Home गेस्ट ब्लॉग कोरोना के बाद : अब यहांं से कहांं जाएंं हम

कोरोना के बाद : अब यहांं से कहांं जाएंं हम

9 second read
0
0
574

कोरोना के बाद : अब यहांं से कहांं जाएंं हम

Subroto Chaterjiसुब्रतो चटर्जी

सबके मन में ये सवाल रह रह कर आता है, कोरोना के बाद की दुनिया की कैसी तस्वीर हो ? पिछले छ: साल दु:स्वप्न की तरह गुजरे. इतनी घृणा, इतने प्रपंच, इतनी हत्याएंं, इतना झूठ, इतनी बेशर्मी, इतनी पाखंड, इतना नैतिक मूल्यों का अवमूल्यन, इतनी लूट-खसोट, इतनी यंत्रणा, इतनी बेरोज़गारी और ग़रीबी, इतना भ्रष्टाचार, इतनी जाहिलियत शायद हमारे देश ने अपने हज़ारों सालों के अस्तित्व में कभी नहीं देखा. हम अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुज़र रहे हैं, और, दु:खद सत्य ये है कि यह हमने ख़ुद ही चुना.

इन सबके वावजूद, यह तो मानना ही पड़ेगा कि it’s not the end of the road. देश और मनुष्य है तो उनका भविष्य भी है. ये हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम उनके लिए कैसे भविष्य का निर्माण करते हैं. इसके लिए हमें अपनी भूलों से सीख कर नया कुछ बनाना होगा. इसी विचार को केंद्र बिन्दु में रख कर कुछ सुझाव आपके साथ साझा करने का जी चाहा.

कोरोना काल ने कई भ्रम तोड़े हैं. हमारे देश की शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक विकास एवं नीतियांं, रक्षा, सब कितने खोखले हैं, हम देख चुके हैं. यह समय पुनरीक्षण करने का है. क्या हमारी प्राथमिकताएंं सिरे से ग़लत थी, जिसका ख़ामियाज़ा आज हम भुगत रहे हैं ? अगर हांं, तो हमें किन किन नीतिगत सुधारों की ज़रूरत है एक समर्थ, स्वावलंबी देश बनाने के लिए ? मेरे विचार से निम्नलिखित परिवर्तन ज़रूरी है.

  • शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं का संपूर्ण राष्ट्रीयकरण.
  • पेट्रोलियम, कोयला, स्टील, आणविक उर्जा तथा अनुसंधान का पूर्ण राष्ट्रीयकरण.
  • निजी पूंंजी की सीमा का निर्धारण, औद्योगिक और व्यक्तिगत दोनों क्षेत्रों में.
  • वालमार्ट जैसे सारे विदेशी रिटेल चैनों का लाईसेंस रद्द करना.
  • विमानन क्षेत्र का संपूर्ण राष्ट्रीयकरण और निजी ट्रेन चलाने की कोई अनुमति नहीं दी जाए.
  • सारे प्राईवेट स्कूल और अन्य शिक्षा संस्थाओं का राष्ट्रीयकरण और उनके योग्य शिक्षकों और कर्मचारियों को सरकारी सेवा में नियुक्ति.
  • सभी बड़े और धनी मंदिरों का राष्ट्रीयकरण और उनकी संपत्ति पर देश का अधिकार हो.
  • किसी भी जनप्रतिनिधी के लिए बंगला नहीं हो. सबके लिए चार हज़ार से लेकर अधिकतम दस हज़ार वर्ग फ़ीट का तीन से लेकर पांंच बेडरूम फ़्लैट का प्रावधान हो. देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के लिए भी यही नियम लागू हो.
  • किसी भी जन प्रतिनिधि के लिए कोई भी व्यक्तिगत सुरक्षा का प्रावधान नहीं हो. अगर आप लोकप्रिय हैं तो कोई आपको नहीं मारेगा. मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री अपवाद हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा पर अधिकतम प्रतिदिन का खर्च एक लाख रुपए तय हो.
  • किसी भी विधायक या सांसद को पेंशन नहीं मिले. सबको प्रथम श्रेणी के सरकारी कर्मचारियों के बराबर वेतन और भत्ता मिले.
  • विधायक सांसद विकास राशि (MP LAD) का ख़ात्मा हो.
  • आयकर के तीन स्लैब हों
    • सालाना दस लाख आय पर 10%
    • दस से पचास लाख तक 20%
    • पचास लाख और उससे उपर 30%
  • जीएसटी के तीन स्लैब 4%, 8%, और 12% , आवश्यक वस्तुएंं, आरामदायक वस्तुएंं और विलासिता की वस्तुओं के लिए. यहांं वस्तुओं में सेवाएंं भी निहित है.
  • जीएसटी की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए.
  • सांप्रदायिक इतिहास तथा चरित्र वाले सभी राजनीतिक दलों को प्रतिबंधित किया जाए. इसके लिए ऐसे दलों के नेताओं के वक्तव्य, चरित्र तथा क्रियाकलापों को आधार माना जाए.
  • भाजपा, संघ एवं इनके आनुषांंगिक संगठनों को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित किया जाए और इनके सारे पदाधिकारियों को आजीवन सश्रम कारावास की सजा दी जाए.
  • धार्मिक अकलियतों के ऐसे दलों और संगठनों के साथ भी वही व्यवहार किया जाए.
  • सीएए, एनआरसी, यूएपीए और आफ्सपा जैसे काले क़ानूनों को रद्द किया जाये.
  • जम्मू कश्मीर में धारा 370 की पुनर्बहाली की जाए और राज्य का विभाजन निरस्त किया जाए.
  • मानवाधिकार संगठन, कम्युनिस्ट, लेखक, पत्रकार आदि क़ैदियों को तुरंत रिहा किया जाए.
  • किसी भी औद्योगिक घराने को समाचार चैनल प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चलाने की अनुमति नहीं हो.
  • आने वाले पचास सालों तक आरक्षण जारी रहे.
  • जजों की नियुक्ति के लिए कोलेजियम सिस्टम ख़त्म हो. यूपीएससी की परीक्षा के ज़रिए जजों की नियुक्ति हो और न्यायाधीश चुनने की प्रक्रिया में भी आरक्षण लागू हो.
  • मोदी सरकार के द्वारा बनाए गए सभी श्रमिक एवं फ़ैक्ट्री नियम निरस्त हों.
  • असंगठित क्षेत्र के कामगारों का राष्ट्रीय डेटा बेस बने और न्यूनतम मज़दूरी पांंच सौ रुपये प्रतिदिन हो. हर साल न्यूनतम मज़दूरी मुद्रास्फीति के दर के अनुसार रिवाईज हो.
  • मनरेगा में भी यही मज़दूरी लागू हो और कम से कम साल में 200 दिन काम मिलने की गारंटी हो. मनरेगा मज़दूरों की मज़दूरी सीधे उनके बैंक खातों में जाएंं. ड्यूटी स्लिप का दो हिस्सा हो जिस पर मज़दूर और ग्राम प्रधान दोनों के हस्ताक्षर हो. इसकी प्रतियांं बैंक में जमा होने पर मज़दूरों को साप्ताहिक मज़दूरी दी जाए.
  • योजना आयोग की पुनर्बहाली हो और नीति आयोग भंग हो.
  • आज़ादी से लेकर आज तक जितने भी सांप्रदायिक दंगे हुए उनमें से सबसे ज़्यादा जान माल की हानि के अनुसार फिर से समयबद्ध जांंच हो और दोषियों को आजीवन कारावास मिले. जांंच की समय सीमा छ: महीने से ज़्यादा नहीं हो. गुजरात दंगों की जांंच के लिए स्कॉटलैंड यार्ड जैसी संस्थाओं की सेवा ली जाए.
  • सांप्रदायिक दंगे और जघन्यतम अपराधों के सिवा किसी अन्य मामले में मृत्युदंड का प्रावधान नहीं हो.
  • राजद्रोह कानून ख़त्म हो.
  • मोदी सरकार के हर व्यापारिक और रक्षा सौदे की जांंच छ: महीने के अंदर हो और गड़बड़ी पाए जाने पर दोषियों को आजीवन कारावास की सजा मिले.
  • टेलीकॉम सेक्टर का संपूर्ण राष्ट्रीयकरण हो.
  • पुलिस और सेना में 15% अकलियतों का स्थान आरक्षित हो.
  • देश के हर पुलिस थाने में बना हर मंदिर ध्वस्त हो और थाना परिसर में किसी भी धर्म की कोई भी निशानी पाए जाने पर थाना प्रभारी को जेल हो.
  • राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को छोड़कर किसी भी जन प्रतिनिधि को सरकारी वाहन नहीं मिले.
  • पुलिस सुधार लागू हो. किसी व्यक्ति या समूह को क्रिमिनल साबित करने की ज़िम्मेदारी पुलिस की हो, और गिरफ़्तारी ग़लत साबित होने पर केस के इन्वेट्गेटिंग अफ़सर को न्यायालय जेल भेज दे.
  • सेना का आधुनिकीकरण हो और माउंटेन कॉर्प्स की पुनर्बहाली हो.
  • OROP लागू हो.
  • पुराने पेंशन योजना की पुनर्बहाली हो.

ये कुछ सुझाव हैं जिनके दूरगामी परिणाम होंगे.

Read Also –

[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles

Check Also

भारत सरकार बस्तर के बच्चों की हत्या और बलात्कार कर रहा है

आज़ादी के अमृतकाल का जश्न मना रही भारत की मोदी सरकार छत्तीसगढ़ के बस्तर में आदिवासी युवाओं…