जिन लिबरलों, तथाकथित तटस्थतावादियों, गांधीवादियों, अम्बेडकरवादियोंं, नेहरूवादियों, समाजवादी दल, भ्रमित कम्युनिटोंं और शोषक पूंजीवादी सत्ता के प्यादों को लगता है दुनिया में ‘वामपंथ’ खत्म हो गया है उनको चिली का इतिहास पढना चाहिए, 51 साल बाद फिर सत्ता में वापसी अमेरिका के साथ साथ दुनिया भर के पूंजीवादी दलाल शोषकों की नींद हराम होनी शुरू हो गई है.
भले ही यह समाजवाद का ट्रैक नहीं है फिर भी जनता जनवाद की तलाश में है. कम्युनिस्टों को फिर से सोचना होगा आखिर यह जीत महज एक सत्ता विरोधी लहर है या दुनिया छटपटा रही है ऐसा ही कुछ करने के लिए. क्या कामरेड तैयार हो ?
चिली में 35 साल का लड़का राष्ट्रपति बन गया. गैब्रिएल बोरिक नाम का यह लड़का, क्रांतिकारी वामपंथी राजनीति का नुमाइंदा है. जिन्हें लगता है कि दुनिया से वामपंथ का नाम-ओ -निशान मिट चुका है, उनके लिए यह दुःख भरी खबर हो सकती है.
छात्र राजनीति से सीधे राष्ट्रपति के चुनाव में उतरा बोरिक निजीकरण के सख्त खिलाफ है. वह सरकारी कंपनियों के बेचे जाने, कुछ चंद लोगों के अमीर होते जाने का विरोधी है. वह मानता है कि सबको बराबर और सामान शिक्षा मिलनी चाहिए. स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण कतई नहीं होना चाहिए. सार्वजनिक बैंकों को नहीं बेचा जाना चाहिए. सरकार और राजनीति में महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा शामिल किया जाना चाहिए.
35 साल के वामपंथी छात्र नेता गेब्रियल बोरिक चिली के राष्ट्रपति बने हैं, जो कि यंग, डायनामिक, सुशिक्षित एवं प्रो-एक्टीव लीडर हैं. ऐसे में जब दुनिया पूंजीवाद तले कराह रही है, वामपंथ के तरफ देख रही है. इससे यह भी साबित होता है कि लैटिन
अमेरिकी देशों में चे-ग्वेरा की डाली क्रांति की खाद से नई पौध लहलहाने को मचल रही है. फासिज्म और साम्राज्यवादी ताकतों के खिलाफ उभार बढ़ रहा है.
इसी क्रम में चिली की जनता ने वामपंथी छात्र नेता 35 वर्षीय गेब्रियल बोरिक को अब तक का सबसे युवा राष्ट्रपति चुन लिया है. उनको प्रगतिशील वामपंथ का प्रतिनिधि माना जाता है, जिन्होंने बेहतर, सबको बराबर और मुफ्त शिक्षा की मांग के लिए बड़े पैमाने पर छात्र आंदोलन विकसित किया.
दस साल बाद चिली फिर वामपंथी शासन का जायका चखेगा. बीते दस साल में चिली के बाजार-उन्मुख आर्थिक मॉडल से लोग तंग आ गए थे और हर ओर आक्रोश फैला था. बड़े पैमाने पर इन नीतियों ने असमानता को बढ़ावा दिया.
इस दरम्यान विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों को बेरहमी से कुचलने की कोशिश हुई. गेब्रियल बोरिक ने इस विरोध को सधी हुई आवाज दी और वे जनता की आवाज बन गए. राष्ट्रपति बनने पर पूरे क्षेत्र के वामपंथियों ने बोरिक को बधाई दी है.
घने काले बालों और कटी हुई दाढ़ी वाले छात्र नेता गेब्रियल सियासत की जमीन पर खरे उतरते चले गए. उन्होंने छात्र राजनीति के दौरान खुद को तराशा. चिली में वामपंथ में कई जाने-पहचाने चेहरे होने के बावजूद बोरिक राष्ट्रपति पद के प्रबल दावेदार बन गए.
बोरिक ने हाल ही में अपने गठबंधन के कट्टरपंथी नजरिया रखने वाले वाम गुटों से खुद को अलग करने की मांग की बात कही है, जिसे वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के शासन वाली कम्युनिस्ट पार्टी का समर्थन भी शामिल है.
उनका समर्थन करने वाले ऑनलाइन मीम्स की बाढ़ आ गई है. उनके युवा समर्थकों ने जैसे मुहिम छेड़ दी है. इनमें दो हाई-प्रोफाइल फैन ‘द मंडलोरियन’ के चिली-अमेरिकी अभिनेता पेड्रो पास्कल और मैक्सिकन अभिनेता गेल गार्सिया बर्नाल भी हैं.
चिली के पूर्व दो-अवधि के राष्ट्रपति और वर्तमान में मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेट ने बोरिक का समर्थन करते हुए कहा कि वह चिली में ज्यादा स्वतंत्रता, समानता और मानवाधिकारों को सभी के लिए राह आसान करेंगे.
गेब्रियल बोरिक का जन्म और पालन-पोषण चिली के सबसे दक्षिणी क्षेत्र मैगलन में हुआ. जब वे हाई स्कूल में थे, तभी से वह छात्र आंदोलन में शरीक हो गए और 2011 में चिली विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई के दौरान उन्हें छात्रसंघ का अध्यक्ष चुना गया.
उन्होंने कभी भी अपनी डिग्री पूरी नहीं की. इसके बरअक्स वह 2013 में चिली के कांग्रेस के लिए चुनाव जीतने और डिप्टी के रूप में दो कार्यकाल पूरे करने के बाद, चिली के दो मुख्य गठबंधनों के बाहर एक राजनीतिक दल का प्रतिनिधित्व करने वाले देश के पहले कांग्रेसियों में से एक बन गए.
स्वतंत्र के रूप में वह कांग्रेस के लिए चुने गए, जो मैगलन का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. आज जरूरत है कि हमारे मुल्क में भी ऐसे ही वामपंथी विचार रखने वाले युवाओं को आगे आने की, आंदोलन एवं नेतृत्व करने की. क्या आपको नहीं लगता कि आज भारत को भी एक नहीं कई-कई गैब्रिएल बोरिक की ज़रूरत है ?
- विश्वजीत एवं विश्वदीपक
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