'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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लघुकथा

काग़ज़ के दोने

‘खुड़ी मांं, घर में हो ?’ ‘के रे ?’ शांति अपनी दुर्बल, बूढ़ी काया को खटिया से खींचकर लकुटिया के सहारे कमरे के आबनूसी काले दरवाज़े तक लाती है. ‘अरे विष्णु, कितने दिनों बाद आया. आ, अंदर आ जा, बैठ.’ ‘विष्णु, कितना बूढ़ा लगता है रे ! ठीक से खाना नहीं खाता क्या ?’ सन 1972 में जब शांति बांग्लादेश …

निवाला

रात का तीसरा पहर था. शहर के इस हिस्से में काली रातें भी चमकतीं हैं. नहीं नहीं, रोशनी से नहीं, शहर के दिल की रोशनियां तो क़रीब दो मील दूर ही दम तोड़ देतीं हैं. यहां काला पन के चमकने की वजह एक नदी है. किसी ज़माने में शहर इसी नदी के पास बसा था. अब यह नदी सारे शहर …

आज़ादी की मिठाई

मैं डिंकू मुंडा, बाप सिंकू मुंडा, जंगल निवासी, अनपढ़, ग़रीब, जंगली कंद मूल पर जीने वाला हूंं. वे कहते हैं मैं भी आदमी जैसा दिखता हूंं, तब भी, जब सिर्फ एक लंगोट में लिपटा मेरी हड्डियों का ढांंचा चमड़े को तोड़कर बाहर आने की कुलबुलाहट में दांंत निपोरे हुए किसी भिखारियों की बस्ती-सा दिखता है. मैं डिंकू मुंडा, बाप सिंकू …

बंदूक

एक सरपंच अपने गांंव में राहत कोष के पैसे से लाइसेंसी बन्दूक लेकर आया. पूरे गांंव में मुनादी हुई कि सरपंच साहब ऑटोमेटिक बन्दूक लेकर आए हैं. कुछ मुनादी करने वालों ने बन्दूक की तारीफ़ करने में इतनी छूट ले ली कि चार दिन बाद चौपालों की चर्चाओं में बन्दूक, तोप बन चुकी थी. इस बीच लोग भूल गए कि …

कसाई

टीभी और न्यूज़ पेपर में कोरना जांच के बड़े-बड़े दावे. अस्पताल में मरीज की देखभाल के भी दावे. देख सुन कर बहुत अच्छा लगा था. भरोसा भी हुआ था अपनी सरकार पर, अपने स्वास्थ्य विभाग पर. डॉक्टर ने कोरोनावायरस टेस्ट करवाने के लिए लिख दिया था. अब जांच हो ही जाएगी. मैं उत्साहित होकर जांच केंद्र पहुंच गया. बड़ा-सा लोहे …

दो चूहे और सत्तरघाट पुल

एक बिहारी चूहा टुन्न होकर लड़खड़ाती आवाज में दूसरे चूहे से बोला – ‘ए बुड़बक, ए का, सुन रहे हो बे…’ दूसरा चूहा बोला – ‘का महाराज, का हो ? सुबह सुबह ही चढ़ा लियो हो का ? का हो गया … ! शराबी चूहा बोला, ‘अरे साला आज प्रभात खबर नहीं कुतरे का ? … अरे उ पुल बना …

सैंडविच

दानापुर रेलवे स्टेशन के बाहर आज बहुत गहमागहमी की स्थिति है. कुछ बसें खड़ी हैं, बहुत-सी कारें खड़ी हैं. डॉक्टरों की टीम, प्रशासन, पुलिस सब मुस्तैद हैं. जिले के दो सबसे बड़े अधिकारी (जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान) स्वयं वहां अपने माथे पर बल लिए आगे-पीछे कर रह हैं और रह-रह के अपनी घड़ी की ओर देख रहे हैं. दो बड़े-बड़े …

कोरोना से एक खूंखार जंग

हुआ यों कि कल सबऑर्डिनेट चुतुरभुजा भाई के साथ नाइट डियुटी लग गयी थी अपनी. दु राउंड फील्ड का लगाने के बाद रात साढ़े एगारह बजे. डिरेभर को बुलेरो को ऐसी जगह लगाने को कहा जंहांं किसी की नजर न पड़े हम पे. मुहलगा डिरेभर … हम लोगों की तरह ही पुराना पापी है … झाड़ियों के बीच धुप्प अंधेरे …

चीन विरोध पर यक्ष-युधिष्ठिर संवाद

यक्ष – धर्मराज बोलो चीन में निर्मित सरदार पटेल की मूर्ति कहांं लगी है ? युधिष्ठिर- जी गुजरात में. यक्ष – किस राज्य का मुख्यमंत्री सबसे ज्यादा चीन की यात्रा की है ..? युधिष्ठिर- जी गुजरात की. यक्ष – चीन अपना सबसे बड़ा स्टील प्लांट कहांं लगा रहा है ? युधिष्ठिर – जी धोलेरा गुजरात में. यक्ष – चीन की …

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