'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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रूस-यूक्रेन युद्ध से सीखे गए सबक को अमेरिकी सेना के सिद्धांत में शामिल करने का एक दृष्टिकोण

सारांश : यह लेख नवंबर 2024 में ऑनलाइन प्रकाशित एक विशेष रिपोर्ट पर आधारित है, जो रूस-यूक्रेन युद्ध से सीखे गए सबकों को अमेरिकी सेना के सिद्धांत में शामिल करने के लिए एक दृष्टिकोण पर केंद्रित है. लेख में बताया गया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध ने आधुनिक युद्ध के बारे में हमारी समझ को बदल दिया है, और अमेरिकी सेना …

गुरिल्ला युद्ध : सफलताएं और उसकी चुनौतियां

छत्तीसगढ़ के बस्तर में पुलिसिया गिरोह के साथ मुठभेड़ में 4 अक्टूबर को थुलथुली, गवाड़ी और नेन्दूर गांव के जंगलों में 38 माओवादी गुरिल्लों की मौत हो गई, जिनमें से 31 माओवादी गुरिल्लों के शव और भारी संख्या में हथियार के साथ ही विस्फोटक सामान भी पुलिस ने बरामद किया गया था और प्रेस बयान जारी करते हुए माओवादियों के …

माओ त्से-तुंग : जापान के खिलाफ प्रतिरोध युद्ध की अवधि (1) जापानी आक्रमण का विरोध करने के लिए नीतियां, उपाय और दृष्टिकोण

(7 जुलाई, 1937 को जापानी साम्राज्यवादियों ने सशस्त्र बल द्वारा पूरे चीन पर कब्ज़ा करने के प्रयास में लुकोचियो घटना को अंजाम दिया. चीनी लोगों ने सर्वसम्मति से जापान के खिलाफ युद्ध की मांग की. दस दिन बीतने के बाद चियांग काई-शेक ने लुशान में जापान के खिलाफ सशस्त्र प्रतिरोध की घोषणा करते हुए एक सार्वजनिक बयान दिया. उन्होंने ऐसा …

विश्लेषण के स्तर के रूप में युद्ध का स्तर

किसी भी सिद्धांत का प्राथमिक उद्देश्य उन अवधारणाओं और विचारों को स्पष्ट करना है, जो भ्रमित और उलझे हुए हो गए हैं. — कार्ल वॉन क्लॉज़विट्ज़ कई फील्ड ग्रेड अधिकारी और कमांड और जनरल स्टाफ ऑफिसर्स कोर्स (CGSOC) के छात्रों को युद्ध के स्तरों के बीच अंतर करने में कठिनाई होती है. यह लेख युद्ध के स्तरों को स्पष्ट करने …

माओ त्से-तुंग : जापान के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध में रणनीति की समस्याएं, मई 1938

[ जापान के विरुद्ध प्रतिरोध के युद्ध के आरंभिक दिनों में, पार्टी के अंदर और बाहर के बहुत से लोगों ने गुरिल्ला युद्ध की महत्वपूर्ण रणनीतिक भूमिका को कम करके आंका और अपनी आशाएं केवल नियमित युद्ध पर, और विशेषकर कुओमितांग सेनाओं के अभियानों पर टिका दीं। कॉमरेड माओ त्से-तुंग ने इस दृष्टिकोण का खंडन किया और जापानी-विरोधी गुरिल्ला युद्ध …

बदल रही है युद्ध की प्रकृति और शैली, ज़रूरत है, ‘तक़नीकी रूप से निपुण सैन्य कमांडर’ !

भारत में दो राजसत्ताओं के बीच जीवन-मौत की लड़ाई चल रही है. इस लड़ाई में सैकड़ों लोगों/योद्धाओं की मौतें हो रही है. एक सत्ता जो प्रभावी तौर पर भारत की सत्ता पर काबिज है, और ‘भारत सरकार’ के बतौर देश की जनता के मेहनतकश की कमाई को लूटने, बखोटने के लिए एक से बढ़कर एक कुकर्म कर रही है. और …

‘हमारे सामने चुनौतियां गंभीर हैं लेकिन सच यह भी है कि अवसर उससे भी ज्यादा पैदा हुए हैं’ – गणपति

भारत के क्रांतिकारी आंदोलन के इतिहास में सीपीआई (माओवादी) के पूर्व महासचिव गणपति को वही दर्जा हासिल है, जो चारु मजुमदार का हुआ करता है. गणपति का वास्तविक नाम मुप्पला लक्ष्मण राव है. ये सीपीआई (माओवादी) के सैद्धान्तिक और रणनीतिक मामलों में सबसे विश्वसनीय और दूरदर्शी नेता हैं, जिन्होंने सीपीआई (माओवादी) को तेजी से विकसित किया. इनकी दूरदर्शिता और राजनीतिक तीक्ष्णता …

पेजर बना बम ! अमित शाह के धमकी को हल्के में न लें माओवादी

युद्ध के दौरान मनुष्य का दिमाग काफी तेज चलता है. इतना तेज चलता है कि विश्वास तक करना मुश्किल हो जाता है कि क्या ऐसा भी हो सकता है. पेजर जैसे छोटे और साधारण सी कम्युनिकेशन यंत्र को बम बना देने की तकनीक ने दुनिया में भूचाल ला दिया है. विज्ञान ने अपने हजारों साल के इतिहास में उतनी तरक्की …

भारत की क्रांति के आदर्श नेता व भाकपा (माओवादी) के पोलित ब्यूरो सदस्य कॉ. अक्किराजू हरगोपाल (साकेत) एवं उनके एकमात्र पुत्र ‘मुन्ना’ की शहादत

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) अपने संघर्ष के 55 सालों में मेहनतकश जनता के सपनों के भारत का निर्माण करने की कठिन लड़ाई में लाखों कॉमरेड्स और समर्थक जनता ने अपनी जान की कुर्बानी दी है. ये सभी लोग भारत के मेहनतकश जनता के सबसे बहादुर और बहुमूल्य बेटे थे. इसी कड़ी में आज हम एक ऐसे नेता का यहां …

करकरे को किसने मारा ? भारत में आतंकवाद का असली चेहरा

‘आज मैं अपनी असलियत बताता हूं. एक संगठन का मेरे ऊपर बहुत भारी क़र्ज़ है. मैं, अपने बचपन से जवानी तक उसके साथ रहा…भले कुछ लोगों को बुरा लगे, मैं, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) का सदस्य रहा हूं और आज भी हूं..अभी भी मैं इस संगठन की कोई सेवा करने को तत्पर हूं. संगठन से जो भी आदेश मिलेगा, …

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