज़ नहीं होता. ऐसा होता तो अमित शाह इलाहाबाद के उस लॉज का दौरा कर रहे थे, जिसके कमरों से पुलिस ने खींच कर छात्रों को निकाला और वही सब किया जिसे पीटना कहते हैं. अमित शाह जानते हैं कि जिस नौजवान के खिलाफ पुलिस केस कर रही है वह भी वोट देगा और उसके परिवार के लोग भी वोट देंगे, बाकी आप समझदार तो है हीं.
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