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डिटेंशन कैम्प बनाम हिटलर का गैस चैंबर

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डिटेंशन कैम्प बनाम हिटलर का गैस चैंबर

concentration-camp in Germany i.e. gas chamber

डिटेंशन सेंटर्स की देशव्यापी चर्चा के बीच एक जानकारी देना ठीक रहेगा. बस ऐसे ही जनरल नॉलेज के लिए है. पहले पहल जर्मनी में यहूदियों के लिए जो कैंप बनाए गए थे, उनमें गैस चेंबर जैसी कोई बात नहीं थी. नाज़ियों ने यहूदियों को नागरिक मानने से इनकार करते हुए उन्हें कैंपों में पहुंचाया था और उनसे शारीरिक श्रम कराते थे.

यहूदियों और बहुत से उदारवादी जर्मनों को यही लगा कि कैंप एक विशेष जेल की तरह हैं, उससे अधिक कुछ नहीं. ये तो दुनिया को बाद में मालूम चला कि हिटलर ने यहूदियों के लिए जो बनवाया था वो कैंप नहीं बल्कि यातनागृह थे. कई तरीकों से यहूदियों को सामूहिक मौत देने का काम चोरी-छिपे चलता था.

Under-construction detention centres, at Kadamtola Gopalpur village in Goalpara district of Assam on August 29, for those not included in the NRC; (right) the frame of one of the centres. (AP picture)

नाज़ियों को हराने वाली सैन्य टुकड़ियां जब जर्मनी में घुस आईं और कैंप उनके कब्ज़े में आए, तब पहली बार पता चला कि जिन्हें यहूदियों का कैंप माना गया था वो सिर्फ कैंप नहीं थे. कुछ ज़िंदा बचे रह गए यहूदियों ने अपनी कहानियां सुनाईं. तब बहुत से गैर-यहूदी जर्मन भी डर के मारे कांप गए. उन्होंने हिटलर में एक लड़ाकू तो देखा था पर निर्मम जल्लाद नहीं, जो औरतों-बच्चों तक को गैस चैंबर में निर्दयता से फेंक कर उन्हें राख बना देने के बारे में सोचता तक नहीं था. आगे चलकर यहूदियों की डायरियां छपीं, जर्मनी में मुकदमों की सुनवाई हुई और मीडिया ने भी अपनी रिपोर्ट्स छापी तो इन यातनागृहों की जानकारी बारीकी से दी गई.

मैंने सालों पहले कई फिल्मों के बारे में लिखा था जो इसी कालखंड पर आधारित हैं, उन्हें देखा जाना चाहिए. यातना शिविरों की कुछ झलक वहां मिलती है, यही वजह है कि पश्चिम अब तक ऐसे शिविरों से घबराता है. वहां सशंकित होकर इन्हें देखा जाता है. वो नहीं चाहते कि किसी भी बहाने से उस ज़मीन पर फिर ऐसे शिविर उग आएं. उन कुछ फिल्मों के नाम लिख रहा हूं, जो देखी जानी चाहिए. कमेंटबॉक्स में आप भी नाम जोड़ सकते हैं.

शिंडलर्स लिस्ट, लाइफ इज़ ब्यूटीफल, द ब्वॉय इन द स्ट्राइप्ड पाज़ामास, द पियानिस्ट, द डायरी ऑफ एन फ्रेंक, हिटलर : द राईज़ ऑफ इविल (टीवी सीरीज़).

  • नितिन ठाकुर

नोट : जर्मनी में बनाये गये गैस चैम्बर को हिटलर ने कॉन्सेनट्रेशन कैम्प कहा था और भारत में मोदी शाह की जोड़ी ने डिटेंशन कैम्प कहा है. नाम में भी कितनी समानता है.

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