मो. बेलाल आलम
समाज सेवक,
PWYD Organization Chairman,
Minority Cell Secretary, JDU, Patna Mahanagar
कहते हैं डॉक्टर भगवान का रूप होता है. और क्यों न कहे ! डॉक्टर शब्द सुनकर हर मरीज़ अपने आपको सुरक्षित महसूस करता है. कहें तो ईश्वर के बाद ईश्वर का दूसरा रूप डॉक्टर ही होता है. पर हमारा समाज बहुत ही बड़ा है और उसमें हर प्रकार के लोग रहते है. उसी तरह हर एक डॉक्टर एक जैसा नहीं होता.
कुछ डॉक्टरों ने अपने इस देश के प्रति और समाज के प्रति इस सेवा को एक गंदे पेशे में बदल दिया है. ऐसी ही एक कहानी है उत्तर प्रदेश के कुतुपुर बाईपास के पास जौनपुर स्थित लक्ष्मी हेल्थकेयर सेंटर एंड हॉस्पिटल की, जहां 28 अप्रैल 2020 को 28 वर्षीया शिवानी सोनकर नाम की एक गर्भवती महिला पूरे विश्वास के साथ अपने परिवार संग लक्ष्मी हेल्थकेयर सेंटर एंड हॉस्पिटल, जौनपुर में डिलेवरी के लिए जाती है और उसे एडमिट कर लिया जाता है.
एडमिट के बाद परिवार वालों से कहते हैं ‘जल्दी पैसों का इंतेज़ाम करो, तभी डिलीवरी होगी.’ परिवार वाले के पूछने पर उन्हें फीस 19,000 रुपया बताया जाता है. एक गरीब और मध्यम वर्ग का परिवार जो रात दिन मेहनत कर के एक एक रुपया जमा करता है, उसके लिए 19,000 बहुत बड़ा रकम होता है. खैर परिवार वाले पैसों के इंतज़ाम में निकल जाते है और इधर डॉक्टर एस. के. मौर्या (एम.एस.) और एक नर्स की नृशंसता शुरू हो जाती है.
पहली डीलेवरी होने के कारण वो दर्द से तड़प रही थी, पर डॉक्टर ने उस पर कोई रहम नहीं किया और न ही उसके ऑपरेशन में हाथ लगाया. ये बात कहीं न कहीं शिवानी को अहसास दिला रही थी कि जब तक पैसा नहीं मिल जाता वो उसका डिलेवरी नहीं करेंगे.
इधर शिवानी का दर्द और बढ़ता जा रहा था. वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थी, पर उस बेरहम डॉक्टर के दिल में रहम नहीं आया और उसने उल्टेे शिवानी को डांटना चालू कर दिया. बात यहीं पर खत्म नहीं होती है. मानवता और डॉक्टरों का चरित्र शर्मसार तब हो गया जब उस डॉक्टर ने एक गर्भवती को अपने अहंकार का निशाना बनाया. डॉक्टर और नर्स दोनों मिल कर उस मासूम के गालों को अपने हाथों से लाल कर दिया.
इधर शिवानी के परिवार वाले जैसे ही पैसे ले कर आते हैं, उनसे पैसा जमा ले लिया जाता है और कुछ ही देर बाद डॉक्टर बाहर आकर कहता है, हम ये केस नहीं संभाल सकते हैं. पैसे लेने के बाद डॉक्टरों का ये गंदा खेल परिवार वाले समझ जाते हैं और विरोध करते हैं, पर उन्हें धक्का दे कर हॉस्पिटल से निकाल दिया जाता है.
मानवता को तार-तार कर देने वाली ये घटना काफी शर्मनाक है. शिवानी को इस हालत में लेकर कहांं जाए ?
फिर परिवार वाले उसे डॉक्टर बी. ए. उपाध्याय के हॉस्पिटल में भर्ती करते हैं. शिवानी की स्थिति काफी बिगड़ चुकी थी, पर यहांं पर उसके इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ा गया और शिवानी को 2 बच्चे होते हैं.
इससे भी भयावह घटना बिहार के गया जिला के रोशनगंज थानाक्षेत्र के एक गांव की 24 वर्षीय महिला के साथ घटी है. लॉकडाउन के कारण बीते 25 मार्च को वह लुधियाना से ससुराल (गया) लौटी थी. महिला विवाहिता और दो माह की गर्भवती भी थी. लुधियाना में उसे अत्यधिक रक्तस्राव होने के कारण गर्भपात कराना पड़ा था, इस कारण पति ने उसे 27 मार्च को अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया था.
यहां इलाज के बाद उसे एक अप्रैल को कोरोना संक्रमण की आशंका को लेकर उसे आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करा दिया गया. वार्ड में वह अकेली रहती थी, इस दौरान नियमित जांच करने वाले एक चिकित्सक ने उसके साथ दुष्कर्म किया. महिला से लगातार दो दिन दुष्कर्म किए. विरोध करने पर उसे अस्पताल से जबरन भगा दिया. फलतः अत्यधिक ब्लिडींग से उसकी मौत हो गई.
पर सवाल ये है कि कब तक शिवानी जैसी महिलाएं ऐसे नरभक्षी डॉक्टरों का शिकार बनती रहेगी, जो पैसों के भूखे होते हैं, जिनके लिए मानवता की कोई अहमियत नहीं होती है ? क्या समाज और कानून ऐसे डॉक्टरों को, जो चिकित्सा विज्ञान को व्यवसाय का जरिया बना दिया है, सज़ा देगी ? ये घटना कही भी हो सकती है. निर्भर करता है हमारे समाज पर, वो इसका विरोध करता है या नहीं ?
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