
श्रीलंका में एक पोर्ट है उसका नाम है हम्बनटोटा. श्रीलंका इस पोर्ट को डेवलप करना चाहता था लेकिन उसके पास इतना पैसा नहीं था. तो वो भारत के पास आया. भारत के पास भी इतना पैसा नहीं था कि वो दूसरे देश के पोर्ट डेवेलोप करे जबकि खुद उसके पास एक भी बड़े जहाज खड़े करने लायक पोर्ट नहीं है. तो भारत ने मना कर दिया.
इसके बाद चीन ने कहा कि हम इन्वेस्ट करने को राजी हैं और बदले में आपको पैसा भी नहीं देना. जो विदेशी जहाज यहां आकर रुकेंगे या उतारा-चढ़ाई करेंगे उनसे पैसा वसूल लेंगे अपना. श्रीलंका के लिए एकदम बेहतरीन डील थी तो उसने हां कर दी.
भारत को जब इसका पता चला तो भारत ने श्रीलंका पर दबाव बनाया कि चीन को पोर्ट दे तो रहे हो लेकिन वहां चीन की सैन्य गतिविधि नहीं होनी चाहिए.
एक बार किसी अमेरिकी एजेंसी ने छोटी सी खबर चलाई कि हम्बनटोटा पोर्ट पर एक चीनी सबमरीन को देखा गया है. ये खबर झूठी थी या सच ये तो राम जाने क्योंकि ‘जंगल में मोर नाचा और सिर्फ अमेरिका ने देखा’ दूर बैठ के.
श्रीलंका को पता था कि इस खबर पर भारत कैसे रिएक्ट करेगा. श्रीलंका ने ऑफिसियली इस खबर का खंडन किया और भारत को विश्वास दिलाया कि न चीन की सबमरीन कभी आयी है, न कभी आएगी. पोर्ट डील में ये हिस्सा जुड़ा कि इसका उपयोग चीन कभी भी सैन्य गतिविधि के लिए नहीं कर सकता.
एक और सुनो ! भारत ने बांग्लादेश को आजाद करने में अपनी आर्मी भेजी थी. हालांकि युद्ध जीतने के बाद आर्मी वापस बुला ली थी. लेकिन बांग्लादेश तब से लेके आज तक, भारत का दोस्त है. हेलीकॉप्टर, नेटवर्क, उपकरण, अनाज, दवाई से लेके बिजली तक सब भारत से ही खरीदता है. भारत भी मदद करता है.
कल अगर बांग्लादेश की संसद में एक कानून पास हो कि हम चीन को अपने देश में, भारत के एकदम बॉर्डर पर सेना उतारने, सेना का बेस बनाने, मिसाइल लगाने की अनुमति देते हैं तो भारत का रुख क्या होगा ? क्या भारत उसके लिए तैयार होगा ? भारत और बांग्लादेश के रिश्ते कैसे बचेंगे ?
यदि भारत जैसा शांति प्रिय देश, जिसने अपनी तरफ से कभी किसी पर हमला नहीं किया, जो NAAM देशों का सस्थापक है, वो अपने बॉर्डर पर दुश्मन देशों की सैन्य गतिविधि बर्दाश्त नहीं कर सकता तो रूस जैसा बड़ा और दुनियां की दूसरी सबसे बड़ी महाशक्ति अपने बॉर्डर पर नाटो कैसे बर्दाश्त करेगी ? क्या ये बात यूक्रेन नहीं जानता या यूरोप नहीं जानता ? इसके बाद भी आपको लगता है कि हमला रूस ने किया या युद्ध रूस ने शुरू किया ?
बांग्लादेश, पाकिस्तान या श्रीलंका जैसे देश, अगर कल अपने यहां बॉर्डर के पास कोई आतंकी गतिविधि करते हैं तो भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक की है. (सनद रहे, सर्जिकल स्ट्राइक मनमोहन की सरकार में भी हुयी है, मोदी सरकार में भी. मोदी सरकार में इसकी मीडिया बाजी ज्यादा हुयी फ़र्क़ इतना है.) तो जब रूस को लगा की कि NATO के माध्यम से 32 दुश्मन देश उसके बॉर्डर पर डेरा डालने वाले हैं तो उसने भी हमला कर दिया. आपको क्या लगता है, कोई भी देश अपने दरवाजे पर 32 देशों का फ्री फ़ोकट में डेरा डालना पसंद करेगा ?
- लक्ष्मी प्रताप सिंह
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