बाबा ने रिमजू के घर चप्पे चप्पे का मौका मुआयना किया. दीवारें कुरेद-कुरेद कर सूंघी, मिटटी को उठाकर उसे हथैली पे मसल कर कई बार जांची परखी, बरामदे में खड़े पेड़ को ऊपर से लगाकर नीचे तक सरसरी निगाह से देखा. अच्छी तरह से निरीक्षण कर लेने के बाद कोठरी में डंडी गाड़ दी. रिमजू ने पूछा – ‘क्या मामला …
खजाना
