दुकानें और मकान ताश के पत्तों की तरह गिर और जल रहे थे. आकाश काला और जमीन लाल हो गई थी. दंगाई तरह-तरह के हथियार लिए, नारे लगाते घरों के दरवाजे तोड़ रहे थे. इतनी आवाजें थी कि कोई आवाज सुनाई न देती थी. लूटमार करने से ज़्यादा दंगाई हत्या करने का पूरा मज़ा ले रहे थे. जब उन्हें कोई …