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छत्तीसगढ़ : आदिवासी क्षेत्र को बूटों से रौंदा जा रहा

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छत्तीसगढ़ : आदिवासी क्षेत्र को बूटों से रौंदा जा रहा

रिजवान रहमान

छत्तीसगढ़ में जो चल रहा है, उसकी तस्वीर देश आईने में नहीं देखना चाहता. केरल के ऑक्सफोर्ड रिटर्न कांग्रेसी इंटेलेक्चुअल लीडर से लेकर लुटियंस जोन की तरफ लार टपकाते स्वयंघोषित इतिहासकार, ‘हिन्दुइज्म वर्सेस हिंदुत्वा’ के बहस में मशगूल हैं और उसी के समानांतर एक आदिवासी क्षेत्र को बूटों से रौंदा जा रहा. उसके सीने में गोलियां दागी जा रही. उसकी बेटियों को माओवादी बता कर उनका रेप किया जा रहा. यह पिछले कई दशक से, मेरे यह लिखने तक बदस्तूर जारी है.

30 मई को डिस्ट्रीक्ट रिजर्व गार्ड, वायको पेक्को नाम की आदिवासी लड़की को रात में जबरन घर से उठाकर ले जाती है. अगली सुबह जब उसके परिवार वाले गांव के लोगों के साथ दांतेवाड़ा पुलिस स्टेशन पहुंचते हैं तो उन्हें खबर दी जाती है, वायको पेक्को मर गई. लेकिन वायको पेक्को क्यों मर गई ? इस सवाल का जवाब आर्म्ड फोर्स के इतिहास में है, उसकी कार्यप्रणाली में है. इसका जवाब स्टेट द्वारा मूल निवासियों पर किए जा रहे हमले में है, सुनियोजित वायलेंस में है.

एफआईआर रिपोर्ट के मुताबिक डिस्ट्रीक्ट रिजर्व गार्ड ने वायको पेक्को के साथ रात भर रेप किया था. उसके ब्रेस्ट, उंगलियां, जांघ और माथे को काट दिया था जबकि पुलिस अपने बचाव में डिटेल्स लिखती है, ‘पीएलजीए (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) की मेंबर पेक्को माओवादी थी और उस पर दो लाख का ईनाम था. उसकी लाश एक माओवादी विरोधी अभियान के दौरान मिली थी.’

एक आदिवासी लड़की के इस बर्बर मर्डर और रेप पर देश को हिल जाना चाहिए, लेकिन एक रोआं भी खड़ा नहीं हुआ. सोशल मीडिया के हैशटैग एक्सपर्ट भी अनजान हैं या अनजान ही बने रहना चाहते हैं. सोचने पर झटके में समझ आ जाएगा.

इन दिनों वोकल लोगों का नया अड्डा है क्लब हाउस. लेकिन नक्कारखाने की इस तूती में भी छत्तीसगढ़ कहीं नहीं है. क्लब हाउस के इको चैंबर से वायुमंडल में बेतरह ध्वनि प्रदूषण फैल रहा परंतु छत्तीसगढ़ के नाम पर शमशान-सी मुर्दा शांति है.

अपने कमरे का एक कोना पकड़ यह सब देखते हुए, मुझे निज़ार की याद आ रही. शायद निज़ार हमारे मुल्क़ में पैदा होते तो यहां के हालात पर तब भी यही कहतें –

Oh darling,
What kind of nation is this?
This nation that dare not see its body in the mirror

निज़ार की इस कविता से आगे बढ़ते हुए, हिन्दी के सवर्ण प्रगतिशील खेमें में चल रहे ‘हिन्दुइज्म वर्सेस हिंदुत्वा’ के पूरे डिबेट में पेरी एंडरसन की टिप्पणी मानीखेज है. वह अपनी किताब इंडियन आईडियोलॉजी में कहते हैं, ‘हिंदुस्तान में उन्हीं इलाकों में आफ्स्पा लगा हुआ है जो हिन्दू बहुल नहीं है.’

पेरी एंडरसन की यह बात जायज है. कश्मीर से लेकर नोर्थ ईस्ट तक हिन्दू बहुल नहीं है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ और झारखंड आदिवासी क्षेत्र है. और इन इलाकों में आर्म्ड फोर्स किस प्रकार काम कर रही, बताना दुहराव होगा.

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ROHIT SHARMA

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