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डॉक्टर्स का हड़ताल या हिन्दुत्ववादियों का षड्यंत्र

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भारत के डॉक्टर/सर्जन का चरित्र तो उसी दिन नंगा हो गया था जब देश के शीर्षस्थ डॉक्टर्स की सभा में मोदी गणेश के हाथी वाले सिर को दुनिया की सबसे प्राचीन सर्जरी बोल रहे थे और भारत का पढ़ा-लिखा नोबल व्यवसायी डॉक्टर ‘मोदी-मोदी’ के नारे के साथ तालियां पीट रहा था. धार्मिक आस्था की बात अलग भी रख दे तब भी किसी मेडिकल के व्यवसायी विशेषज्ञ से यह तक न बोला गया कि ‘हुज़ूर, आप जो निहायत गलत उदाहरण दे रहे हैं, वह प्लास्तक सर्जरी नहीं एक्सटर्नल ऑर्गन ट्रांसप्लांट के उदाहरण के अंतर्गत रखा जाना चाहिए. हालांकि आपका उदाहरण सिरे से लफ्फाजी है.’




ऐसे डॉक्टर के समूह से आप उम्मीद करते हुए न केवल चिरकुट लगते हैं बल्कि हंसी का पात्र बन जाते हैं कि वह दो मनुवादी ब्राह्मणवादी डॉक्टर्स की मामूली पिटाई पर एक प्रदेश की सरकार को अस्थिर क्यों कर रहा है ? हिंदुत्ववादी राजनैतिक टूल बन देश की मेडिकल व्यवस्था की क्यों वाट लगा रहा है ?

ये डॉक्टर्स गोरखपुर के डॉक्टर कफील के साथ हुए अत्याचार पर मुंह सीए रहे, आप तब भी नहीं समझे ?

यही डॉक्टर यूनियनें डॉ पायल तड़वी की सांस्थानिक हत्या और मनुवादी ब्राह्मणवादी उच्चवर्णीय महिला डॉक्टर्स के द्वारा उनके शोषण पर कैसे और क्यों मुंह सीए रही, आप तब भी नहीं समझे.

भारत का बहुसंख्य डॉक्टर भारतीय मीडिया के ही तरह न केवल सत्ता चाटुकार है बल्कि लोभी, जातिवादी, मनुवादी, ब्राह्मणवाद के रोग से ग्रसित पैसा बनाने को आतुर निर्लज्ज साहूकार के जैसा है.

  • फरीदी अल हसन तनवीर




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