Home ब्लॉग मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के घर पर छापामारी करती नरेन्द्र मोदी की पुलिस, मोदी का ‘मनोरोग’ या कुछ और ?

मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के घर पर छापामारी करती नरेन्द्र मोदी की पुलिस, मोदी का ‘मनोरोग’ या कुछ और ?

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मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के घर पर छापामारी करती नरेन्द्र मोदी की पुलिस, मोदी का ‘मनोरोग ‘या कुछ और ?

अरविन्द केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को साईकोपैथ बतलाया था. आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के घर पर पुलिस को भेजकर नरेन्द्र मोदी ने यह खुले तौर पर साबित कर दिया है कि वे सचमुच साईकोपैथ (मनोरोगी) हैं. मामला दिल्ली सरकार के भ्रष्ट और नकारा मुख्य सचिव अंशु प्रकाश को थप्पड़ जड़ने का है. जिसको आधार बना कर केन्द्र सरकार ने अरविन्द केजरीवाल के घर पर भारी संख्या में पुलिस बल भेजकर छापा मारा है. अरविन्द केजरीवाल को सीधे कानून के गिरफ्त में लाने के लिए केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पिछले चार सालों से अथक प्रयास कर रही थी.

विदित है कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के पूर्व मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार जो 1989 बैच के आईएएस अधिकारी थे, को केन्द्र सरकार की ओर से अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ आरोप लगाने को बाध्य किया जाने लगा था. जब वे इस काम के लिए तैयार नहीं हुए तब उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का एक फर्जी मामला लगाकर उन्हें जेल में डालने का कुकृत्य किया गया. बकौल राजेन्द्र कुमार, ‘‘मुझे बार-बार कहा गया कि अगर मैं मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को इसमें (भ्रष्टाचार के मामले में) फंसाता हूं तो मुझे छोड़ दिया जाएगा. यही वह वजह हो सकती है जिसके कारण जांच के दौरान जांच एजेंसी इतनी तह तक गई.’’ श्री राजेन्द्र कुमार ने आरोप लगाया कि, ‘‘सीबीआई ने ना केवल मुझे ही मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को फंसाने के लिए कहा, बल्कि उन्होंने कई लोगों की पिटाई भी की जिनमें कुछ को स्थायी तौर पर गंभीर चोटें भी आई.’’

जाहिर तौर पर मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार सीबीआई के इस कुकृत्य में शार्गिद होने से इंकार कर दिया जिसका खामियाजा राजेन्द्र कुमार को जेल में रहकर भुगतना पड़ा. इतना ही नहीं जेल से बाहर आने के बाद जब उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का प्रस्ताव रखा तो उन्हें और ज्यादा प्रताड़ित करने के लिए केन्द्र सरकार अनेक मंसूबे बना रखी थी. मालूम हो कि केन्द्र सरकार द्वारा उनको प्रताड़ित करने का सिलसिला दिसम्बर 2013 में तब से शुरू हुआ जब से अरविन्द केजरीवाल ने उन्हें अपने साथ काम करने के लिए आमंत्रित किया था.

स्पष्ट है कि केजरीवाल को कानूनी दायरे में लाने का जब केन्द्र सरकार को कोई मौका हाथ न आ रहा था, वाबजूद इसके कि केन्द्र सरकार की नरेन्द्र मोदी ने अपने तमाम सरकारी जांच एजेंसियां अरविन्द केजरीवाल के ऊपर छोड़ रखी थी, तब केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने एक बिके हुए भ्रष्ट और नकारा अफसर अंशु प्रकाश को अरविन्द केजरीवाल के मुख्य सचिव के बतौर नियुक्त कर दिया. इस बिके हुए भ्रष्ट और नकारे अफसर अंशु प्रकाश ने दिल्ली सरकार के कामों में केन्द्र सरकार और दलाल एलजी अनिल बैजल के निर्देश पर रोड़ा अटकाने लगे और मौका पाते ही अरविन्द केजरीवाल पर ‘थप्पड़’ लगाने का आरोप जड़ दिया, जिसे केन्द्र की मनोरोगी नरेन्द्र मोदी सरकार जिस पर भ्रष्टाचार और हत्या का अनेक मामला दर्ज है, ने सुनहला मौका समझकर हाथों-हाथ लपक लिया.

जैसा कि हर मामले में की तरह इस मामले में भी साफ जाहिर हो गया कि दिल्ली सरकार के दो विधायकों को जेल में डालने के बाद भी नरेन्द्र मोदी सरकार के हाथ दुनिया भर में अपनी किरकिरी कराने के बाद भी, बटेर ही लगा है. परन्तु यहां यह समझ लेना और भी जरूरी हो जाता है कि भ्रष्ट और नकारा मुख्य सचिव अंशु प्रकाश को जनता के विरोध में काम करने की छुट क्यों दी जा रही है ? आखिर अरविन्द केजरीवाल के सलाहकार वी. के. जैन ने 24 घंटे के अन्दर अपना बयान बदल क्यों दिया ? अरविन्द केजरीवाल के पूर्व मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार के बयान इस बात का जवाब देने के लिए काफी है.

केन्द्र की मोदी सरकार अपने चार साल के कार्यकाल में जनता की एक भी आकांक्षा पर खड़ी नहीं उतर पाई है. इसके उलट दिल्ली की आधी-अधूरी सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी अपनी शुरूआत से ही दिल्ली की जनता के हित में जैस, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, किसानों, मजदूरों के हित में शानदार काम की है, जिसकी तारीफ दुनिया भर में हो रही है, जिस कारण केन्द्र की मोदी सरकार को जनता के बीच जवाब देते नहीं बन रहा है. उसे अपना भविष्य अंधकारपूर्ण नजर आ रहा है. देश की जनता मोदी सरकार के बुरे मंसूबे को ताड़ चुकी है, और अगले 2019 के चुनाव को नजदीक पा कर मोदी सरकार के होश-फाख्ते हैं. यही कारण है कि अरविन्द केजरीवाल सरकार के कार्यकाल के मुकाबले कोई बड़ी लकीर खींच पाने में अक्षम केन्द्र की मोदी सरकार अरविन्द केजरीवाल सरकार को ही मिटा डालना चाहती है. ऐसे में मनोरोगी नरेन्द्र मोदी किसी भी हद तक जाने को तैयार है. विदित हो कि नरेन्द्र मोदी और उसके सिपहसलार अमित शाह एक हत्यारे और गुंडों के सरगना हैं, जिन्होंने हजारों लोगों की हत्या की है, चाहे वह गुजरात दंगा हो, सोहराबुद्दीन हो अथवा सीबीआई जस्टिस लोया हो. खून से रंगे इन अराधकर्मियों की सरकार ने देश के सामने अपने मंसूबे साफ कर दिये हैं.

केन्द्र की मोदी सरकार आरएसएस के जिस एजेंडें को देश में लागू करना चाहती है उसके तहत न केवल आम आदमी पार्टी की सरकार ही वरन् इस देश का संविधान भी आड़े आ रहा है. अतएव, केन्द्र सरकार देश के तमाम संस्थानों – सुप्रीम कोर्ट, आरबीआई, चुनाव आयोग, सीबीआई आदि – को खत्म करने के बाद सीधा संविधान पर हमला कर रही है और जो कोई इसके आड़े आयेगा, हत्यारों और अपराधियों की यह केन्द्र सरकार उसे मिटाने का हर संभव प्रयास करेगी. दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार के खिलाफ इस भ्रष्ट-नकारा मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के थप्पड़ कांड में पुलिसिया छापामारी की घटना का मुख्य कारण यही है समझ में आता है. हलांकि जनविरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण मुख्य सचिव अंशु प्रकाश को कथित तौर केवल थप्पड़ मारना बहुत ही गलत है, उनके साथ और भी कुछ किया जाना चाहिए था, क्योंकि भूख से मरने से तो अच्छा है कि भूखा रखने वाले जिम्मेदार आदमी को मारकर खा लिया जाये, यही भूख का प्राकृतिक न्यायशास्त्र कहता है.

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2 Comments

  1. Uday

    February 23, 2018 at 5:45 pm

    दिल्ली की जनता भाजपा और कांग्रेस की उत्कट मंशा को समझ चुकी है… केजरीवाल सरकार को परेशान करके भाजपा को कोई राजनीतिक लाभ होना मुश्किल है… हाल ही में हुआ एबीपी न्यूज का ऑपीनियल पोल भी इसी बात को तस्दीक करती है…

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  2. Shyam lal

    February 25, 2018 at 9:30 am

    इसमें जरा भी शक नहीं कि संघ-संचालित भाजपा सरकार की छाती में बैठी केजरीवाल सरकार शुरू से ही उसकी आँखों की किरकिरी बनी हुई है। इसलिए उसे बदनाम करने या षड़यंत्रपूर्वक फँसाने का खेल मोदी सरकार शुरू से खेल रही है। आप सरकार उसके निष्कंटक शासन के लिए एक बड़ी बाधा है जिसे रास्ते से हटाने मोदी सरकार किसी भी हद तक जा सकती है।

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