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डीएचएफएल : नीलामी में कानूनी लड़ाई, पर कंपनी का नुकसान तय

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डीएचएफएल : नीलामी में कानूनी लड़ाई, पर कंपनी का नुकसान तय

गिरीश मालवीय

दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) को खरीदने के लिए अडानी ग्रुप इतना व्यग्र है कि उसने संशोधित बोली जमा करने की समय सीमा 9 नवंबर को खत्म हो जाने के बाद शनिवार को डीएचएफएल के लिए पहले से ऊंची बोली लगा दी है.

डीएचएफएल को खरीदने के लिए ओकट्री, अडानी एंटरप्राइजेज, पीरामल इंडस्ट्रीज और एससी लोवी ने बोली लगाई थी. इसमे ओकट्री ने सबसे ज्यादा 31,000 करोड़ रुपये की संशोधित पेशकश दी थी. लेकिन अब अडानी ने अचानक पूरी कंपनी के लिए ओकट्री की बोली से 250 करोड़ रुपए ज्यादा ऊंची बोली लगाने का फैसला किया.

इस बात से पीरामल एंटरप्राइजेज लिमिटेड और ओकट्री नाराज हो गए हैं. पीरामल ने एसबीआई को लिखा है कि ‘यदि अडानी की बोली स्वीकार की जाती है, तो वह कानूनी कदम उठाएगी.’ पीरामल का तो यहां तक कहना है कि ‘उसके द्वारा जमा किए गए प्लान को लीक कर दिया गया है.’

पीरामल ने कहा है कि कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) यदि अडानी की बोली को स्वीकार करता है, तो वह और अन्य सभी बोलीदाता नीलामी की दौर से बाहर हो जाएंगे. अडानी की नई बोली इंसॉल्वेंसी कानून के प्रावधानों के मुताबिक नहीं है. उसने कहा कि अडानी ने नई बोली के लिए जो समय चुना है, उससे इस रिक्वेस्ट फॉर रिजॉल्यूशन प्लान की सारी कवायद खराब हो जाएगी और रिजॉल्यूशन प्लान पेश करने के लिए हमारी व अन्य कंपनियों द्वारा की गई सारी मेहनत बेकार हो जाएगी.

अब कहा जा रहा है कि कानूनी लड़ाई और नीलामी में देरी से बचने के लिए कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) अंतिम बोली लगाने की प्रक्रिया फिर से शुरू करेंगे. इससे कोई भी बोलीदाता प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे और डीएचएफएल को खरीदने के लिए वे नई या संशोधित बोली जमा कर सकेंगे.
वैसे चाहे ओकेट्री की बोली चुनी जाए या अडानी की, कंपनी को करीब 60% का नुकसान होना तय है. डीएचएफएल पर 95 हजार करोड़ रुपए की स्वीकृत देनदारी है. बैंकों को लगभग 65,000 करोड़ रुपये की कर्ज राइट-ऑफ करना होगा. यह किसी एक कम्पनी का अब तक का सबसे बड़ा राइट ऑफ होगा.

वहीं दूसरी ओर, न खाऊंगा न खाने दूंगा की बात करने वालो ने ICICI Bank की पूर्व सीईओ चंदा कोचर को क्लीन चिट दे दी है. वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत कह रहे हैं कि ‘प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) से जुड़ी अथॉरिटी ने चंदा कोचर की प्रॉपर्टी जब्त करने का आदेश खारिज कर दिया और उन्हें क्लीन चिट दे दी.

इसके साथ ही ईडी अब चंदा कोचर की प्रॉपर्टी जब्त नहीं करेगी. इससे इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी एक्ट (आईबीए) के सेक्शन 12A के तहत वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज का डेट रिस्ट्रक्चरिंग के लिए अब आवेदन कर सकती है. अगर यह सच है तो साफ दिख रहा है कि मोदी सरकार ICICI Bank की पूर्व सीईओ चंदा कोचर को बचा रही है.

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ROHIT SHARMA

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