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चीन के साथ लगातार बिगड़ते संबंध

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चीन के साथ लगातार बिगड़ते संबंध

चीन के साथ भारत का सीमा विवाद लगातार बढ़ रहा है. पिछले दिनों चीन के साथ झड़प में 20 सैनिकों की मौत के बाद अब फिर दूसरी दफा हुए संघर्ष में 1 सैनिक की मौत हो गई.  केन्द्र की मोदी सरकार इसमें अहम भूमिका निभा रही है. कल तक पाकिस्तान के नाम पर जीने-मरने की कसम खाने वाले आज पाकिस्तान का नाम तक नहीं लेना चाहता, वहीं पुराने पड़ोसी चीन के साथ अनावश्यक संबंध बिगाड़ रहा है. चीनी राष्ट्राध्यक्ष के साथ सबसे अधिक 19 दफा मिलने का रिकार्ड बनाने वाले अबतक के सबसे भ्रष्ट और झूठे प्रधानमंत्री का तगमा लेकर घूमने वाले नरेन्द्र मोदी आज जब चीन के साथ लगातार विवाद को बढ़ावा दे रहा है, तब यह सोचना लाजिमी है कि क्या यह सीमा विवाद मोदी सरकार द्वारा प्रयोजित है ?

चीन की पत्रिका ग्लोबल टाइम्स के अनुसार शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज में सेंटर फॉर एशिया-पैसिफिक स्टडीज के निदेशक झाओ गणचेंग कहते हैं, ‘जहां एप प्रतिबंध का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सीमित प्रभाव पड़ेगा, वहीं तनाव को भड़काने के लिए भारत सरकार के कदम के पीछे बीमार इरादों और यहां तक ​​कि चीन के साथ एक संघर्ष खतरनाक स्तर तक पहुंच रहा है. झाओ ने कहा, ‘यह खतरनाक है. भारतीय अर्थव्यवस्था जितनी खराब होती जाती है, नई दिल्ली द्वारा सैन्य संघर्ष को उकसाने की संभावना उतनी ही अधिक होगी.’ यहां हम पाठकों के सामने ग्लोबल टाइम्स के दो लेख का हिन्दी अनुवाद पेश कर रहे हैं.

अगर भारत उसके साथ किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धा में शामिल होना चाहता है तो चीन अतीत से ज्यादा उसकी सेना को नुकसान पहुंचाने में सक्षम है. भारत ने अपने बयान में कहा कि उसने चीनी सेना की गतिविधि को पहले ही रोक दिया. इससे पता चलाता है कि भारतीय सेना ने पहले विध्वंसक कदम उठाया और भारतीय सैनिकों ने ही इस बार संघर्ष शुरू किया.

भारत अपनी घरेलू समस्या से परेशान है, खासकर कोरोना वायरस के हालात से जो बिल्कुल नियंत्रण से बाहर है. रविवार को भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामले 78 हजार पहुंच गया. अर्थव्यवस्था की स्थिति भी खराब है. सीमा पर उकसाने की गतिविधियों को अंजाम देकर भारत अपनी घरेलू समस्याओं से ध्यान भटकाना चाहता है.

इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारत एक ताकतवर चीन का सामना कर रहा है. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के पास देश की एक-एक इंच जमीन की सुरक्षा करने के लिए पर्याप्त ताकत है. चीन के लोग भले ही भारत को संघर्ष के लिए उकसाना नहीं चाहते हैं लेकिन चीन के भू-भाग पर अतिक्रमण की अनुमति कभी नहीं देंगे. चीन की जनता अपनी सरकार के साथ मजबूती से खड़ी है.

चीन दक्षिण-पश्चिम सीमाई इलाकों में रणनीतिक रूप से मजबूत है और किसी भी स्थिति के लिए तैयार है. अगर भारत शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व चाहता है तो इसका स्वागत है लेकिन अगर भारत किसी भी तरह की चुनौती देना चाहता है.तो चीन के पास भारत के मुकाबले ज्यादा हथियार और क्षमता है. अगर भारत सैन्य क्षमता का प्रदर्शन करना चाहता है तो पीएलए भारतीय सेना को 1962 से ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाली है.

भारत को अमेरिका के समर्थन को लेकर किसी भी तरह का भ्रम पालने की जरूरत नहीं है और न ही चार देशों के साथ गठबंधन के तहत रणनीतिक सहयोग बढ़ाने की. चीन-भारत का मुद्धा द्विपक्षीय मुद्धा है और अमेरिका सिर्फ शाब्दिक तौर पर ही भारत का समर्थन कर सकता है. अमेरिका चीनी क्षेत्र कब्जाने में भारत की मदद कैसे कर पाएगा ? अमेरिकियों के दिमाग में चल रहा है कि भारत और चीन एक-दूसरे में व्यस्त रहें ताकि भारत को अमेरिका की चीन को रोकने की रणनीति में अहम मोहरा बनाया जा सके.

पैंगोंग झील में हुआ संघर्ष दिखाता है कि भारत ने गलवान घाटी से कोई सबक नहीं लिया. वो अब भी चीन को उकसाना चाहता है. 2017 में डोकलाम के बाद से भारत-चीन सीमा पर तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं. चीन-भारत सीमा पर विवाद लम्बा खिंच सकता है और कई तरह के छोटे-बड़े संकट सामान्य बात हो जायेगी. हमें इसके लिए तैयार होना चाहिए.

चीन-भारता सीमाई इलाके में सैन्य संघर्ष के लिए चीन को तैयार रहना चाहिए. हमें शांतिपूर्ण तरीकों से अपने मतभेदों को सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए लेकिन अगर भारत लगातार चीन को ललकारना जारी रखता है तो चीन को भी नरम रूख नहीं अपनाना चाहिए. जरूरत पड़ने पर चीन को सैन्य कार्रवाई करनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि वो इसमें सफल भी हो.

चीन भारत से कई गुना ज्यादा ताकतवर है और भारत का चीन से कोई मुकाबला ही नहीं है. हमें भारत की गलतफहमी को दूर करना चाहिए कि वो अमेरिका समेत अन्य ताकतों के साथ मिलकर चीन से टकरा सकता है. एशिया और दुनिया के इतिहास ने हमें बताया है कि अवरवाद पर चलने वाली ताकतें कमजोर को परेशान करती है जबकि ताकतवर से डरती है. जब भारत चीन सीमा की बात आती है तो भारत पूरी तरह से अवसरवादी है.

चीनी विशेषज्ञ ने कहा कि ‘118 चीनी मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगाने के लिए बुधवार को भारत सरकार का ताजा कदम, सीमा पर नए सिरे से तनाव के बीच चीन के खिलाफ एक और भड़काऊ चाल है, और जनता का ध्यान कोविड ​-19 का प्रकोप और अर्थव्यवस्था में संकुचन से हटाने की एक असफल कोशिश के तहत एक असफल इरादे से एक सीमा पर आक्रमता पैदा कर रहा है.’

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार भारत के सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने घोषणा की कि वह कुल 118 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाएगा, जिसमें दावा किया गया है कि यह ऐप देश की संप्रभुता, अखंडता और रक्षा के लिए ‘पूर्वाग्रही’ थे. नई दिल्ली ने पहले ही लोकप्रिय टिक-टॉक और वीचैट सहित 59 चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया है.

यह कहने के अलावा कि मंत्रालय को कुछ मोबाइल ऐप्स के ‘दुरुपयोग’ के बारे में कई शिकायतें मिलीं, रिपोर्ट ने इस बात का कोई सबूत नहीं दिया कि यह ऐप देश के लिए कैसे हानिकारक थे ? प्रतिबंधित ऐप्स में से एक व्यापक रूप से लोकप्रिय मोबाइल गेम ऐप पबजी है, जो टेनसेंट के स्वामित्व में है और कथित तौर पर भारत में इसके 33 मिलियन का सक्रिय उपयोगकर्ता हैं.

नवीनतम कदम के रूप में भारत फिर से गालवान घाटी में चीन के साथ सीमा तनाव बढ़ा रहा था, और उसने जून में 59 चीनी मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगाने के पहले के फैसले का पालन किया, जिसमें बाइटडांस के टिकटोक और अलीबाबा के यूसी ब्राउजर शामिल थे.

यह कदम भारत के रूप में भी आता है, दक्षिण एशिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश, कोविड​​-19 महामारी द्वारा जारी है, जो अर्थव्यवस्था को अपंग कर रहा है, और इस तरह यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की एक छिपी हुई उत्तेजक चाल है. शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज में सेंटर फॉर एशिया-पैसिफिक स्टडीज के निदेशक झाओ गणचेंग ने कहा.

ग्लोबल टाइम्स ने बुधवार को ग्लोबल टाइम्स को बताया, ‘भारत का रोमांच और अवसरवादिता विशेष रूप से खड़ा है, यह कहते हुए कि इसकी अर्थव्यवस्था तेजी से बिगड़ रही है और वहां महामारी बिगड़ रही है, भारत के शासन व्यवस्था को पतन का खतरा है, जिसका मतलब मोदी का पतन हो सकता है.

भारत ने कोविड-19 के दुनिया के सबसे खराब प्रकोपों ​​में से एक को देखा है, जिसमें बुधवार को 3.77 मिलियन से अधिक संक्रमण और 66,000 से अधिक मौतें हुई हैं, और प्रत्येक दिन नए मामलों की संख्या बढ़ रही है. भारत के जीडीपी, जो दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रहा था, में सोमवार को जारी भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 23.9 प्रतिशत का रिकॉर्ड संकुचन हुआ.

झाओ ने कहा कि जहां एप प्रतिबंध का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सीमित प्रभाव पड़ेगा, वहीं तनाव को भड़काने के लिए भारत सरकार के कदम के पीछे बीमार इरादों और यहां तक ​​कि चीन के साथ एक संघर्ष खतरनाक स्तर तक पहुंच रहा है. झाओ ने कहा, ‘यह खतरनाक है. भारतीय अर्थव्यवस्था जितनी खराब होती जाती है, नई दिल्ली द्वारा सैन्य संघर्ष को उकसाने की संभावना उतनी ही अधिक होगी, यह बहुत ही चिंताजनक स्थिति है.’

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ROHIT SHARMA

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