कच्ची गोलिय़ां नहीं खेले हैं वे
वे सयाने हैं
वे जानते हैं
किस तरह तुम्हारी खाल में घुसकर
तुह्मारे जैसा दिखना
और फिर, धीरे धीरे
ज़हर बुझी सूईयों को
तुम्हारे दिलो दिमाग में डालना.
तुम्हें पता भी नहीं चलेगा
और एक दिन
तुम बोलने लगोगे उनकी ज़बान.
तुह्मे पता भी नहीं चलेगा
और एक दिन
तुम उठा लोगे
अपने ही ख़िलाफ हथियार.
वे सयाने हत्यारे हैं
वे ख़ुद नहीं मारते
वे मज़बूर करते तुम्हें
ख़ुदकुशी को
और तुम खुशी खुशी अपना लेते हो
अपनी मौत.
- सुब्रतो चटर्जी
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