गिरीश मालवीय
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए – जो अब अडानी एयरपोर्ट है – 12,270 करोड़ का कर्ज माफ कर दिया या तकनीकी रूप से कहे तो राइट ऑफ कर दिया. इस खबर में एक नया शब्द भी यूज किया गया है कि लोन ‘अंडरराइट’ कर दिया लेकिन अडानी के पास यह हवाई अड्डा आया कैसे ? क्योंकि यह हवाई अड्डा तो जीवीके ग्रुप के पास था ?
दरअसल हवाई अड्डा प्रबंधन में कुछ साल पहले तक मात्र दो ही खिलाडी थे और वे थे जीएमआर और जीवीके. ज्यादातर हवाई अड्डे सरकार के पास ही थे. बड़े महानगर जैसे दिल्ली-मुंबई के हवाई अड्डे ही प्राइवेट हाथों में सौंपे गए थे लेकिन जैसे ही अडानी इस खेल में उतरा, उसने मोदी जी की सहायता से पीपीपी मॉडल के नाम पर देश के बचे-खुचे बड़े शहरों के एयरपोर्ट हथियाने शुरू कर दिए. लेकिन उसकी नजरें इन बड़े मुम्बई-दिल्ली जैसे बड़े एयरपोर्ट पर जमी हुई थी.
मुम्बई इंटरनेशनल एयरपोर्ट देश के सबसे व्यस्त और लाभप्रद एयरपोर्टों में आता है. जीवीके ग्रुप बहुसंख्यक हिस्सेदारी के साथ मुम्बई इंटरनेशनल एयरपोर्ट का संचालन कर रहा था. जीवीके ग्रुप के अधिपत्य वाला मुम्बई एयरपोर्ट अडानी के पास आ जाए, इसके लिए भयानक षडयंत्र रचे गए.
अडानी को एयरपोर्ट देने के लिए ईडी द्वारा रचे गए षड्यंत्र
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जीवीके समूह के प्रवर्तकों और मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (मायल) के अधिकारियों के खिलाफ धन शोधन का मामला दर्ज करवाया गया. कहा गया कि हवाई अड्डा चलाने और संभालने में 705 करोड़ रुपये का कथित घोटाला उजागर हुआ है.
ईडी ने इस संबंध में जीवीके ग्रुप, उसके अध्यक्ष डॉ. जीवीके रेड्डी, उनके बेटे जीवी संजय रेड्डी और कई अन्य के खिलाफ खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया. जीवीके ग्रुप समझ चुका था कि यह छापे की कार्यवाही उस पर क्यों की जा रही है ? उसके पास मायल यानी मुंबई एयरपोर्ट अडानी को सौंपने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था.
इसके अलावा इस एयरपोर्ट की शेष हिस्सेदारी जो बिडवेस्ट और एयरपोर्ट्स कंपनी साउथ अफ्रीका (एसीएसए) के पास थी. उन्हें भी ऐसे दुश्चक्र में फंसाया गया कि उन्हें भी अपनी हिस्सेदारी अडानी को ही बेचना पड़ी. पिछले साल ही देश का यह बड़ा हवाई अड्डा अडानी के पास आ चुका था. एक ही चीज बांकि थी कि इस पर जो लोन चल रहा है उसे कैसे भी कर के खत्म किया जाए ताकि सारे पुराने पाप कट जाए और अडानी को बिल्कुल फ्री होल्ड मिल सके.
तो इसलिए ही पिछले हफ्ते एसबीआई ने अपने पिछले दिए गए 12,270 करोड़ का कर्ज को राइट ऑफ कर दिया और इस तरह से अडानी का रास्ता पुरी तरह से साफ़ कर दिया गया. यह है क्रोनी केपटलिज्म.
2022 में किसानों की आय दुगुनी करने के वायदे का सच
2022 में किसानों की आय दुगुनी करने की बात थी, लेकिन हकीकत यह है कि किसानों की आय में इस साल 50 फीसद तक की गिरावट आएगी क्योंकि उर्वरक के दामों में 15 से 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. देश में यूरिया के बाद सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली खाद डीएपी के दाम बढ़ गए हैं. सारे देश में डीएपी के 50 किलो के बैग पर लगभग 150 रुपये बढ़ा दिए गए हैं.
किसानों को 50 किलोग्राम की बोरी पहले 12 सौ रुपए में मिल रही थी, अब उन्हें इसी खाद की बोरी को खरीदने के लिए 13 सौ 50 रुपये का भुगतान करना पड़ रहा है. साथ ही डीजल के दाम भी एक महीने में लगभग 10 रू. बढ़े हैं. यूपी में यूरिया की कीमत नहीं बढ़ी, लेकिन बैग में पांच किलो माल कम हो गया है. 50 किलो की जगह यूरिया बैग में 45 किलो खाद आने लगा.
इसके अलावा कीटनाशक एवं बीज की कीमत इतनी ज्यादा बढ़ गयी है कि अब खेती से फसल से मुनाफा तो दूर लागत भी निकलना असंभव हो गया है. सरकार खाद रेट कम करने की जगह उसे बढ़ाती जा रही है. यही हाल रहा तो किसानों को खेती करना मुश्किल हो जाएगा. डीजल के बढ़ते दामों से परेशान किसानों को अब खाद खरीदने में भी अधिक धन खर्च करना पड़ेगा.
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