कोरोना एक ऐसी काल्पनिक महामारी है, जिसका एकमात्र उद्देश्य देश में संघी फासीवाद को स्थापित करने में सहायता करना है. जो काम मोदी का एजेंट, सोशल मीडिया पर बिठलाये गये गुंडे, दिन-रात मोदी का गुणगान करता गिद्द मीडिया, देश की तमाम संवैधानिक संस्थानों (सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग, सेना, पुलिस समेत समस्त व्यवस्थापिका) पर बिठलाये गये संघी गुण्डे और संघियों के शाखाओं में प्रशिक्षित सशस्त्र गुंडे नहीं कर पाये हैं, वह काम अकेले कोरोना ने रातों-रात कर दिया.
कोरोना जैसे वायरस से दुनिया की अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान पहुंचा है, या कितने जनों की हानि हुई है, इससे बढ़कर यह सवाल बेहद मौजूं है कि आखिर कोरोना वायरस कितना शिक्षित है ? इस बात में कोई संदेह नहीं रह गया है कि कोरोना वायरस बेहद ही शिक्षित और उच्च शिक्षा प्राप्त वायरस है, जो अपने-अपने देश के शासकों की रक्षा करने के लिए सदैव तत्पर रहता है.
अन्य देश के शासकों को इस वायरस ने कितना फायदा पहुंचाया, यह तो शोध का विषय है, परन्तु, भारत के फासिस्ट संघी शासक नरेन्द्र मोदी को इस वायरस ने न केवल बढ़ते जनाक्रोश से ही बचाया है, वरन् उसके फासिस्ट नीतियों को लागू करने में भी भारी मदद पहुंचाया है, खासकर लोगों की एकजुटता को खत्म कर बौद्धिक रूप से समाप्त करने की दिशा में.
पिछले वर्ष के मार्च से लगातार कोरोना वायरस के नाम पर जारी लाॅकडाउन और तमाम तरह की नाकेबंदी ने लोगों को ‘मौत के भय’ से इतना प्रकम्पित कर रखा है कि लोगों के बीच के न केवल रिश्ते-नाते ही खत्म कर दिया अपितु सत्ता की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ भी प्रतिरोध की शक्ति को खत्म करने का प्रयास किया.
आईये, संक्षेप में हम कोरोना वायरस की वजह से सत्ता को होने वाली फायदों को देखते हैं –
- तमाम शिक्षण संस्थानों को बंद कर देश को अशिक्षित बनाने के दीर्घकालीन उद्देश्य की प्राप्ति की गई, जिसके लिए देश की संघी सरकार पिछले सौ सालों से तत्पर थी, जिसे वह 70 साल में खोदे गये गड्ढ़े बता रही थी. साफ है एक अशिक्षित या अल्पशिक्षित नागरिक गुलाम बनाये जाने के लिए सबसे मुफीद माध्यम है.
- बड़े पैमाने पर उद्योगों को निजीकरण करने का सबसे मुफीद अवसर मुहैय्या कराना, जिससे कि किसी भी प्रकार का जनप्रतिरोध न झेलना पड़े.
- देश के सबसे बड़े संसाधन कृषि को निजी हाथों में बंधक बनाने हेतु कानून लाना, जो अन्य किसी भी सामान्य मौकों पर संसद से पास करा लेना आसान नहीं होता.
- सबसे बढ़कर जब कभी भी और कहीं भी जनता सड़क पर निकलती है, या प्रतिरोध का स्वर बुलंद करती है, तुरंत ही कोरोना के नाम पर लाॅकडाउन लगा दिया जाता है, या कोरोना प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया है.
बहरहाल सोशल मीडिया पर एक कमेंट वायरल है, जो कोरोना वायरस के बारे में एक सटीक तहकीकात करता है, जो न केवल बेहद दिलचस्प ही है, अपितु सच भी है –
यह है कोरोना का कीड़ा. मुझे इस कीड़े की कई बातें बेहद पसन्द हैं :
- ये इतना ज्यादा ईमानदार है कि पहले से प्रशासन को इन्फॉर्म करता है कि मैं किस दिन से किस दिन तक बाहर खुला घूमने निकलूंगा. बाकायदा आगाह करता है कि मैं शनिवार और रविवार को बाहर घूमने आऊंगा.
- इसको नाइट लाइफ बेहद पसन्द है. रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक घूमने निकलता है.
- ये दोस्ती निभाने वाला बड़ा दिलदार कीड़ा है. कोई इन्सान किसी भी वजह से मर जाए तो ये महान कीड़ा उसका इल्जाम अपने सर ले लेता है कि ‘इन सब को मैंने मारा है.’
- इतने लचीले स्वभाव का है कि साबुन से धोने पर ही घुल जाता है और अपने प्राण न्योछावर कर देता है.
- शर्मीला इतना ज्यादा है कि पूरी उम्र जिस्म में छुपा हुआ बैठा रहेगा लेकिन किसी तरह की कोई तकलीफ नहीं देगा, जब तक कि टेस्ट न करवाया जाए.
- वचन का इतना धनी है कि 50 लोग जब तक समारोह में होंगे तब तक किसी का कुछ बुरा नहीं करेगा, 51 होते ही कोहराम मचा देगा.
- ये प्रेमी स्वभाव का है. अपने दिल की सभी बातें अपने खास दोस्त डब्ल्यूएचओ, बिलगेट्स आदि को ही बताता है कि कब क्या करने वाला है.
- इतना सब्र वाला है कि कई-कई घण्टों तक दुकानों के बाहर इन्तजार करता रहता है कि 8 बजे से एक मिनट भी ऊपर हो तो जाकर किसी को पकड़ लूं, उससे पहले नहीं.
- शेर जैसे स्वभाव का महान शिकारी है कोरोना, किसी भी टू-व्हीलर पर हमेशा पीछे से हमला करके पीछे बैठे हुए व्यक्ति को पकड़ता है, ड्राइवर को बख्श देता है.
- अगर कोई ‘कागज का पास’ लेकर बाहर निकलता है तो उसको भी कुछ नहीं कहता, बगैर ‘पास’ बाहर घूमने वालों पर कुपित हो जाता है.
- शराब प्रेमी भी बड़ा है ये कीड़ा. जैसे ही 80 फीसदी अल्कोहल की खुशबू पाता है मदहोश हो जाता है और अपनी सारी शक्तियों को खो देता है.
- देशभक्त भी बहुत है और भारत की डेमोक्रेसी अर्थात प्रजातन्त्र को इतना सम्मान देता है कि किसी भी पार्टी की चुनावी रैली में झांका तक नहीं, जिस से चुनाव बिना किसी अड़चन के हो पाएं. बिहार में चुनाव होते ही गायब हो गया था, अब बंगाल में चुनाव है वहां से भी गायब हो जायेगा (जिसकी सच्चाई अभी हम बंगाल चुनाव में देख रहे हैं). कोरोना वाकई बहुत महान कीड़ा है !
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क्या आपके मुहल्ले में कोरोना का असर सचमुच बढ़ता हुआ दिख रहा है ?
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