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संस्कृतियों का फर्क : सरहुल की शोभायात्रा में ‘पथराव’ क्यों नहीं होता कभी ?

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संस्कृतियों का फर्क : सरहुल की शोभायात्रा में 'पथराव' क्यों नहीं होता कभी ?
संस्कृतियों का फर्क : सरहुल की शोभायात्रा में ‘पथराव’ क्यों नहीं होता कभी ?
विनोद कुमार

रांची की सड़कों पर आदिवासियों के प्रमुख पर्व सरहुल की शोभा यात्रा और रामनवमी की शोभायात्रा हर वर्ष कुछ दिनों के अंतराल पर होती है. दोनों शोभा यात्रा हर्ष और उत्साह से निकाला जाता है. और विशाल आबादी इसमें शिकरकत करती है. लेकिन यह अजीब बात है कि सरहुल की शोभायात्रा के दौरान तो किसी तरह की अप्रिय घटना या पथराव आदि आज तक देखने को नहीं मिला, लेकिन रामनवमी की शोभायात्रा के दौरान सामान्यतः कुछ न कुछ अशांति, सांप्रदायिक टकराव-तनाव, पथराव आदि के मामले होते ही होते हैं.

इस वर्ष भी सरहुल की शोभायात्रा के दो दिन बाद रामनवमी की शोभायात्रा रांची और पूरे देश में निकली. सरहुल की शोभायात्रा के दौरान किसी तरह की अप्रिय घटना नहीं हुई. हालांकि ट्रैफिक को सुचारु रूप से चलाये रखने और एहतियात के तौर पर कुछ पुलिसकर्मी विभिन्न जगहों पर तैनात किये गये थे, लेकिन उनके लिए शोभायात्रा तनाव का विषय नहीं था. लेकिन रामनवमी की शोभायात्रा शहर में तनाव का विषय था. कानून व्यवस्था को बनाये रखने के लिए नियंत्रण कक्ष बनाये गये. हजारों सुरक्षार्मियों की तैनाती की गयी.

संस्कृतियों का फर्क : दो दिन पहले हमने रांची की सड़कों पर सरहुल की शोभा यात्रा देखी, आज रामनवमी की शोभा यात्रा है और यह उसकी पूर्व तैयारी. जैसे सड़क पर कोई युद्ध होने वाला हो और युद्ध भी पता नहीं किसके खिलाफ ! खैर, प्रशासन चाक चौबंद है और इस तरह की तैयारी झारखंड के हर प्रमुख शहर में है.

प्रशासन की मुश्तैदी की वजह से इस वर्ष रामनवमी में पिछले वर्षों की तरह सांप्रदायिक हिंसा या टकराव नहीं हुआ लेकिन हजारीबाग से यह रोचक खबर आयी कि रामनवमी के दिन स्टंट दिखाने के क्रम में या फिर वाहन पोल आदि से टकरा देने की वजह से कम से कम एक हजार लोग जख्मी हुए. ज्यादातर को मामूली जख्म लेकिन कुछ को गंभीर चोटें भींश. और पूरे देश की बात करें तो दर्जनों जगहों पर फसाद, कम से कम चार राज्यों में सांप्रदायिक तनाव, आगजनी और दंगे. बंगाल और बिहार में तो दंगों की आग अभी भी सुलग रही हैं.

और सामान्यतः सांप्रदायिक तनाव भड़कने की वजह ‘पथराव’ बताया जाता है. कहा जाता है कि शोभायात्रा पर किसी स्थान विशेष में शरारती तत्वों ने पथराव किया, जिसकी वजह से जवाबी कार्रवाई हुई और सांप्रदायिक तनाव भड़क उठा. उसके बाद आगजनी, लूट, छूरेबाजी, बम के धमाके, फायरिंग आदि. फिर दोनों पक्षों द्वारा बयानबाजी, एक दूसरे पर दोषारोपण, फिर प्रशासन द्वारा जांच की बात, कथित दोषियों के खिलाफ एफआईआर, गिरफ्तारी आदि.

सवाल यह है कि रांची शहर में बस दो चार दिनों के अंतराल पर आदिवासियों के पर्व सरहुल और हिंदुओं के पर्व रामनवमी के अवसर पर सड़कों पर शोभायात्रा निकाली जाती है और वह भी वर्षों से. सरहुल खुशियों और उमंग के रंग बिखेरता गुजर जाता है और कथित रूप से शांति और सद्भाव के लिए निकली रामनवमी यात्रा तनाव. और देश भर से जहां तहां हुए तनाव की वजह उस पर हुए ‘पथराव’ को बताया जाता है. ऐसा होता क्यों हैं ? कोई जवाब हो तो बतायें, क्योंकि इसी में छुपा है पथराव की राजनीति का रहस्य.

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ROHIT SHARMA

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