जगदीश्वर चतुर्वेदी
बेरोजगारों को क्रिमिनल किसने बनाया ? ह्वाटस एप गैंग और मोदी की नीतिहीनता ने. मोदी सरकार तुरंत केन्द्र में रिक्त स्थानों की भर्ती पर लगी पाबंदी हटाए. विगत आठ साल में जो पद खत्म किए गए हैं, उनको बहाल करे. ये दो घोषणाएं तत्काल करें और विभिन्न मंत्रालयों और केन्द्रीय संस्थानों में भर्ती के विज्ञापन तत्काल जारी करे, सेना और पुलिस में रिक्त पदों की भर्ती की प्रक्रिया तत्काल शुरू करें. संविदा सैनिक भर्ती के नाम पर देश के युवाओं के साथ अपमानजनक आचरण तुरंत बंद करें.
इस देश के मालिक भारत के युवा हैं, न कि पीएम मोदी और आरएसएस वाले. पीएम मोदी अपने आचरण में से राजा के भाव को निकालें, वे बेरोजगारों से जनसेवक की तरह विनम्रता से पेश आएं और अपनी नाकामी के लिए, आठ साल तक नौकरियों पर पाबंदी लगाए रखने के लिए राष्ट्रीय प्रसारण करके माफी मांगें.
इस देश के युवाओं की पीएम चाहिए, राजा नहीं. मोदी अपने को राजा समझते हैं और जनता को नागरिक नहीं प्रजा समझते हैं. इस राजा-प्रजा के भावबोध की धुरी है आरएसएस की विचारधारा. उसमें लोकतंत्र और नागरिक के लिए कोई स्थान नहीं है. भाजपा के स्थानीय नेताओं को जनता को घेरना चाहिए. वे नागरिकों के साथ संविधान के अनुकूल आचरण नहीं कर रहे. वे जनता की बेकारी की समस्या पर एक शब्द नहीं बोल रहे. उनका मानना है सरकार का काम नौकरी देना नहीं है. कल तक ये ही लोग हर साल दो करोड़ नौकरी देने का वायदा करके वोट लेते रहे और जनता को ठगते रहे हैं.
मूल मसला बेरोजगारी है. युवा लोग रोजगार न मिलने से परेशान हैं. भयानक अवसाद और गुस्से में जी रहे हैं. इस स्थिति को मोदी सरकार ने पैदा किया है. संविदा सैनिक भर्ती मूल समस्या नहीं है. मोदी सरकार ने बेरोजगारों के साथ छल-कपट, बेईमानी और धूर्तता की सारी हदें पार कर दी है. उनके विश्वास और वोट के साथ छल किया है. आठ साल से वह उनको ठगती रही है और देस बेच दिया है. नौकरियों पर केन्द्र सरकार ने पाबंदी लगाई हुई है. बाजार ध्वस्त पड़ा है. बाजारों में खरीददार नहीं हैं.
बेरोजगार युवाओं के मन में अशान्ति, हिंसा और नफरत को मोदी मीडिया ने विगत आठ सालों में इस कदर बिठाया है कि उसकी भारत के इतिहास में मिसाल नहीं मिलती. मीडिया ने जितनी अशान्ति, नफरत और हिंसा युवाओं में भरी है, उतनी तो औरंगजेब ने भी नहीं भरी थी. यह सब किया गया विपक्ष को बदनाम करने और देश बेचने के नाम पर और उसे नाम दिया गया विकास.
असल में विकास की आड़ में युवाओं को भाजपा ने ठगा है, भाजपा के मीडिया सैल और उनके साइबर प्रचारकों ने जिस अशांति, नफरत और हिंसा के बीज बोए थे. इनसे सारा देश गुस्से में है, खासकर युवावर्ग सबसे अधिक गुस्से में है. युवाओं की शिक्षा, नौकरी और भविष्य की सारी अच्छी मंशाओं पर पीएम मोदी ने पानी फेर दिया है. हाल में जो उग्र प्रदर्शन की घटनाएं हुई हैं, ये सब मोदी-मीडिया गैंग द्वारा निर्मित प्रौपेगैंडा के साइड इफेक्ट की देन है. युवाओं को यदि विगत आठ सालों में नौकरियां दी गई होतीं तो हिंसा या उग्र प्रदर्शन नहीं होते. लेकिन मोदी गैंग को इसकी चिंता ही नहीं है. वे तो बेरोजगारों पर ही हमले कर रहे हैं, उनको बदनाम कर रहे हैं.
पीएम मोदी स्वयं सारे देश को बताएं कि उन्होंने विगत आठ साल में बीस करोड़ नौकरियां कैसे और क्यों छीनी ? युवाओं को हर साल दो करोड़ नौकरी देने का जो वायदा किया था, वह वायदा उन्होंने पूरा क्यों नहीं किया ? बेरोजगारी पैदा करके, लोगों की नौकरियां छीनकर मोदी सरकार ने महा-अपराध किया है. इस महा-अपराध के कारण हर साल हजारों युवक आत्महत्या करने को मजबूर हुए हैं. लाखों किसानों ने आत्महत्या की है. इन हत्याओं के लिए जिम्मेदार एकमात्र मोदी सरकार, भाजपा-आरएसएस और उनका मीडिया गैंग है.
दिलचस्प बात है बेकारी और कर्ज में समाज को डुबो देने को मोदी गैंग क्राइम नहीं मानता बल्कि देशसेवा मानता है. जी नहीं, यह देश सेवा नहीं महा-अपराध है, यह ऐसा अपराध है जिसके सामने युद्धापराध, दंगे के अपराध भी बौने हैं. हजारों-लाखों युवा और किसान हर साल आत्महत्या कर रहे हैं. ये आत्म हत्याएं मोदी सरकार की नीतिहीनता और खासकर बेरोजगारी दूर न करने के कारण हुई हैं. भारत के प्रत्येक नागरिक और युवा वर्ग की जिम्मेदारी बनती है कि वह सड़कों पर उतरे और जनांदोलन करे.
बेरोजगारी पैदा करना महा-अपराध है और इसके लिए एकमात्र मोदी सरकार और उनके समर्थक दल जिम्मेदार हैं. बेरोजगार युवाओं को आपका समर्थन और शिरकत चाहिए, आपके उपदेश नहीं. उनको नौकरी चाहिए, मोदी के भाषण नहीं. युवाओं को अपने आंदोलन को शांतिपूर्ण ढ़ंग से संगठित करके देशव्यापी संघर्ष की शक्ल देनी चाहिए.
भाजपा और मोदी गैंग युवाओं पर हिंसा के आरोप लगाना बंद करे. नौकरी पाना उनका जन्मसिद्ध अधिकार है और इस अधिकार के लिए वे हर तरह की कुर्बानी देंगे. बिना कुर्बानी और शांतिपूर्ण संगठित आंदोलन के बेकारी खत्म नहीं होने वाली. देश का चक्का जाम करो उसके बाद ही मोदी के कानों में आपकी आवाज पहुंचेगी. मोदी सरकार बहरी सरकार है. वह जनता की आवाज नहीं सुनती. उसे बेकारों की आवाज सुनाने के लिए हर शहर में जनसैलाव पैदा करो ! चक्का जाम करो !
आरएसएस-भाजपा-मोदी का थोथा राष्ट्रवाद
संघी-भाजपाईयों में दम है तो मैदान में नजर आएं. कोरी मीडियाबाजी से कुछ नहीं होने वाला. भारत सरकार सीधे चीन विरोधी उन्माद के खिलाफ बयान जारी करे या फिर घोषित करे कि चीन से वह मोर्चा लेने के मूड में है. टुच्ची बयानबाजी से भारत-चीन संबंध खराब होंगे. चीन से दुश्मनी है या मित्रता, भारत सरकार साफ उत्तर दे. असली आरएसएस वाला वह माना जाएगा जो अपने घर में रखे चीनी माल की पास की गली के चौराहे पर होली जलाए.
भाजपा के सांसद-विधायक पदाधिकारियों को चीनी माल की होली जलाने के काम में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए. कांग्रेस एक जमाने में विदेशी मालों की होली जला चुकी है, इस बार संघियों का नम्बर है. दम है, साहस है, कुर्बानी करने का माद्दा है तो सबसे पहले संघीगण अपने चीनी मोबाइल इकट्ठे करें और सारे चीनी मोबाइल आग के हवाले करें, वरना चीनी माल का बहिष्कार नाटक माना जाएगा. हम देखना चाहते हैं आरएसएस-भाजपा में चीन के माल के बहिष्कार का कितना दम है !
दिलचस्प है भारतीय कंपनियां अमेरिका में तेजी से निवेश कर रही हैं लेकिन भारत में निवेश नहीं कर रही, यह कैसा राष्ट्रवाद है ? 155 भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में 22 बिलियन डॉलर के करीब 1.6 लाख करोड़ रुपए का निवेश कर रखा है. इससे अमेरिका में 1.25 लाख नौकरियां पैदा हुई हैं.
अब संघी-भाजपाई ‘वंदेमातरम्’ नहीं कहते बल्कि ‘जय श्री राम’ का नारा लगाते हैं, इसने राष्ट्रवाद की उनके एजेण्डे से विदाई कर दी है.
जनसभाओं से लेकर सीरियलों तक जयश्रीराम का नारा गूंज रहा है, वंदे मातरम् को दफ्न कर दिया गया है. संसद में यह नारा वे कई बार लगा चुके हैं. अब इतनी ही कसर बाकी है कि लालकिले से भाषण देते समय पीएम भी जयश्री राम का नारा लगा दें ! उससे अपने भाषण का समापन करें ! उसके बाद यह राष्ट्रीय नारा बन जाएगा !
दूसरी ओर, मोदी भक्त टीवी एंकरों को अपने टीवी टॉक का शुभारंभ इसी नारे से करना चाहिए. संघ की कारसेवा करने का यह शुभ समय है ! अगले चरण के तौर पर राष्ट्रीय गान के विकल्प के तौर पर हनुमान चालीसा को व्यवहार में लागू करना चाहिए !
हम सवाल करते हैं भारतीय कंपनियों को भारत में निवेश के लिए राजी करने में आरएसएस-मोदी सफल क्यों नहीं हुए ? क्या भारत में हिन्दुओं को नौकरी नहीं चाहिए ? भारतीय कंपनियां और निवेश अमेरिका में कर रही हैं और भारत में थोथे राष्ट्रोन्माद और हिंसाचार के लिए पैसे दे रही हैं !
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