कनक तिवारी
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ साहब ! देश में सब लोगों को नहीं मालूम है. वकीलों को, जजों को, पत्रकारों को, और कुछ प्रोफेसरों को मालूम हो सकता है. निजता के अधिकार पर, राइट टू प्राइवेसी पर आपका शानदार फैसला है. इतना शानदार कि उस बहुत महत्वपूर्ण फैसले में आपने उन बातों का भी हवाला दिया, जो भारत में आपातकाल के समय कुछ फैसले हो गए थे और एक तरह से आपके पिताश्री का जो फैसला था, उसका भी कहीं उल्लेख हुआ. ऐसा सुनाई पड़ता है. और उसे आपने उस थ्योरी को खारिज किया आपातकाल के समय की.
उस थ्योरी को कि जब बहुमत जजों ने इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल का समर्थन कर दिया था. फिर आपने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वगैरह को लेकर भी कई बार कई तरह के फैसले किए हैं, उनका ब्यौरा देने की ज़रूरत नहीं है. लेकिन आपकी खुद की निजता का क्या हुआ ? जो व्यक्ति देश में हर व्यक्ति, हर नागरिक की निजता की चिंता करता है, उसकी खुद की उस व्यक्ति की चिंता का क्या हुआ ?
आपके घर में घुसकर कोई आपके हाथ से पूजा कि थाली छीन कर अपने कैमरामैन के सामने खड़े होकर भगवान गणेश की पूजा करने लगे, और आपसे कहे आप ताली बजाओ. आपसे पूजा करने का निजी अधिकार तक छीन लिया और आप चुप रहे. यह व्यक्ति नहीं आता तो आप ही पूजा करते न ? यह व्यक्ति तो सबसे ताली बजाओ कहता रहा है, जब देश में कोविड आया था. तब दवा का प्रबंध करने के बदले मरते लोगों के लिए इसके मन में पीड़ा नहीं थी.
पूरे देश के बेवकूफ लोग हजारों लाखों करोड़ों अपने घरों में खड़े होकर थाली बजा रहे थे. ताली बजा रहे थे. घंटी हिला रहे थे. दकियानूस बना दिया इस मुल्क को जिस व्यक्ति ने, वह आपके घर की आंतरिकता को तारतार कर गया और आप आज तक मौन हैं ! बोलते भी नहीं है कि क्यों आए थे ये सज्जन ? कौन लेकर लेकर आया था उनकी कैमरा टीम को ?
कैमरा टीम के बिना तो यह सज्जन खुद पूजा नहीं करते. चाहे केदारनाथ हो, चाहे रामलला का मंदिर हो. पुजारी को हटा देते हैं, खुद केवल अकेले रहते हैं. कई बार तो भगवान को भी पीठ दिखा देते हैं. समुद्र के किनारे झाड़ू लगाते हैं तो सबको भगा देते हैं और झाड़ू लगाते हैं. कितने बार कपड़े बदलते हैं दिन में ? वह भी फोटो में आ जाता है. उनके खुद के घर में गणेश पूजा इन्होंने की या नहीं. उनके जीवन में निजता की सर्वजनिकता कहां है ? वहां तो रहस्यमयता है, गोपनीयता है, संदिग्ध परिस्थितियां हैं, यह भी पता नहीं है. क्या अजीब स्थिति है ?
अगर आप अपने घर में अपने घर की गोपनीयता को नहीं बचा सकते चीफ जस्टिस साहब ! तो देश का क्या होगा ? मेरे घर में घुसकर कोई भी मेरे घर की प्राइवेसी को खत्म कर देगा और मैं मुकदमा भी नहीं कर सकूंगा क्योंकि लोग कहेंगे कि मुख्य न्यायाधीश के घर तो निजता रहती नहीं है तो आपको कहां से अधिकार आ गया ?
कम से कम कैमरा टीम को तो बाहर करना था. कुछ लोग तो जबरदस्ती किसी के घर में घुसते हैं. वह तो उनकी आदत है. विदेश जाकर बिरयानी भी खा आते हैं लेकिन कैमरा टीम की इतनी हैसियत ! और क्या पता आपके घर में उन्होंने घुसकर कहां-कहां फोटो ले ली होगी और उसका कब उपयोग कर दिया जाएगा ? भगवान मालिक है ! कुछ तो बोलिए.
महाराष्ट्र चुनाव में फायदा उठाना शुरू हो गया है, आपके घर में घुसने के कारण. यह भी आपको नहीं मालूम था क्या ? अपने शानदार हवेलीनुमा मकान में मोर को दाना खिलाना या बछिया की पप्पी लेना या और इस तरह के पशु पक्षियों के साथ में दिखाऊ खिलवाड़ करना और आपके घर में घुस जाना एक जैसी घटनाएं नहीं हैं.
हम सार्वजनिक जीवन में तो कम से कम सेकुलरिज्म के पक्ष में हैं. आप भारत के सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा के प्रतीक हैं चीफ जस्टिस साहब ! इतिहास में आपका नाम दर्ज होगा ! आपने कई अच्छे काम किए हैं ! आपकी न्यायिक समझ बहुत अच्छी है. आप बहुत शरीफ हैं. संकोची हैं. बहुत अच्छे गुणों से, संस्कारों से लबरेज हैं. हम आपका बहुत सम्मान करना चाहते हैं और करते भी हैं.
यहां जो लिखा जा रहा है, उससे आपकी अवमानना नहीं होती है. हम आपकी प्रतिष्ठा के लिए लोगों से लड़ते हैं. यह सब हमारे किस काम का जब कोई आपके घर में अतिक्रमण करता व्यक्ति आपको दबा देता है सार्वजनिक जीवन में और फिर सारे फोटो वायरल कर देता है. चीफ जस्टिस साहब ! राजनीति वही अंधा कुआं है जहां खलनायक अपने आप को, अपनी लोक प्रतिष्ठा सुधारने के लिए नायक बना देता है और आपके जैसे निर्दोष नायक को संदिग्ध भूमिका में डाल देता है. इतना तो षड्यंत्र आपको समझना था.
सुप्रीम कोर्ट के कई रिटायर्ड जज और पढ़े लिखे लोग दुनिया भर में इसकी आलोचना कर रहे हैं. आपकी चुप्पी खतरनाक है. कई चुप्पियां नपुंसकता का पर्याय होती हैं. जो लोग आपके खैरख़्वाह हैं, उनके दिलों को चोट पहुंची है चीफ साहब ! आपकी सज्जनता और फिर अब आपकी चुप्पी इतिहास में आपको बदनाम करेगी. बदनाम नहीं हो तब भी परेशान तो करेगी. यह एक तरह की चर्चा का विषय बन तो जाएगा. संवैधानिक पद पर बैठे शीर्ष व्यक्ति की चुप्पी संविधान की आत्मा को चीर देती है. कुछ तो बोलिए…
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