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दलाल चुनाव आयोग और उसका ‘‘हैकाथन’’

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केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी की दलाली में नंगई पर उतारू दलाल चुनाव आयोग देश में लोकतंत्र की हत्या करने पर उतारू है. लोगों को मूर्ख बनाने के लिए वह देश में करोड़ों रूपये खर्च कर अब एक ड्रामा आयोजित कर रहा है. इस ड्रामें का नाम उसने रखा है – ‘‘हैकाथन’’. हैकाथन एक प्रतिष्ठित आयोजन का नाम है, जिसमें दुनिया भर के कम्प्यूटर के जानकार किसी साॅफ्टवेयर की बिना किसी शर्त या पाबंदी के उसकी कमजोरियों की जांच करते हैं, ताकि उसके कमजोरियों को दूर किया जा सके. पर भारत में चुनाव आयोग हैकाथन के नाम पर शर्तों के पुलिंदा के साथ एक ‘‘ड्रामा’’ का आयोजन कर रहा है.

चुनाव आयोग की तिलस्मी जादुई यंत्र ईवीएम के साथ छेड़छाड़ कर मनचाहे दल को चुनाव में विजयी घोषित करने की परम्परा को चुनौती मिलने से बौखलाया चुनाव आयोग येन-केन-प्रकारेण खुद को और अपने ईवीएम को सही साबित करने के लिए नंगई पर उतर आया है. पहले तो वह पंजाब से लेकर उत्तरप्रदेश सहित नगर निगमों के चुनाव में मोदी को जिताने के लिए ईवीएम का प्रयोग मनचाहे तरीके से किया और जब उसे चुनौती मिलने लगी तो वह हैकाथन के आयोजन के नाम पर लोगों को मूर्ख बनाने लगा. पहले तो उसने नीचतापूर्ण तरीके से ईवीएम को ‘‘अकाट्य’’ बताया फिर 5 मई को हैकाथन के आयोजन का अघोषित तिथि बता कर लोगों को डराने का कुचेष्टा किया जिसे दलाली में काफी नाम कमा चुके मुख्यधारा की मीडियाओं ने इसे जम कर भुनाया और लोगों का डराने का प्रयास किया. पर जब इससे भी बात नहीं बनी तब जाकर अब चुनाव आयोग ने 3 जून, 2017 को ‘‘हैकाथन’’ नाम का एक ड्रामा खेलने की तैयारी कर ली.

इस ड्रामे की पटकथा भी खुद ही लिख चुके दलाल चुनाव आयोग हैकाथन के बुनियादी वसूल या सिद्धांत को ठेंगे पर रखकर अपना नया गाईड लाईन तैयार कर लिया है. इस गाईड लाईन के अनुसार उसने बजाय किसी पेशेवर हैकर को बुलाने के, तकनीकी ज्ञान से अपरिचित, सवाल उठाने वाले विभिन्न राजनीतिक दलों को ही इस ईवीएम को हैक करने की चुनौती दे डाला. हलांकि जब इस चुनौती को भी आम आदमी पार्टी के विशेषज्ञों ने स्वीकार कर लिया तब उसने इस चुनौती के साथ शर्तों का पुलिंदा जोड़ दिया. शर्तों के पुलिंदें के साथ हैकाथन का अयोजन कतई नहीं होता है. फिर भी इस शर्तों में क्या है, आइये जानते हैं:

1 राजनीतिक पार्टियां हालिया विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल की गई मशीनों का इस्तेमाल तो कर सकती है लेकिन इसमें विदेशी विशेषज्ञों को भाग लेने की पाबंदी है.
2. यह चुनौती सिर्फ राष्ट्रीय और राज्य पार्टियों के लिए होगी जिन्होंने पांच राज्यों जिसमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा और पंजाब का लड़ा था.
3. ईवीएम की मदरबोर्ड बदलने और गड़बड़ी को बाद की तारीख में साबित करने के लिए उसे घर ले जाने की अनुमति नहीं होगी.
4. प्रतिभागियों के हर पार्टी से तीन सदस्यों को ही ईवीएम की पड़ताल की इजाजत दी जायेगी ताकि वे सर्किट, चिप और मदरबोर्ड की जांच कर सके. पांच राज्यों की विधानसभा सीटों से उनकी पसंद की चार ईवीएम उन्हें दी जायेगी.
5. चुनौती के बारे में फैसला मुख्य रूप से आयोग की तकनीकी विशेषज्ञों की समिति करेगी.
6. चुनौती करीब 4-5 दिन चलेगी, जो प्रतिभागियों की संख्या पर निर्भर है.
7. हर प्रतिभागी समूह को मशीन हैक करने के लिए 4 घंटे का वक्त दिया जायेगा.
8. हैकाथन का अयोजन स्थल निर्वाचन सदन होगा जो आयोग का मुख्यालय है.
9. चुनाव आयोग के अनुसार यह दो भागों में होगा. पहला भाग में पार्टियों को यह साबित करना होगा कि किसी खास उम्मीदवार या पार्टी के पक्ष में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल की गई ईवीएम से छेड़छाड़ हुई थी और मशीन में दर्ज नतीजों में बदलाव कर ऐसा किया गया था. वहीं दूसरे भाग में प्रतिभागियों को यह साबित करना होगा कि इस ईवीएम में मतदान के दिन या उस दिन के पहले गड़बड़ी की गई थी.

सवाल उठता है जब चुनाव आयोग का ईवीएम पूरी तरह प्रुफ है तो विशेषज्ञ क्या देशी और क्या विदेशी ? चुनाव आयोग का पहला ही शर्त ईवीएम की विश्वसनीयता को संदिग्ध बनाता है तो दूसरी ओर मदरबोर्ड को न बदलने की मांग ने इस पूरे मैराथन हैकाथन को ही महज एक ड्रामा बना देता है. निश्चित रूप से चुनाव आयोग के इस हैकाथन के नाम पर आयोजित होने वाले ड्रामेबाजी का बहिष्कार किया जाना चाहिए और दलाल चुनाव आयोग को मजबूर करना चाहिए कि वह ‘‘हैकाथन’’ को उसके वास्तविक स्वरूप में आयोजित करें न कि ड्रामेबाजी में देश की जनता के टैक्स के पैसों को उड़ाये.

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

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4 Comments

  1. Ankush

    May 27, 2017 at 4:12 am

    इस लेख को लिखने वाले लोगों को सिर्फ़ भ्रमित कर रहे है। अगर दुनिया में किसी software का भी hackathon होता है तो software बनाने वाली कम्पनी उसका source code कभी hackers को नहीं देती ।।
    अगर hackathon में सोर्स कोड दे दिया जाए तो कोई भी software hack हो जाएगा ।।
    इस तरह की जानकारी के बिना ये लेख केवल बेवक़ूफ़ बनाने का काम कर रहा है ।

    Reply

    • Rohit Sharma

      May 28, 2017 at 10:13 am

      जिस प्रकार भारत में चुनाव आयोग ने EVM Hackathon को इंकार कर दिया उसी प्रकार बोतस्वाना *अफ्रीका* में जहाँ आज “आप” विधायक सौरभ भारद्वाज ईवीएम टेम्पर करने वाले थे ! वहाँ BEL (Bharat Electronic Ltd) EVM Hackathon से पीछे हट गई है और भाग खड़ी हुई !

      यह वही कंपनी है जो भारत की EVM मशीन बनाती है और जिसने कहा था कि भारत की EVM टेम्पर प्रूफ है!!

      *बोत्सवाना के प्रमुख विरोध पक्षके आरोप ही BEL कंपनी के खिलाफ थे और वहीं भाग खडे हुए !!*

      देखिये बोत्सवाना से आपके विधायक सौरभ भारद्वाज का ये विडीयो :

      https://youtu.be/X49GBzlAspQ

      *बहुत बड़ा गड़बड़झाला है भई!!*

      #लोकतंत्र_से_खिलवाड़

      Reply

    • Rohit Sharma

      May 28, 2017 at 10:55 am

      चुनाव आयोग के अनुसार वो न तो सोर्स कोड बताएगा और न ही हार्डवेयर में हेरफेर करने देगा । फिर भी कहते है कि उनकी मशीनें टेम्पर प्रूफ है । ठीक है । तो चुनाव आयोग बिना छूए और बिना सोर्स कोड जाने उस मशीन को टेम्पर करके दिखाए जिसे AAP ने विधानसभा में टेम्पर करके दिखाया था । यदि चुनाव आयोग ऐसा कर पाता है तो मान लिया जाएगा कि बिन छूए, बिन सोर्स कोड के दूसरी EVM तो टेम्पर हो सकती है लेकिन चुनाव आयोग की नही ।

      Reply

  2. Rohit Sharma

    May 28, 2017 at 10:14 am

    अरे भाई जब मदरबोर्ड को हाथ नहीं लगाने दे रहे तो समझो कि चुनाव आयोग मान गया कि मदरबोर्ड के माध्यम से #EVM में टेम्परिंग करके चुनाव किसी के भी पक्ष में किया जा सकता है #सीधी_बात_नो_बकवास

    Reply

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