Home गेस्ट ब्लॉग कोविड महामारी: माफियाओं तुम्हें कभी माफ नहीं किया जाएगा

कोविड महामारी: माफियाओं तुम्हें कभी माफ नहीं किया जाएगा

27 second read
0
0
650

कोविड महामारी: माफियाओं तुम्हें कभी माफ नहीं किया जाएगा

Sanjay Mehtaसंजय मेहता

कोविड की साजिश के खिलाफ एक साल पहले यह लिखा था. मैं कोई भविष्यवक्ता नहीं हूं, फिर भी मेरी हर बात क्यों सही साबित हो रही है ? क्योंकि यह सब स्क्रिप्टेड है.

हम सबों को कोविड साजिश के खिलाफ अब बोलना चाहिए. अब चूंकि संभवतः लगभग लोगों को यह पता चल चुका है कि यह बीमारी के नाम पर कुछ बड़ा खेल हो रहा है. कोरोना से अधिक मौत लॉकडाउन से उत्पन्न स्थितियों के कारण हो चुकी है. सच सबके सामने है.

लगातार खबरें पढ़ने-सुनने को मिल रही है कि लोग लापरवाही बरत रहे हैं. बाजारों में खुलेआम निकल रहे हैं, मास्क नहीं लगा रहे हैं, सोशल.डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं. असल में यह कोई लापरवाही नहीं है.

100 दिनों से त्रस्त आदमी अपने रोजी-रोजगार के लिए बाहर निकलेगा ही. यह उसके जिंदा रहने और पेट का सवाल है. आत्महत्या के केस बहुत अधिक बढ़ गए हैं. लोग अपनी जीविका को लेकर सोचेंगे ही.

एक अंतराष्ट्रीय साजिश और सरकारों और व्यापारियों के बीच खेल में आम आदमी आखिर क्यों और कब तक पीसे ? अवसाद से आदमी क्यों मरता रहे ? अब तो हर तरफ लोग मिल जा रहे हैं और कह रहे हैं कोविड एक साजिश है. इसकी भयावहता को जान बूझकर व्यापक दिखाया जा रहा है.

जिसे लापरवाही बताया जा रहा है उसी में कोरोना के साजिश का जवाब भी है. मान लिया कि लाखों-करोड़ों लोगों ने लापरवाही कर दी. फिर वह बीमारी कहां है जो हज़ारों लोगों को उस भीड़ की वजह से हो जानी चाहिए थी ? आप कहोगे टेस्टिंग नहीं पायी है. इसका जवाब है कोई बीमारी टेस्टिंग का इंतजार नहीं करती.

अगर इस खेल को समझना है तो अपने घर में जितने भी सदस्य हैं, कल घर के सभी सदस्य जाकर टेस्ट करवा लीजिए. अगर 10 लोग टेस्ट कराएंगे मेरा दावा है एक-दो लोगों का रिपोर्ट पॉजिटिव दे दिया जाएगा.

आप कहोगे इतनी मौत कैसे हो रही है ? इसका जवाब है कि डेथ की ऑडिट रिपोर्ट हमें नहीं बतायी जाती है. cause of death में कैसे Covid-19 लिखा जा रहा है इसे ICMR के गाईडलाईन से समझा जा सकता है.

देखिये यह साजिश इतनी गहरी है जिसे आम आदमी को समझना मुश्किल है. सभी लोग अपने-अपने रोजी-रोजगार पर ध्यान दीजिए. सरकार पूरी तरह से साजिशकर्ताओं के गोद में खेल रही है. नौकरशाहों को भी सच का पता है लेकिन वे नौकरी की वजह से कुछ बोल नहीं सकते.

अपनी जीविका पर फोकस कीजिए. कई बार कहता रहा हूं फिर कह रहा हूं यह खेल अभी नवंबर तक चलेगा. वैक्सीन का ड्रामा शुरू होगा. 2021 के मई-जून तक यह खेल अपने पूरे रफ्तार पर रहेगा.

तुर्कमेनिस्तान ने अपने देश में मास्क पहनने और Coronavirus शब्द के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया है. वहां कोविड-19 का कोई मामला नहीं है. सब अच्छे से हैं, कहीं कोई दिक्कत नहीं है.

बीमारी का सीधा और साफ फंडा है, बीमारी होनी होगी तो हो जाएगी, उसे खोजकर, टेस्ट कर निकालना नहीं पड़ता. कोविड को जबरदस्ती ढूंढा जा रहा है. जो टेस्टिंग किट इस्तेमाल किये जा रहे हैं उसमें भी गड़बड़ी है. किट्स भी गलत परिणाम दे रहे हैं.

तंजानिया में पपीता को भी covid19 positive बता दिया गया. कुल मिलाकर Coronavirus, Covid-19, Mask, Social Distancing, Sanitizer, Quarantine, Isolation जैसे शब्दों से नाता तोड़ लें, आप अच्छा फील करेंगे.

धूल-गर्दा के क्षेत्र में जा रहे हैं तब मास्क पहनिए लेकिन हर वक्त पहनने में कैसा महसूस हो रहा है, आपको पता ही है. दुनिया में हर जीव जंतु का नाक, मुंह खुला है और हम मास्क पहन के घुट रहे हैं. उससे सांस लेने में भी दिक्कत, नाक-कान भी लाल हो जा रहे हैं.

WHO ने खुद कहा है स्वस्थ्य आदमी को मास्क नहीं पहनना है. हम सब पूरी तरह से साजिश के गिरफ्त में हैं. हम सबों को अपने काम-धाम पर ध्यान देना चाहिए. जो दुकान को खोलने की अनुमति अब तक नहीं दी गयी है उसे खोलने की पुरजोर मांग करनी चाहिए.

सरकार चाहती है लॉक डाउन का खेल जितना लंबा खींचे उतना बेहतर है. लाखों के केस पर अनलॉक का ड्रामा और हज़ार से कम केस पर लॉक डाउन की नौटंकी ने ही सारा खेल बेनकाब कर दिया है.

नोट-आपको मेरी किसी भी बात पर तुरंत विश्वास नहीं करना चाहिए. जितनी बातें लिखी गयी है आप सबकी सत्यता जांच लीजिए, रोंगटे खड़े हो जाएंगे.

एक साल पहले लिखी गया यह आलेख अगर आपके रोंगटे खड़ा नहीं करता है तो आप इन तथ्यों पर गौर कीजिए. क्या अब सामान्य रोगों के मरीज इस धरती पर नहीं हैं ? क्या सभी रोग खत्म हो गए ? इस देश में कब अस्पताल खाली रहा है ? क्या सामान्य मरीजों को इलाज की जरूरत नहीं है ? शरीर के जरूरतों के अनुसार इलाज क्यों नहीं किया जा रहा है ? हर इलाज में कथित महामारी का टेस्ट अनिवार्य क्यों कर दिया गया है ? protocol के लाग लपेट में लोगों को क्यों फंसा दिया जा रहा है ? सामान्य रोगों का इलाज क्यों नहीं किया जा रहा है ?

अस्पताल पहुंचों नहीं कि मुंह में ऑक्सीजन सपोर्ट ठूंस दिया जा रहा है ! क्यों पूरे देश के श्मशान की तस्वीरें एक साथ दिखाई जा रही है ? क्या इससे पहले श्मशान सुनसान थे ? क्या इससे पहले कोई नहीं मरता था ? क्यों आंकड़ों को स्कोर कार्ड की तरह दिखाया जा रहा है ? क्यों लोगों को डराया जा रहा है ? संबल न देकर maas hysteria क्यों पैदा किया जा रहा है ? क्यों मानसिक रूप से बीमार किया जा रहा है ? क्यों मनोवैज्ञानिक युद्ध का सहारा लिया जा रहा है ?

क्यों experimental drugs का इस्तेमाल हो रहा है ? क्यों वैक्सीन लेने पर मौत हो रही है ? क्या इस देश का आदमी इतना कमजोर है कि एक साथ पूरी आबादी चुटकी में बीमार हो जाएगी ? क्यों सामान्य स्थिति को बढ़ा चढ़ाकर दिखाया जा रहा है ? क्या वायरस राज्यों की सीमा पहचानता है ? अगर फैल रहा है तो झारखंड से बगल में बंगाल में क्यों नहीं फैलता ? टेस्ट इतना फर्जी रिपोर्ट क्यों देता है ? हर मौत को महामारी से हुई मौत बताने की आपाधापी क्यों है ? अगर सच में महामारी है तो शीर्ष सत्ता क्यों इतना गैरजिम्मेदार है ? क्यों राज्यों के मुख्यमंत्री गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार कर रहे हैं ? जब सरकार चाहती है तभी क्यों बढ़ता है ? ऐसा क्यों हो रहा है ?

मैं इस बात की भविष्यवाणी 100 प्रतिशत दावे के साथ कर रहा हूं. 9 मई 2021 के बाद बंगाल में और केस बढ़ेंगे. वहां टेस्टिंग बढ़ा दी जाएगी. जैसी स्थिति अन्य राज्यों में पैदा की गई है वह बंगाल में पैदा की जाएगी ! अपनी ही जनता के साथ ऐसा क्रूर व्यवहार क्यों किया जा रहा है ? geopolitics की मजबूरी में क्या अपनी जनता को मरने के लिए छोड़ दिया जाएगा ? यह अत्यंत गलत हो रहा है ? यह अन्याय की पराकष्ठा है ! माफियाओं तुम्हे कभी माफ नहीं किया जाएगा.

यह हो रहा है. आगे भी होगा. बिल्कुल बिंदास रहिए. डरना बिल्कुल नहीं है. आपको डराया जा रहा है. बात समझिए. New World Order की स्क्रिप्ट है. इस वक्त आप मॉक ड्रिल में जी रहे हैं.

Read Also –

कोरोनावायरस की महामारी : लोगों को भयग्रस्त कर श्रम का मनमाना दोहन और शोषण
कोरोना महामारी, जिसको महामारी साबित करने के लिए प्रमाण नहीं, प्रचार की ज़रूरत
वैक्सीन लगवाना ऐच्छिक नहीं अनिवार्य ही बनाया जा रहा है
किसान आंदोलन खत्म करने के लिए कोरोना का झूठ फैलाया जा रहा है
कोरोना : संघी फासीवाद को स्थापित करने वाला एक काल्पनिक महामारी
वैक्सीन की विश्वसनीयता पर सवाल और सरकार की रहस्यमय चुप्पी
गोबर चेतना का विकास
कोरोना वेक्सीन ‘कोवेक्सीन कोविशील्ड’ : स्वास्थ्य मंत्रालय का गजब का मजाक
कोरोना महामारी से लड़ने का बिहारी मॉडल – ‘हकूना मटाटा’
कोरोना एक बीमारी होगी, पर महामारी राजनीतिक है

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

कामरेडस जोसेफ (दर्शन पाल) एवं संजीत (अर्जुन प्रसाद सिंह) भाकपा (माओवादी) से बर्खास्त

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने पंजाब और बिहार के अपने कामरेडसद्वय जोसेफ (दर्शन पाल…