'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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युद्ध विज्ञान

वार्ता का झांसा देकर माओवादियों के खिलाफ हत्या का अभियान चला रही है भाजपा सरकार

छत्तीसगढ़ में एक बार फिर माओवादियों के साथ ‘मुठभेड़’ में 13 माओवादियों को छत्तीसगढ़ पुलिस ने शहीद कर दिया है. मारे गए माओवादियों को ‘शहीद’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि छत्तीसगढ़ में माओवादी वहां के निवासी गरीब-पीड़ित आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए सरकार से लड़ती है, जबकि छत्तीसगढ़ में पुलिस आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन को हड़पने और उस हड़पी …

क्या माओवादियों को हथियार विदेशों या चीन से मिलता है ?

भारत में सशस्त्र संघर्ष के बल पर देश की वर्तमान अर्द्ध सामंती अर्द्ध औपनिवेशिक व्यवस्था को खत्म कर नवजनवादी क्रांति के जरिए देश में समाजवादी व्यवस्था लाने की कोशिश में जुटे भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) पर अक्सर यह आरोप लगता रहता है कि उसे आर्थिक व सैन्य मदद, खासकर असलहों की आमदरफ्त विदेशी ताकतों, खासकर चीन से मिलता है. …

अक्टूबर (नवम्बर) क्रांति पर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का दृष्टिकोण

उथल-पुथल से भरी मानव इतिहास में रुसी अक्टूबर (नवम्बर) क्रांति अमिट स्वर्णाक्षरों में लिखी जाने वाली एक महान घटना है, जिसने मानव इतिहास में पहली बार मनुष्यों के द्वारा मनुष्यों के शोषण के चक्र को तोड़ दिया और सच्चे मनुष्यों के निर्माण की नींव डाली. यही कारण है कि दुनिया के तमाम मेहनतकश जनता इस दिन को याद करते हैं …

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) से वर्ष 2010 में जुड़ी घटनाएं…

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी (सीपीआई-माओवादी) की स्थापना वर्ष 2004 में हुई थी, तबसे यह पार्टी तमाम अवरोधों, उतार-चढ़ाव और अपने हजारों साथियों की शहादतों को झेलते हुए देश और दुनिया में अपनी अमिट पहचान छोड़ रही है. माओवादी और भारत सरकार के बीच चल रही सीधी भिडंत की सैकडों घटनाएं हर साल घटित होती है, जिसका समेकित लेखाजोखा भी रखा …

फिलिस्तीन मुक्ति युद्ध में वैश्विक जनसमर्थन हासिल करने में सफल रहा ‘हमास’

पिछले 8 दशकों से जारी इजरायली नृशंसता और अमेरिकी साम्राज्यवाद की क्रूरता की धरती बनी फिलिस्तीन की जनता ने अपने प्रतिरोध से हर संभव तरीकों द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करता रहा है लेकिन पिछले 7 अक्टूबर को फिलिस्तीनी मुक्ति आंदोलन ने हमास के विकराल और अविश्वसनीय हमलों से विश्व समुदाय का ध्यान जिस तरह अपनी ओर …

उत्तर कोरिया : 70 वर्षों के अमेरिका विरोधी टकराव का निष्कर्ष

विगत 27 जुलाई 2023 को पितृभूमि मुक्ति युद्ध में जीत की 70 वीं वर्षगांठ पर जनवादी कोरिया की राजधानी फ्यंगयांग में एक विशाल हथियार प्रदर्शनी (무장장비전시회 2023) आयोजित की गई. इसके एक दिन पहले 26 जुलाई को वर्कर्स पार्टी के महासचिव काॅमरेड किम जंग उन ने इस विजय दिवस की बधाई देने जनवादी कोरिया की यात्रा पर आए रुस के …

चारु मजुमदार के शहादत दिवस पर ‘ऐतिहासिक आठ दस्तावेज़’ (1965-1967)

सर्वहारा के चौथे शिक्षक कामरेड स्टालिन की मृत्यु के बाद संशोधनवादी गद्दार ख्रुश्चेव के अगुवाई वाली सोवियत संघ के नेतृत्वाधीन अन्तर्राष्ट्रीय कम्युनिस्ट आंदोलन दिशा भटक गई, जिस कारण अन्तर्राष्ट्रीय कम्युनिस्ट आंदोलन को बड़ा धक्का लगा, लेकिन जल्दी ही माओ त्से तुंग की अगुवाई वाली चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने अन्तर्राष्ट्रीय कम्युनिस्ट आंदोलन का मोर्चा संभाल लिया और ख्रुश्चेवी संशोधनवाद का …

माओवादियों का शहीदी सप्ताह : भारतीय थल सेना, वायु सेना, एनएसजी, सीआरपीएफ, ग्रे-हाउंड्स द्वारा बस्तर पर जारी हवाई बमबारी बंद करो – सीपीआई (माओवादी)

यह पर्चा भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमिटी के प्रवक्ता विकल्प द्वारा इस वर्ष के जनवरी माह में जारी किया गया था. चूंकि माओवादी हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 28 जुलाई से 3 अगस्त तक ‘शहीदी सप्ताह’ के तौर पर मनाता है, इसीलिए आज हम एकबार फिर इस पर्चा को अपने पाठकों के सामने …

9 मई विक्ट्री डे : द्वितीय विश्व युद्ध में हिटलर को दरअसल किसने हराया ?

दुनिया का पूंजीवादी मीडिया एक ओर नये-नये मनगढ़न्त किस्सों का प्रचार कर मज़दूर वर्ग के महान नेताओं के चरित्र हनन में जुटा रहता है वहीं दूसरी ओर नये-नये झूठ गढ़कर उसके महान संघर्षों के इतिहास की सच्चाइयों को भी उसके नीचे दबा देने की कवायदें भी जारी रहती हैं. द्वितीय विश्वयुद्ध के बारे में भी तरह-तरह के झूठ का प्रचार …

‘भारत में वसंत का वज़नाद’ : माओ त्से-तुंग नेतृत्वाधीन चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी के मुखपत्र पीपुल्स डेली (5 जुलाई, 1967)

भारत की सशस्त्र कम्युनिस्ट क्रांतिकारी आंदोलन ने पहली बार दुनिया की क्रांतिकारी मेहनतकश अवाम का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था. इसका श्रेय मेहनतकश अवाम के पांचवें महान शिक्षक माओ त्से-तुंग की नेतृत्व वाली चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी के मुखपत्र पीपुल्स डेली ने 5 जुलाई, 1967 में प्रकाशित इस अतिमहत्वपूर्ण लेख ‘भारत में वसंत का वज़नाद’ ने ऐतिहासिक …

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