Home ब्लॉग आभा का पन्ना प्रिय अंडों और नफरती चिंटुओं…, फ्लॉवर समझा है क्या, फायर है हम…!

प्रिय अंडों और नफरती चिंटुओं…, फ्लॉवर समझा है क्या, फायर है हम…!

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आभा शुक्ला

क्या सच में आपके आईटी सेल के विमर्श का स्तर इतना गिर गया है कि मेरे लेखों के जवाब में आपको मुझे गाली, अश्लील वीडियो और नंगी फोटो सेंड करनी पड़ती हैं…?

क्या लगता है तुम्हें कि तुम हमको अश्लील तस्वीरें भेजोगे, अश्लील बातें, अश्लील वीडियो क्लिप भेजोगे तो हम सोशल मीडिया छोड़ देंगे…? ऐसा कुछ नहीं होगा मेरे बच्चे….! हमको तुम्हारी नीचता की हद पता है इसलिए हमको घंटा फर्क नहीं पड़ता इन सब हरकतों से…!

और काहे हमको बेकार में ये क्लिप भेजते हो…? तुम्हारी पार्टी के लोगों के जितने भी एमएमएस लांच हुए हैं न, हमने सब देखे हैं…! दो एक कहो अभी लैपटाप में पड़े भी हों…बताना, भेज देंगे….! इसलिए क्लिप भेज कर हमको शर्मिंदा करने की कोशिश मत करो. हम नहीं होएंगे…! फ्लॉवर समझा है क्या, फायर है हम…!

ये लड़की बिलकुल नहीं शर्माती है…., न डरती है…., न तुम्हारी हरकतों से दुःखी होती है. हां, तरस तुम्हारी मां पर जरूर आता है. बेचारी अगर उस दिन तुम्हारे बाप को जुतिया के भगा दी होती तो आज उसकी कोख पर तुम्हें पैदा करने का कलंक नहीं होता…!

बाकी तुमको सादर जूतांजलि रहेगी…!

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एक बात बताऊं अपने बारे में आपको…! मैं बिल्कुल अच्छी लड़की नहीं हूं. कोई सभ्यता, संस्कार, शिष्टता नहीं है मुझमें…!

कोई नियम संयम नहीं है. बिना ब्रश के चाय पी लेती हूं, बिना नहाए खाना भी खा लेती हूं, पूजा पाठ करती नहीं, धार्मिक जगहों पर जाती नहीं, कोई व्रत पर्व करती नहीं…!

मेरे रिश्ते नहीं बन पाते जल्दी किसी से…! खुद से किसी से बात शुरू नहीं कर पाती…! घर पर कोई आ जाए या किसी के घर जाना पड़े तो सोचकर दम निकलती है कि मेहमान/मेजबान से बात क्या करूं…, घमंडी नहीं हूं पर बात करना ठीक नहीं लगता बेवजह कहीं भी किसी से भी.

सालों साल पड़ोसियों से भी एक शब्द बिना बोले हो जाता है…मुझे आवशयकता महसूस नहीं होती बोलने की…एकांकी स्वभाव है…!

सहेलियों के साथ हंसती खिलखिलाती लड़कियों को देखकर सोचती हूं कि मै कभी ऐसी क्यों नहीं बन पाई… पर नहीं बन पाई…!

बस मैं ऐसी ही बन पाई…!

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