दोष उनका नहीं नितांत अपना है मावस को कभी पूनम होने नहीं दिया खुले आसमान तले रहा तो रहा कार्डबोर्ड का एक घर तक बनने नहीं दिया अब न पाठक हैं न समीक्षक फूल रोज रोज की तरह जरूर खिलता है और अदेखा जहां तहां झड़ता रहता है पखवाड़े तक गंभीर चर्चा चलती है हिंदी में हस्ताक्षर की औपचारिकता पूरी …
घर वापसी
