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छत्तीसगढ़ : भाजपा की तरह कांग्रेसी शासनकाल में भी बदस्तूर जारी है आदिवासियों का पुलिसिया उत्पीड़न

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छत्तीसगढ़ : भाजपा की तरह कांग्रेसी शासनकाल में भी बदस्तूर जारी है आदिवासियों का पुलिसिया उत्पीड़न
छत्तीसगढ़ : भाजपा की तरह कांग्रेसी शासनकाल में भी बदस्तूर जारी है आदिवासियों का पुलिसिया उत्पीड़न
हिमांशु कुमार, सामाजिक कार्यकर्त्ताहिमांशु कुमार

वर्षा डोंगरे सहायक जेल अधीक्षक दुर्ग जो अनुसूचित जाति से हैं, वे अपने उच्च अधिकारी के के गुप्ता के खिलाफ भयानक अपराधों की एफआइआर कराना चाहती हैं. लेकिन अनुसूचित जाति जनजाति थाना वाले डेढ़ महीने से उनकी एफआइआर नहीं लिख रहे हैं. वर्षा डोंगरे ने डीजीपी को भी शिकायत भेजी है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है. क्या कांग्रेस के पास भाजपा को दलित विरोधी कहने का कोई अधिकार है ?

वर्षा डोंगरे इस समय छत्तीसगढ़ दुर्ग में सहायक जेल अधीक्षक हैं. पांच वर्ष पहले मैंने सोशल मीडिया पर लिखा था कि छत्तीसगढ़ की जेलों में नाबालिग आदिवासी लड़कियों को पुलिस थाने में प्रताड़ित करने, उनके साथ बलात्कार करने के बाद उन्हें नक्सली बता कर जेलों में डाल दिया जाता है. उन्हें थाने में बिजली के झटके दिए जाते हैं. उनके शरीर पर जलाए जाने के निशान होते हैं.

मैंने यह भी लिखा था कि अगर मेरे आरोप झूठे पाए जाए तो मुझे जेल में डाल दिया जाए. उस समय की भाजपा सरकार ने डर के मारे ना तो इन आरोपों की जांच की ना मुझे जेल में डाला. अलबत्ता उस समय रायपुर जेल में पदस्थ डिप्टी जेलर वर्षा डोंगरे ने मेरे उस फेसबुक पोस्ट पर लिखा था कि ‘हां यह बिल्कुल सच है. मैंने खुद बस्तर जेल में ऐसी आदिवासी नाबालिग लड़कियों को देखा था, जिनकी कलाइयों पर बिजली से जलाए जाने के निशान थे.’ इसके बाद सरकार ने वर्षा डोंगरे को निलंबित कर दिया था.

सरकार बदलने के बाद वर्षा डोंगरे को वापिस ड्यूटी पर ले लिया गया. एक महीने पहले वर्षा डोंगरे ने छत्तीसगढ़ जेल विभाग के जेल उपमहानिरीक्षक के. के. गुप्ता के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज करने के लिए अनुसूचित जाति जनजाति थाने में आवेदन दिया है. इस एफआईआर में अन्य आरोपों के अलावा कैदियों को एक्सपायरी डेट की दवाईयां खिलाए जाने का भी आरोप है. इसके अलावा पांच साल से वर्षा डोंगरे को इनके द्वारा प्रताड़ित किये जाने की शिकायत भी है.

सोनी सोरी ने भी जेल से भेजे हुए खत में इस बात का जिक्र किया था कि उन्हें जेल में एक्सपायरी डेट की दवाई खिलाई जा रही है, जिससे उनकी तबीयत खराब हो गई है और सोनी सोरी की आशंका थी कि शायद सरकार उन्हें जान से मारना चाहती है.

अनुसूचित जाति की महिला अधिकारी वर्षा डोंगरे की शिकायत अनुसूचित जाति जनजाति थाने द्वारा दर्ज ना किया जाना बेहद गंभीर मामला है. प्रभारी थानेदार ऊपर से मार्गदर्शन लेने का बहाना बना रहे हैं लेकिन एक महीने से ज्यादा हो गया है, उन्हें अभी तक ‘मार्गदर्शन’ नहीं मिला है ! पता नहीं यह कैसा मार्गदर्शन है जो एक अधिकारी को अपना कर्तव्य पालन नहीं करने दे रहा. छत्तीसगढ़ सरकार को कानून की रक्षा करनी चाहिये.

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छत्तीसगढ़ में जब भाजपा की सरकार आई तो उसने पूंजीपतियों से पैसा खाकर आदिवासियों के 644 गांव में आग लगाई थी. हजारों आदिवासियों की हत्या की गई, हजारों महिलाओं से बलात्कार किए गए, हजारों आदिवासियों को जेलों में ठूंस दिया गया. तब पुलिस वालों की बड़ी मौज आ गई थी. यह लोग तरक्की और कैश इनाम के लालच में निर्दोष आदिवासियों को जेलों में ठूंस देते. फर्जी आत्मसमर्पण कराते थे. उनकी हत्या करते थे. कमोबेश यह अभी भी चल रहा है

अभी परसों ही छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के भांसी थाना के थानेदार ने पास में ही रहने वाली एक बुजुर्ग महिला को उसके लड़कों को डरा धमका कर खबर भेज कर बुलवाया और उसे नक्सली घोषित करके फर्जी आत्मसमर्पण करा लिया. इसके बाद आदिवासियों ने थाने को घेर लिया. घबराकर पुलिस ने अपनी गलती मानी और महिला को घर जाने दिया. कांग्रेस भी अगर भाजपा वाले तौर-तरीके अपनाएगी तो बर्बाद हो जाएगी.

ऐसे मामलों में सरकार को खुद कार्रवाई करनी चाहिए और थानेदार को तुरंत प्रभाव से बर्खास्त कर देना चाहिए और आदिवासियों से माफी मांगनी चाहिए और उस महिला को मुआवजा देना चाहिए. अगर कांग्रेस सरकार ऐसा नहीं करती है तो अगले चुनाव में उसका दागदार दामन उसके लिए नुकसानदेह हो सकता है.

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