'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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लघुकथा

ढपोरशंख – ‘मितरों…तुम्हें पहले वाला शंख खोना नहीं चाहिए था !’

तो एक था पण्डित, जो कहानियों में नियमतः गरीब होता है. तो अपना पंडित भी युजुअल गरीब था, और बीवी युजुअल कर्कशा, जो दिन रात ताने देती. पण्डित खीजकर हिमालय भाग गया, तपस्या की. एज-युजुअल भगवान प्रसन्न होकर प्रकट हुए, पंडित ने दुखड़ा रोया. भगवान ने हाथ ऊपर उठाया, एक शंख उत्पन्न हुआ. पण्डित को देकर कहा – ‘नित्य श्रद्धा …

मोगली रिपीट, मोगली कथा रिपीटा …

मई 2014 में मोदी जी राष्ट्र के प्रधानमंत्री हुए. वे काम करने कार्यालय में पहुंचे कि पार्टी ने दिल्ली राज्य में चुनाव की जानकारी दी. यहां केजरीवाल नामक झूठे आदमी ने अन्ना जी को धोखा देकर सरकार बनाई थी. राजनीति में न आने की बच्चों की कसम खाने वाला ये आदमी पूरा एनार्किस्ट आदमी था, अराजकतावादी. जीत जाता दिल्ली में …

महाराणा प्रताप जी की महिमा

राणा जी के 25-25 किल्लो की 6 किडनियां थी. दाएं बाएं पैर में 24-24 अंगूठे थे. पैरों के जूते सीलने के लिए 2 शेरों की खाल की जरुरत पड़ती थी. दर्जन भर लुहार मिलकर उनके नाखून काटा करते थे. उनके कटे हुए नाखूनों से खेत जोतने के हल बनाये जाते थे. वे अपने कान का किटा फावड़े से साफ किया …

चोर

इन दिनों चोरों से हलकान रहता हूं. मोबाइल पर किसी को फ़ोन लगाऊं तो सबसे पहले पनामा पेपर चोर का भाषण सुनना पड़ता है. मज़ेदार बात ये है कि यही चोर कुछ दिनों पहले कोरोना से किसी तरह मरते मरते बचा. इस चोर को पूछना चाहिए कि कोरोना से बचाव के लिए तूने अपने सुझाए गए उपाय अपनाया था कि …

बंदरों पर वैज्ञानिक प्रयोग

एक बार कुछ वैज्ञानिकों ने एक बड़ा ही मजेदार प्रयोग किया. उन्होंने 5 बंदरों को एक बड़े से पिंजरे में बंद कर दिया और बीचों बीच एक सीढ़ी लगा दी जिसके ऊपर केले लटक रहे थे. जैसा की अनुमान था, एक बन्दर की नज़र केलों पर पड़ी. वो उन्हें खाने के लिए दौड़ा. पर जैसे ही उसने कुछ सीढ़ियां चढ़ीं …

राजा की डाइट

‘सुना राजा ने क्या कहा !?’ – पहला मजदूर बोला. ‘राजा रोज ही कुछ न कुछ कहता रहता है.’ – स्पष्ट था, दूसरा मजदूर राजा की बात को जानने का इच्छुक नहीं था. ‘राजा ने बोला कि वह गाली खाता है !’ – पहले मजदूर ने राजा का खुलासा किया और खी-खी करके हंसने लगा. ‘फिर हम क्या खाते हैं …

जेल में दो रूपए की कलम बीस रूपए की कॉपी

उसने जैसे ही जेल गेट से अंदर कदम रखा, कुछ मुस्कराते हुए चेहरे उसे दिख रहे थे, एक सिपाही ने आकर उसकी कलाई में बंधी रस्सी का छोर अपने हाथ में ले लिया और आगे चल पड़ा. कुछ और भी गेट मिले जहां उसकी चेकिंग हुई, अब उसे फाइनली उसके कमरे तक पहुंचा दिया गया. ‘देखने से तो आप पढ़े-लिखे …

धर्मान्ध यानी चलता फिरता आत्मघाती बम

मैट्रो में सीट हथियाने में कामयाब एक सज्जन भरी भीड़ में अपने मोबाइल पर जोर-शोर से माता की भेंटे सुन रहे थे. जैसे कि ज्यादातर होता है उनका यह भजन किसी फिल्मी गीत की पैरोडी था, जिसे वे परम मुदित भाव से सुने जा रहे थे. उन्हें आस पास की जरा भी चिंता नही थी. विवश लोग इधर उधर देख …

राजा का आदेश और देशद्रोही बूढ़ा

सर्वप्रिय राजा ने प्रजा से कहा- ‘पुनर्निर्माण के लिए सारे गांव के पुराने भवनों को आग लगाना पड़ेगा.’ गांववाले : ‘महाराज की जय हो ! महाराज की जय हो !’ एक बूढ़े ने पूछा – ‘मगर तब तक गांववाले आखिर रहेंगें कहां ?’ गांव वालों ने बूढ़े को जिज्ञासा और राजा ने क्रोधित दृष्टि से देखा. तभी राजा ने मुस्कुराते …

कैमराजीवी

किसी युग में एक कैमराजीवी हुआ करता था. इतिहास की पुस्तकों में उसका नाम ठीक-ठीक नहीं मिलता मगर इतना अवश्य ज्ञात होता है कि उसके नाम के अंत में इन्द्र जैसा कोई शब्द था – सुरेन्द्र, धनेन्द्र, सत्येन्द्र, धर्मेन्द्र, वीरेन्द्र या नरेन्द्र टाइप कुछ. वैसे उसका सबसे प्रचलित नाम कैमराजीवी था. उस समय दुनिया में किसी से पूछने पर कि …

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