'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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लघुकथा

जनता और गधा

बंद दुकान के थड़े पर बैठे दो बूढ़े आपस में बातें करते हुए हंस-हंस कर लोट-पोट हो रहे थे कि एक जिज्ञासु राहगीर ने उनसे इतना खुश होने की वजह पूछी. एक बूढ़े ने बामुश्किल अपनी हंसी पर काबू पाते हुए कहा, ‘हमारे पास इस मुल्क की समस्याओं को हल करने की एक शानदार योजना है, और वह योजना यह …

मगरमच्छ के आंसू और बाल नरेंद्र

प्राचीन काल में में वडनगर नामक राज्य में गरीब मां का बेटा ‘बाल नरेंद्र’ और उनके मित्र क्रिकेट खेल रहे थे. तभी बॉल पास के तालाब में चली गयी. चूंकि नाली में बॉल जायेगी तो ‘बाल नरेंद्र’ ही निकालेंगे इसी शर्त पर अन्य बच्चे गरीब ‘बाल नरेंद्र’ को अपने साथ खिलाते थे. तो फिर उन्होंने आव देखा ना ताव ‘बाल …

ढपोरशंख

एक मछुआरा समुद्र के किनारे अपने परिवार को लेकर रहता था और जीवन यापन के लिए समुद्र में मछलियां पकड़ता था. उसी से उसका और उसके परिवार का भरण पोषण होता था. उस मछुआरे ने सुन रखा था कि समुद्र एक देवता है और उनके पास अपार निधि है. एक दिन उसने सोचा क्यों न समुद्र देवता की अराधना करें …

हंस, उल्लू और पंच

एक बार एक हंस और हंसिनी सुरम्य वातावरण से भटकते हुए, उजड़े वीरान और रेगिस्तान के इलाके में आ गये. हंसिनी ने हंस को कहा कि ‘ये किस उजड़े इलाके में आ गये हैं ? यहां न तो जल है, न जंगल और न ही ठंडी हवाएं हैं. यहां तो हमारा जीना मुश्किल हो जायेगा.’ भटकते-भटकते शाम हो गयी तो …

मौत से रोमांस

वह रोज़ आती है. आती क्या, साथ रहती है. उसे अपनी आंखों से देखा है – निराकार निर्गुण ईश्वर के अहसास की तरह. तड़के अंधियारा वक्त. अम्मा को चाय की आखिरी तलब लगी है. चाय उनकी ज़रूरत और आदत बनते-बनते सुबह का अलार्म बन गई थी – ‘बेटा, चाय पिला दो. तबीयत बहुत घबड़ा रही है.’ मैं और दीदी भागते …

जैक लण्‍डन की एक कहानी

अगर आपने जैक लण्‍डन को नहीं पढ़ा तो आप विश्‍व साहित्‍य की एक महान विरासत से वंचित हैं. भगत सिंह भी उन्हें पढ़ते थे. प्रस्तुत है उनकी लिखी हुई एक कहानी – ‘ वे दर्द से लंगड़ाते हुए कगार से उतरे, और आगे चल रहा आदमी रुखड़े पत्थरों के बीच एक बार लड़खड़ा गया. वे थके ओर कमजोर थे, और …

बाजे वाला

रणभेरी की गूंज करीब सुनाई दे रही थी. राज्य की जनता में भय का माहौल था. लोग ईश्वर से अपने और परिजनों की जान बचाने के लिए दुआएं कर रहे थे. ‘महराज! जैसी सूचना आई है, शत्रु की सेना हमसे चार गुना विकराल है महाराज !’, सेनापति ने कुछ कांपते, कुछ हांफते हुए कहा. महाराज तलवार की मूठ पर हाथ …

लंच टाइम

1969 में इंदिरा गांधी ने किया था बैंकों का राष्ट्रीयकरण. जो बैंक राष्ट्रीयकृत हुए थे उनमें से एक था सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया. अब जिन बैंकों के दरवाज़े से आम लोगों (तब बस अमीर और गरीब हुआ करते थे, मिडिल क्लास जैसा कुछ नहीं था) को ‘हट गरीब’ कह कर भगा दिया जाता था, उन्हें भी बैंक के अंदर आने …

रियेना के ट्वीट पर पत्रकार-चौधरी वार्ता

पत्रकार : रिहाना ने भारत के अंदरूनी मामले में दख़ल दी है, आपका क्या कहना है इस पर ?? चौधरी : कौण रेहाणा ?? पत्रकार : अमेरिका की गायक है. चौधरी : तो क्या बोली वो ?? पत्रकार : किसानों के समर्थन में ट्वीट किया है. चौधरी : यो ट्वीट क्या हो ?? पत्रकार : अरे उसने लिखा है किसानों …

तीन किसान कानून : अंडु और नंदू की वर्तालाप

अरे अंडू, कैसा है ?? ठीक है कर्जा ज्यादा हो गया है. कोई नई दुकान खुलवा दो. पेट नहीं भरता तेरा, ककड़ी के. बोल क्या चाहिए ? ग्रेन मार्किट में खूब मुनाफा है. अनाज तो खाना ही पड़ता है सबको. कुछ चमत्कार करो कि इस धंधे में मोनोपॉली का कुछ जुगाड़ बने.   हम्म !!! समस्या क्या है ? अरे। …

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