'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
Home कविताएं (page 8)

कविताएं

चे-ग्वेरा के जन्म दिन पर ‘चे’ को याद करते हुए

1 चे कमान्डेन्ट – निकोलस गीयेन (1902-1989), क्यूबा के राष्ट्रकवि यद्यपि बुझा दिया है तुमने अपना आलोक तब भी म्लान नहीं हुआ वह थोड़ा-सा भी. एक अग्नि अश्व ने सम्भाल रखा है तुम्हारी गुरिल्ला प्रस्तर-प्रतिमा को सिएरा की हवाओं और मेघों के बीच में. हालांकि अब भी मौन नहीं हो तुम भले ही वे जलाते हैं तुमको दफ़्न कर देते …

मनुष्यता

मनुष्य के लिए भूख जितनी जरूरी है उतना ही जरूरी है अवसर की समानता उतनी ही ज़रूरी है प्रत्येक की गरिमा उतनी ही जरूरी है प्रत्येक के बीच समानता उतनी है जरूरी है प्रत्येक की स्वतंत्रता उतनी ही ज़रूरी है संसाधन बंटवारा में प्रत्येक के बीच एकरूपता उतनी ही जरूरी है सबके बीच मनुष्यता यह कोई जागरण नहीं प्रत्येक की …

ग्लानि बोध

उसने कहा था मैं तुम्हें एक चेहरा दूंगा और मैं उसकी उंगलियां पकड़े चला आया इस मेले में जहां बिक रहे थे मुखौटे उसने कहा था मैं तुम्हें एक घर दूंगा और मैं उसकी उंगलियां पकड़े चला आया इस शहर में जहां बिक रहे थे मकान उसने कहा था मैं तुम्हें रोटी दूंगा और उसकी उंगलियां पकड़े मैं चला आया …

सेंगोल

राम कोई इतिहास पुरुष नहीं प्रतिकात्मक रूप में भारतीय सामंती वर्णवादी मर्दवादी सत्ता का घमंड है राम निर्बल का राम नहीं शंबूक वध सीता परित्याग वर्णव्यवस्था का आचरण राजा की भक्ति वाली जनता स्त्री को सजा में अंग भंग सच्चा अच्छा राजा राम यही है राम कोई भगवान नहीं मध्यकालीन सत्ता का रूपक है उस सत्ता का आदर्श राजधर्म है …

मुझे चक्रवर्ती बनना है…

1. समर्पण चक्कर में पड़ा मैं अपने तलवों में चक्र तलाश रहा हूं असल में मुझे चक्रवर्ती बनना है सुबह सुबह पंडी जी को बुलाया हूं मुझे जानना है कि मुझे आज किस दिशा से घर से बाहर निकलना है पढ़ने को मैं विज्ञान पढ़ा हूं लेकिन मानने को विज्ञान नहीं निर्मल बाबा को मानता हूं शिव लिंग पर रोज …

अछूत

शहर के हाशिए पर गणित का जोड़ घटाव, गुणा, भाग, प्रतिशत, औसत के रबड़ से मिटाया हुआ हिसाब एक धब्बा छोड़ जाता है जिसके आधार पर निकलता है निष्कर्ष अंकगणित दुरुह व्याकरण नहीं है योग, फल और वियोग फल की बात है बस संधि विच्छेद की तरह कौन कौन सी संधियों में दुरभिसंधि बनने की संभावना रहती हैं मातृ गर्भ …

अन्ना करेनिना

फिर समाज में कोई अन्ना करेनिना बनने की कोशिश न करे इसी दृढ़ निश्चय के साथ टॉलस्टॉय लिखने बैठे. तीस पेज तक आते आते अन्ना शब्दों से निकलकर टॉलस्टॉय की मेज पर एक खूबसूरत छोटी गुड़िया में अवतरित हो गयी. ‘टॉलस्टॉय, तुम मेरे प्रति इतने कठोर क्यों हो ?’ टॉलस्टॉय का सीधा जवाब था ‘तुमने बेवफ़ाई की है’ ‘किससे ?’ …

तुम्हारी आंखों में डर अच्छा लगता है

अच्छा लगता है मुझे तुम्हारी आंखों में डर देखना अच्छा लगता है मैं जब देखता हूं कि तुम एक बाईस साल की लड़की से भी डरते हो और एक अस्सी साल के बूढ़े से भी जब तुम अपंग से भी डरते हो और मूक बधिर लिखे हुए शब्दों से भी जब तुम एक कहानी या एक कविता या लेख से …

हिजड़े

स्वचालित मशीनें अब नियंत्रित कर रहीं हैं पुराने सुअर बाड़े को वराह श्रेष्ठ की छाया में नारद के सुस्ताने का समय है भीखतंत्र को प्रजातंत्र कहने से मनुष्य की अस्मिता अक्षुण्ण रहती है चिड़ी मार शौर्य रथ पर सवार निकल पड़ा है द्विगविजय को उसे आज ही जीतना है वह देश जहां हर संतान के जन्म पर आंगन में बजाते …

घर वापसी

दोष उनका नहीं नितांत अपना है मावस को कभी पूनम होने नहीं दिया खुले आसमान तले रहा तो रहा कार्डबोर्ड का एक घर तक बनने नहीं दिया अब न पाठक हैं न समीक्षक फूल रोज रोज की तरह जरूर खिलता है और अदेखा जहां तहां झड़ता रहता है पखवाड़े तक गंभीर चर्चा चलती है हिंदी में हस्ताक्षर की औपचारिकता पूरी …

1...789...64Page 8 of 64

Advertisement