'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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युद्ध विज्ञान

संक्रामक रोग बायोलॉजिकल युद्ध व शोषण का हथियार

अपने आवास के नष्ट होने पर उदास बैठा एक कोआला, ऑस्ट्रेलिया 14वीं शती में मंगोलों ने क्रीमिया के फियोदोशियाई लोगों से युद्ध करते हुए उनके नगर में प्लेग से संक्रमित शव फेंक दिए थे, इससे फियोदोशिया में प्लेग फैल गया. जहांं से पूरा यूरोप इसकी चपेट में आ गया. ब्लैक डेथ के नाम से प्रसिद्ध इस घटना में करोड़ों लोग …

फ्रेडरिक एंगेल्स (1858) : 1857 में लखनऊ पर हमले का पूरा वृत्तान्त

आखिरकार लखनऊ पर किए गए हमले और उसके पतन का ब्योरेवार वृत्तांत अब हमें प्राप्त हो गया है. सैनिक दृष्टि से सूचना का मुख्य स्रोत जो चीज हो सकती थी, यानी सर कॉलिन कैंपबेल की रिपोर्ट, वह तो वास्तव में अभी तक प्रकाशित नहीं की गई है; लेकिन ब्रिटेन के अखबारों में छपे हुए संवाद, और खास तौर से, लंदन …

कश्मीर समस्या और समाधन : समस्या की ऐतिहासिकता, आत्मनिर्णय का अधिकार और भारतीय राज्य सत्ता का दमन

कश्मीर में कश्मीरी राष्ट्रीयता की आजादी के सवाल पर कश्मीरी जनता के द्वारा चलाये जा रहे सशस्त्र संघर्ष और गैर सशस्त्र आंदोलन को उसकी ऐतिहासिकता में समझना जरूरी है. इसके वगैर हम किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकते. एक छात्र संगठन के द्वारा हमें भेजे गये इस आंदोलन पर एक गंभीर अध्ययन अपने पाठकों के सामने प्रस्तुत कर रहे …

षड्यन्त्र क्यों होते हैं और कैसे रूक सकते हैं ?

एक षड्यन्त्र की चर्चा अभी ख़त्म नहीं होती कि दूसरे षड्यन्त्र की चर्चा शुरू हो जाती है. कुछ समय पूर्व हम काकोरी षड्यन्त्र का हाल पढ़ रहे थे, इन दिनों देवघर के षड्यन्त्र के हाल सुन रहे हैं. इनसे पहले लाहौर षड्यन्त्र केस, दिल्ली षड्यन्त्र केस, बोल्शेविक षड्यन्त्र केस और न जाने और कितने षड्यन्त्र केस चल चुके हैं, जिनमें …

माओवादियों की सैन्य तैयारी का आह्वान, गृहयुद्ध की भयावह चेतावनी

[ भारत की केन्द्र सरकार देशवासियों के बड़े हिस्से आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों, महिलाओं सहित देश के तमाम मेहनतकश तबकों पर हिंसक दमन और लूट का एक जघन्य चक्र चला रही है, ताकि वह अपने आका पूंजीपतियों, साम्राज्यवादियों को देश को लूटने में मदद करें और उसके बदले में मिले चंद टुकड़ों को हासिल करता रहे. ऐसे ही लूट के चक्र …

क्रूर शासकीय हिंसा और बर्बरता पर माओवादियों का सवाल

[प्रस्तुत आलेख देश भर में सीपीआई माओवादी के नेतृत्व में चल रहे जनता की हक और अधिकार की लडाई को शासक वर्ग द्वारा अपने क्रूर और बर्बर हिंसक हमले से खत्म कर देने की घातक साजिश के खिलाफ उठे क्रांतिकारी हिंसा के औचित्य पर है. माओवादियों ने क्रांतिकारी हिंसा में मारे गये सिपाहियों पर कॉरपोरेट मीडिया और उसीके के जरखरीद …

सत्ता पर काबिज होना बुनियादी शर्त

किसी भी जनान्दोलन या एजेंडे को अपने मुकाम तक पहुंचाने के लिए सत्ता पर काबिज होना एक बुनियादी और प्राथमिक शर्त है. इस बुनियादी शर्त को समझ लेना और इस ओर कदम बढ़ाना कई बार न केवल मुश्किल होता है वरन् प्रतिरोध की भयानक बाधा भी झेलनी होती है. भारत में इस बुनियादी शर्त को कोई भी जनान्दोलन या तो …

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