Home कविताएं एक विद्रोही की अंतिम कविता

एक विद्रोही की अंतिम कविता

0 second read
0
0
432

मैं ता उम्र पानी के घर में रहा
यहांं
सांंसें लेने के लिए जद्दोजहद नहीं करनी पड़ी
मैं डूबूरी था अकपट
नाचघरों और शराबखानों से लदे हुए बाजरे
रोशनी फैलाती रही मेरे घर की
बाहरी दीवारों पर

मैं ता उम्र घसकटवा रहा
कठिन समय के उच्छिष्ट
दरकती मिट्टी के फ़र्श पर जब जब उगे
उनको हटाता गया मैं

और जलकुंभियांं
क़ानून की धाराओं की तरह
हमेशा मेरे स्वच्छंद तैरने के विरुद्ध

जिंदगी
दो उंंगलियों के बीच फंसी हुई
सस्ती बीड़ी रही
आवेश में लंबी टान से और भी सुलगती

जब जब बिना किवाड़ों के छतों के नीचे पलते
सरकंडों की बहस
शहर के कॉफी हाऊस तक पहुंंचा
आदमकद पोस्टर का एक हिस्सा
कहीं कट कर उड़ गया
वैचारिक आंंधी में

उन रातों को
नींद नहीं आती थी
बारहा तुम्हारा चेहरा याद आता था
चावल के दाने पर
रामायण और क़ुरान लिख कर
गिनीज़ बुक में नाम लिखाने वालों की दौड़ में
मैं शामिल नहीं हो सका

इसलिए
लोग मुझे गादा बंदूक़ समझ कर
राष्ट्रीय अभिलेखागार की दीवारों पर
लटका आए हैं
दस रुपए के टिकट पर छिट पुट आते
दर्शकों के लिए

वे नहीं जानते
बंदूक़ नई या पुरानी हो सकती है
बारूद शाश्वत है
मिट्टी की कोख से जना हुआ
कुछ भी बूढ़ा नहीं होता
पानी के घर में रहने वाला कोई भी
हवा के बगैर नहीं मरता

  • सुब्रतो चटर्जी

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध

    कई दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण ये शहर अब अपने पिंजरे में दुबके हुए किसी जानवर सा …
  • मेरे अंगों की नीलामी

    अब मैं अपनी शरीर के अंगों को बेच रही हूं एक एक कर. मेरी पसलियां तीन रुपयों में. मेरे प्रवा…
  • मेरा देश जल रहा…

    घर-आंगन में आग लग रही सुलग रहे वन-उपवन, दर दीवारें चटख रही हैं जलते छप्पर-छाजन. तन जलता है…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

मीडिया की साख और थ्योरी ऑफ एजेंडा सेटिंग

पिछले तीन दिनों से अखबार और टीवी न्यूज चैनल लगातार केवल और केवल सचिन राग आलाप रहे हैं. ऐसा…