1947 से देश जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, भारत की सत्ता उतनी ही ज्यादा क्रूर होती जा रही है. उसकी यह क्रूरता देश के उन तमाम मेहनतकश आबादी – दलित, पिछड़ा, आदिवासी, महिलाओं – पर तो स्पष्ट दृष्टिगोचर हो ही रहा है, इसके साथ-साथ उन बुद्धिजीवी और प्रगतिशील लोगों पर भी साफ झलक रहा है, जो कोई इन क्रूरताओं पर सवाल उठाने की हिमाकत करते हैं, चाहे सत्ताच्युत होती कांग्रेस हो या सत्तारूढ़ हुई भाजपा की मोदी सरकार हो. सत्ता की यह क्रूरता लेखक, बुद्धिजीवी, पत्रकार, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता तो झेल ही रहे थे, अब इस कड़ी में नया नाम कार्टूनिस्टों का शामिल हो गया है.
कानपुर के रहनेवाले असीम त्रिवेदी पर भारत की सत्ताच्युत होने वाली कांग्रेस की क्रूरता तब फूट पड़ी थी जब उन्होंने 2012 के अन्ना आन्दोलन के दौरान सत्ता की क्रूरता को दर्शाने के लिए खून सनी मूख वाली अशोक स्तम्भ के बाघ को लेकर कार्टून बनाया, जिसको लेकर आननफानन में कांग्रेस की सरकार ने पुलिस भेजकर असीम त्रिवेदी को गिरफ्तार कर लिया और उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 124 (राजद्रोह), सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 ए और राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान की रोकथाम अधिनियम की धारा 2 के तहत शनिवार को हिरासत में लिया गया था.
अब इसी कड़ी में लोकप्रिय कार्टूनिस्ट हेमन्त मालवीय के खिलाफ इसी क्रूरता को अंजाम दिया जा रहा है. हेमन्त मालवीय सोशल मीडिया पेज पर लिखते हैं कि –
‘अंततः मेरा प्रारब्ध मुझे वहां तक ले ही आया जहां आने के लिए इस देश की मिट्टी औऱ सियासी हालात ने मुझे कार्टूनिस्ट के रूप में जन्म दिया. सोशल मीडिया की खबरों के अनुसार एक कार्टून बनाने के कारण योग व्यवसायी बाबा रामदेव की व्यवसायी संस्था पतंजलि ने मेरे औऱ एक अन्य कार्टूनिस्ट के खिलाफ धारा 153A, जो एक गैर जमानती धारा है, उत्तराखंड के हरिद्वार के कनखल थाने में मुकदमा दर्ज कराया है और मेरी तलाश जारी हो चुकी है.’
वहीं, हेमन्त मालवीय के भाई पत्रकार गिरीश मालवीय ने खबर दी है कि –
‘हेमन्त मालवीय के ऊपर एक और एफआईआर लिखा दी गईं है. शनिवार की दोपहर में भाजपा के छात्र संगठन भाजयुमो से जुड़े पदाधिकारी बकायदा एक जुलूस निकालकर कर इन्दौर के संयोगितागंज थाने में पुहंचे और उन्होंने वहां शिकायत दर्ज कराई कि कार्टूनिस्ट हेमन्त मालवीय ने शुक्रवार शाम को 5:14 पर पीएम मोदी की मां के देहावसान पर एक अशोभनीय और अनर्गल टिप्पणी की है.
‘न्यूज़ वेबसाइट में जो खबरें आई है उसके अनुसार एफआईआर दर्ज कराने के बारे में बयान देते हुए भारतीय जनता युवा मोर्चा के नगर अध्यक्ष ने कहा, ‘सभी को विदित है कि 30 दिसंबर 2022 को नरेंद्र मोदी की माता का दुःखद निधन हो गया है, जिसको लेकर पूरे देश में शोक की लहर है. ऐसे में इस दुःखद समय में भी हेमंत मालवीय द्वारा मानवता की सारी हदें पार करते इस तरह की टिप्पणी की गई है, जो कि सहन करने योग्य नहीं है. संयोगितागंज थाना पुलिस ने उनकी इस शिकायत के आधार पर धारा 188 के तहत मामला दर्ज कर लिया.’
केंद्र की मोदी सरकार ने देश में जॉम्बियों का फैक्ट्री खोल दिया है, जहां से हजारों की तादाद में जॉम्बी निकल कर जिन्दा इंसानों को खाने-मारने आ रहा है. दिमाग से शून्य इन जॉम्बीज को सिर्फ मारना-खाना आता है. इसके अलावा उसे और कुछ भी नहीं आता है. ऐसा भी नहीं है कि ये जॉम्बी केवल सड़कों पर ही दिखता है और इंसानों को देखते ही टुट पड़ता है. दिमाग खो चुके ये जॉम्बी देश के संवैधानिक संस्थानों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में मौजूद है, जिसका काम ही इंसानों की प्रजातियों को खत्म कर जॉम्बियों की प्रजाति को बढ़ाना है.
2012 में जब असीम त्रिवेदी को गिरफ्तार कर जेल में डाला गया था तब उनके समर्थन में अदालत के बाहर ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ के करीब 200 कार्यकर्ता इकट्ठे थे. एक कार्यकर्ता ने उस बयान की प्रतियां बांटी थी, जिसे असीम द्वारा जेल में लिखा हुआ बताया गया. असीम ने लिखा था –
‘अगर सच बोलना देश के खिलाफ है तो मैं देशद्रोही हूं. अगर अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना देश के खिलाफ है तो मैं देशद्रोही हूं. अगर समय बदलने के साथ ‘देशभक्त’ और ‘देशद्रोही’ की परिभाषाएं बदल गयी हैं तो मैं देशद्रोही हूं. मैं संविधान के अनादर के खिलाफ हूं. मैं संविधान और डॉ. बी. आर. आंबडेकर में भी विश्वास रखता हूं. संविधान के अपमान से मुझे पीड़ा होती है और मैं अपने कॉर्टूनों के माध्यम से इसे रोकने का प्रयास कर रहा हूं.’
‘मैं महात्मा गांधी के दिखाये रास्ते पर चल रहा हूं और देश की सेवा कर रहा हूं. मुझे जेल में देखकर परेशान होने की जरूरत नहीं है. याद रखो अन्ना हजारे ने कहा है कि देश के लिए जेल जाने को तैयार रहना चाहिए. उसने जो कुछ किया उस पर उसे गर्व है इसलिए जमानत नहीं मांगी. वह बार-बार ऐसा करता रहेगा. मैं अपराधी नहीं हूं जो मैं पैसा देकर जमानत मांगू. जब तक मेरे खिलाफ देशद्रोह के आरोप वापस नहीं लिये जाते मैं जेल में ही रहूंगा.’
असीम के ये शब्द उन हजारों जिन्दा लोगों के हैं, जो उन दिमागविहीन जॉम्बियों के खिलाफ मानवता बचाने के लिए लड़ रहे हैं. यह उन जॉम्बियों के भी खिलाफ है जो सत्ता द्वारा लोकतंत्र की तमाम संवैधानिक संस्थाओं में बिठा दिये गये हैं. यह शब्द मानवता को बचाने की लड़ाई है, जिसे आज हेमन्त मालवीय समेत हजारों-लाखों-करोडों लोग लड़ रहे हैं. यही कारण है कि हम करोड़ों जिन्दा लोगों की मांग है और जरूरत है कि लोकप्रिय कार्टूनिस्ट हेमन्त मालवीय पर इन बेदिमाग जॉम्बियों द्वारा लगाये गये फर्जी मुकदमे रद्द कर उनको मानसिक रूप से प्रताडित करना बंद करें.
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