'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
Home लघुकथा (page 4)

लघुकथा

मोदी सरकार ने सबसे ज़्यादा महिलाओं का ख़्याल रखा है !

‘मोदी सरकार ने सबसे ज़्यादा महिलाओं का ख़्याल रखा है.’ ‘वो कैसे ??’ ‘गैस से सांस की बीमारी होती है इसलिए मोदी जी ने सिलिंडर के दाम बढ़ा दिये.’ ‘खाना लकड़ियों से बनेगा तो पेड़ ज़्यादा काटने पड़ेंगे और पर्यावरण को नुक़सान होगा.’ ‘लकड़ी पर नहीं गोबर के कंडों पर खाना बनेगा. यह जो गोवंश घूम रहे हैं, इनको पालकर …

फैसला

दिल्ली में दिसम्बर की ठिठुरन वाली एक सुबह. ओस की बूंदे चादर बनकर पत्तों का आलिंगन कर रही थी. ठंडी हवा रोम-रोम में ठंडक भर रही थी. हर रोज़ की तरह सरिता जल्दी-जल्दी उठकर नाश्ता बनाने की तैयारी में थी. घर की सबसे छोटी और अपने तीन भाइयों की दुलारी बहन थी सरिता. पढ़ाई के साथ-साथ घर की जिम्मेदारियों का …

…क्योंकि बेशर्मी बड़ी है महाराज !

धृतराष्ट्र – संजय देख कर बताओ कि युद्धभूमि में क्या चल रहा है..? संजय – महाराज, युवराज दुर्योधन चारों तरफ से घिर चुके हैं. बड़े बड़े महाबली अपने सबूत रूपी शस्त्र के साथ घेरने लगे हैं. प्रतिपल नए बलशाली योद्धा सबूतों के साथ आ रहे हैं. धृतराष्ट्र – यूं पहेलियां ना बुझाओ संजय. शब्दों के जाल में मेरी मति मत …

ज्ञानियों की गति

चार मेढ़क नदी किनारे के एक लट्ठे पर बैठे थे. अचानक लट्ठा धारा में आ गया और धीरे-धीरे बहने लगा. मेढ़क खुश हो गए और लट्ठे के साथ तैरने लगे. इससे पहले उन्होंने कभी भी नाव की सवारी नहीं की थी. कुछ दूरी पर पहला मेढ़क बोला – ‘यह वास्तव में ही बहुत चमत्कारी लट्ठा है. ऐसे तैर रहा है …

साहित्यकार बनने चला मैं…

पतिदेव – ‘अब बहुत हो चुका है, मुझे भी साहित्यकार बनना है !’ मै – ‘सहितकार बनाना है… ? क्या मतलब है आपका…? अब क्या क्लीनिक बंद करके कहानी कविता लिखोगे…? अभी तक तो साहित्य के नाम पर कुछ लिखा नहीं…अचानक साहित्यकार बन जाओगे, वह कैसे…? जानते नहीं हो इस राह में कितना कंपटीशन है…! वरिष्ठ कनिष्ठ सभी को एक …

ढपोरशंख – ‘मितरों…तुम्हें पहले वाला शंख खोना नहीं चाहिए था !’

तो एक था पण्डित, जो कहानियों में नियमतः गरीब होता है. तो अपना पंडित भी युजुअल गरीब था, और बीवी युजुअल कर्कशा, जो दिन रात ताने देती. पण्डित खीजकर हिमालय भाग गया, तपस्या की. एज-युजुअल भगवान प्रसन्न होकर प्रकट हुए, पंडित ने दुखड़ा रोया. भगवान ने हाथ ऊपर उठाया, एक शंख उत्पन्न हुआ. पण्डित को देकर कहा – ‘नित्य श्रद्धा …

मोगली रिपीट, मोगली कथा रिपीटा …

मई 2014 में मोदी जी राष्ट्र के प्रधानमंत्री हुए. वे काम करने कार्यालय में पहुंचे कि पार्टी ने दिल्ली राज्य में चुनाव की जानकारी दी. यहां केजरीवाल नामक झूठे आदमी ने अन्ना जी को धोखा देकर सरकार बनाई थी. राजनीति में न आने की बच्चों की कसम खाने वाला ये आदमी पूरा एनार्किस्ट आदमी था, अराजकतावादी. जीत जाता दिल्ली में …

महाराणा प्रताप जी की महिमा

राणा जी के 25-25 किल्लो की 6 किडनियां थी. दाएं बाएं पैर में 24-24 अंगूठे थे. पैरों के जूते सीलने के लिए 2 शेरों की खाल की जरुरत पड़ती थी. दर्जन भर लुहार मिलकर उनके नाखून काटा करते थे. उनके कटे हुए नाखूनों से खेत जोतने के हल बनाये जाते थे. वे अपने कान का किटा फावड़े से साफ किया …

चोर

इन दिनों चोरों से हलकान रहता हूं. मोबाइल पर किसी को फ़ोन लगाऊं तो सबसे पहले पनामा पेपर चोर का भाषण सुनना पड़ता है. मज़ेदार बात ये है कि यही चोर कुछ दिनों पहले कोरोना से किसी तरह मरते मरते बचा. इस चोर को पूछना चाहिए कि कोरोना से बचाव के लिए तूने अपने सुझाए गए उपाय अपनाया था कि …

बंदरों पर वैज्ञानिक प्रयोग

एक बार कुछ वैज्ञानिकों ने एक बड़ा ही मजेदार प्रयोग किया. उन्होंने 5 बंदरों को एक बड़े से पिंजरे में बंद कर दिया और बीचों बीच एक सीढ़ी लगा दी जिसके ऊपर केले लटक रहे थे. जैसा की अनुमान था, एक बन्दर की नज़र केलों पर पड़ी. वो उन्हें खाने के लिए दौड़ा. पर जैसे ही उसने कुछ सीढ़ियां चढ़ीं …

1...345...13Page 4 of 13

Advertisement