‘कामरेडों, चलो क्रांति की तैयारी करते हैं.’
दुनिया के महान नेता लेनिन के बारे में भारत में एक कहानी प्रचलित है. मृत्युउपरांत लेनिन जब यमराज के यहां लाये गये तब यमराज यह देखकर संशय में पड़ गये कि इतने महान नेता लेनिन को कहां रखा जाये, स्वर्ग या नरक. जब यमराज यह तय नहीं कर पाये तब वह दौड़े-दौड़े इन्द्र के पास पहुंचे. इन्द्र सभी देवताओं को लेकर ब्रह्मा के पास पहुंचे. समस्या सुनकर ब्रह्मा भी सोच में पड़ गये. तब उन्होंने निर्णय लिया कि इस समस्या का समाधान तो विष्णु ही कर सकते हैं. सभी देवता करबद्ध होकर विष्णु के पास पहुंचे. विष्णु ने जब समस्या को जाना तो वे भी गंभीर हो गये. उन्होंने कहा कि इसका समाधान लेनिन ही कर सकते हैं. ऐसा करो लेनिन से ही पूछ लो.
इतना सुनते ही सभी देवताओं को काठ मार गया. ब्रह्मा ने सभी देवताओं की ओर देखा लेकिन कोई भी लेनिन से पूछने का साहस नहीं जुटा पा रहे थे. यह देखकर ब्रह्मा ने भगवान विष्णु से कहा – हे प्रभु, यह कार्य तो आपके सिवा और कोई नहीं कर सकता है. इसलिए इस कार्य का निष्पादन भी आपको ही करना होगा.’
तब भगवान विष्णु छीर सागर से उठे और सभी को साथ लेकर लेनिन के कुटिया के पास पहुंचे. विष्णु ने सभी को बाहर ही इंतजार करने का कहकर स्वयं लेनिन की कुटिया की ओर बढ़े और अंदर गये. विष्णु को अंदर गये काफी समय बीत गया. वह बाहर ही नहीं आ रहे थे. सारे देवताओं के बीच हड़कम्प मच गया आखिर अभी तक भगवान विष्णु बाहर आये क्यों नहीं ? काफी समय बाद जब भगवान विष्णु बाहर निकले तो उन्होंने देखा कि ब्रह्मा समेत सारे देवता कतारबद्ध खड़े हैं. तब वे मुस्कुराते हुए बोले – हां तो कामरेड ब्रह्मा, लाल सलाम. आप क्या कह रहे थे …. ? और यह कहकर भगवान विष्णु आगे बढ़ गये.
यह एक काल्पनिक कहानी है, जो यह बताता है कि दुनिया के महान शिक्षक कितने महान थे कि हिन्दुओं के सबसे बड़े देवताओं में से एक विष्णु भी लेनिन की प्रतिभा के आगे न केवल नतमस्तक ही हो गये बल्कि वे स्वयं लेनिन के सहयोगी बन गये. खैर, यह एक कहानी है. पर आज हिन्दुओं के तीसरे सबसे बड़े देवता का भगवान शंकर का शिवरात्रि है, जिस दिन शंकर और पार्वती का विवाह हुआ था, जिसे महाशिवरात्रि भी कहा जाता है, तब एक शंकर भक्त स्वयं शंकर का रूप धारण कर अपने हाथ में कम्युनिस्ट का लाल झंडा अपने कंघे पर उठाकर चलते हुए तस्वीर वायरल हो जाती है तब इस कहानी को और आगे बढ़ाया जाना चाहिए.
‘कामरेड ब्रह्मा को लाल सलाम’ कहते हुए भगवान विष्णु जब मुस्कुराते हुए आगे बढ़ गये तब आश्चर्यचकित ब्रह्मा सभी देवताओं को लेकर संहार के तीसरे सबसे बड़े देवता भगवान शंकर के पास पहुंचे. शंकर से भी जब वहीं प्रार्थना की गई तो स्वयं शंकर लेनिन से मिलने पहुंचे. लेनिन से मिलने के बाद भगवान शंकर जब बाहर आये तो कम्युनिस्टों का लाल पताका अपने कंधों पर उठाये निकले और ब्रह्मा समेत सभी देवताओं को लाल सलाम कहते हुए बोले – ‘कामरेडों, चलो क्रांति की तैयारी करते हैं.’
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