'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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युद्ध विज्ञान

फिलिस्तीन मुक्ति युद्ध में वैश्विक जनसमर्थन हासिल करने में सफल रहा ‘हमास’

पिछले 8 दशकों से जारी इजरायली नृशंसता और अमेरिकी साम्राज्यवाद की क्रूरता की धरती बनी फिलिस्तीन की जनता ने अपने प्रतिरोध से हर संभव तरीकों द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करता रहा है लेकिन पिछले 7 अक्टूबर को फिलिस्तीनी मुक्ति आंदोलन ने हमास के विकराल और अविश्वसनीय हमलों से विश्व समुदाय का ध्यान जिस तरह अपनी ओर …

उत्तर कोरिया : 70 वर्षों के अमेरिका विरोधी टकराव का निष्कर्ष

विगत 27 जुलाई 2023 को पितृभूमि मुक्ति युद्ध में जीत की 70 वीं वर्षगांठ पर जनवादी कोरिया की राजधानी फ्यंगयांग में एक विशाल हथियार प्रदर्शनी (무장장비전시회 2023) आयोजित की गई. इसके एक दिन पहले 26 जुलाई को वर्कर्स पार्टी के महासचिव काॅमरेड किम जंग उन ने इस विजय दिवस की बधाई देने जनवादी कोरिया की यात्रा पर आए रुस के …

माओवादियों का शहीदी सप्ताह : भारतीय थल सेना, वायु सेना, एनएसजी, सीआरपीएफ, ग्रे-हाउंड्स द्वारा बस्तर पर जारी हवाई बमबारी बंद करो – सीपीआई (माओवादी)

यह पर्चा भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमिटी के प्रवक्ता विकल्प द्वारा इस वर्ष के जनवरी माह में जारी किया गया था. चूंकि माओवादी हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 28 जुलाई से 3 अगस्त तक ‘शहीदी सप्ताह’ के तौर पर मनाता है, इसीलिए आज हम एकबार फिर इस पर्चा को अपने पाठकों के सामने …

9 मई विक्ट्री डे : द्वितीय विश्व युद्ध में हिटलर को दरअसल किसने हराया ?

दुनिया का पूंजीवादी मीडिया एक ओर नये-नये मनगढ़न्त किस्सों का प्रचार कर मज़दूर वर्ग के महान नेताओं के चरित्र हनन में जुटा रहता है वहीं दूसरी ओर नये-नये झूठ गढ़कर उसके महान संघर्षों के इतिहास की सच्चाइयों को भी उसके नीचे दबा देने की कवायदें भी जारी रहती हैं. द्वितीय विश्वयुद्ध के बारे में भी तरह-तरह के झूठ का प्रचार …

‘भारत में वसंत का वज़नाद’ : माओ त्से-तुंग नेतृत्वाधीन चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी के मुखपत्र पीपुल्स डेली (5 जुलाई, 1967)

भारत की सशस्त्र कम्युनिस्ट क्रांतिकारी आंदोलन ने पहली बार दुनिया की क्रांतिकारी मेहनतकश अवाम का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था. इसका श्रेय मेहनतकश अवाम के पांचवें महान शिक्षक माओ त्से-तुंग की नेतृत्व वाली चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी के मुखपत्र पीपुल्स डेली ने 5 जुलाई, 1967 में प्रकाशित इस अतिमहत्वपूर्ण लेख ‘भारत में वसंत का वज़नाद’ ने ऐतिहासिक …

1857 के विद्रोह का परिप्रेक्ष्य – इरफान हबीब

सबसे पहली बात तो यह है कि मैं 1857 के विद्रोह को औपनिवेशिक शासन के बृहत्तर संदर्भ में रखना चाहूंगा. बहुत सारे ऐसे लोग हैं, जिनमें अनेक इतिहासकार भी शामिल हैं, जो अब यह मानने लगे हैं कि हमारी पाठयपुस्तकों में और इतिहास में औपनिवेशिक शासन की जो आलोचनाएं हैं, उनमें कुछ ज्यादती हुई है. अब से दो-तीन साल पहले, …

माओवादी विद्रोही बेहद उन्नत वियतनामी गुरिल्ला रणनीति से लैस है

माओवादी विद्रोही को वियतनामी गुरिल्ला युद्ध में खासा दिलचस्पी है क्योंकि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष माओ त्से-तुंग के बाद गुरिल्ला रणनीति ने अमेरिकी साम्राज्यवादी ताकतों को वियतनाम में धूल चटाई थी. माओवादियों के साथ मुठभेड़ के बाद झारखंड में एक माओवादी शिविर से जब्त किए गए एक प्रशिक्षण मैनुअल में जिस उन्नत तकनीकों का खुलासा हुआ है, वह था वियतनामी …

सशस्त्र विद्रोह द्वारा देश का निर्माण कैसे होता है और कूटनीति क्या है ?

एक गांव है. उस गांव के एक व्यक्ति के खिलाफ किसी शिकायत पर कुछ सरकारी कर्मचारी उसे तलब करने उसके घर जाते हैं. वह व्यक्ति उन सरकारी कर्मचारियों के साथ जाने से मना कर देता है. वह सरकारी कर्मचारी अब क्या करेंगे ? मान लीजिये कुछ दिन बाद वो कर्मचारी फिर से उस व्यक्ति के पास जाते हैं, इस बार …

भारत में क्रांति के रास्ते : काॅ. स्टालिन के साथ

Left Pic : 1951, VIjAYAWADA : P. SUNDARAYYA, Maddukuri Cghandrasekhara Rao, Chandra Rajeswara Rao, Vasudevarao and M. Basavapunniah after they came out from underground following the government’s lifting of the ban on the communist Party of India – By Special Arrangement; & Right Pic : STALIN (RIGHT) WITH Vyacheslav Mikhailovich Molotov. They, along with Mikhail Andreyevich Suslov and Georgy Malenkov, …

अगर चीन ने आज भारत पर युद्ध की घोषणा की तो क्या होगा ?

यदि चीन भारत पर युद्ध की घोषणा करता है तो इसके कई आयाम हो सकते हैं. प्रत्येक स्थिति में परिणाम भिन्न होगा परन्तु प्रत्येक परिस्थिति में क्या परिणाम होगा, इसका मैंने जो आंंकलन दर्ज किया है, वह लगभग तय है. (A) यदि भारत और चीन के बीच युद्ध होता है और दोनों देश खुद के हथियारों से लड़ते है, यानी …

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