'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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कविताएं

क्रान्ति की पुकार

मैंने बम नहीं बांंटा था ना ही विचार तुमने ही रौंदा था चींटियों के बिल को नाल जड़े जूतों से. रौंदी गई धरती से तब फूटी थी प्रतिहिंसा की धारा मधुमक्खियों के छत्तों पर तुमने मारी थी लाठी अब अपना पीछा करती मधुमक्खियों की गूंंज से कांंप रहा है तुम्हारा दिल ! आंंखों के आगे अंधेरा है उग आए हैं …

इसमें आश्चर्य क्या है

इतने दावे कि गिनती भूल जाता हूं गनीमत कि डेढ़ घंटे ही लगे एलईडी की दूधिया रौशनी में हाई वे चमक रहा है पर्दा पर जो है जमीन पर नहीं दीखता है वे नहीं मैं अंधा हूं और सालों मोतियाबिंद से परेशान हूं कल जब खजाना लुटाया जा रहा था आप कहां थे रहते तो मालामाल हो जाते पता इसको …

विश्व हिंदी सम्मेलन

जिस भाषा में हम बिलखते हैं और बहाते हैं आंसू वे उस पर करते हैं सवारी भरते हैं उड़ान उत्तुंग आसमानों में एक कहता है मैं नहीं गया मुझे गिना जाये त्यागियों में एक कहता है मैं चला गया मुझे गिना जाये भागियों में एक आसमान से गिरा रहा था सूचियां हिंदी पट्टी के सूखे मैदानों पर हिंदी के एक …

कब्जा

मेरा साया मेरे सपने मेरी सोच मेरे तन मन के हिस्से हैं मेरा वायवीय विस्तार पहले वे मेरी झोपड़ी पर काबिज हुए फिर मेरी रोटी, पानी पर अब वो चाहते हैं मेरा साया, सोच और सपनों पर काबिज होना ईलाका दखल की लड़ाई उनका राजधर्म है वजूद बचाने की जंग मेरी जंग है पीठ जब दीवार से लगी हो तो …

अल्पसंख्यक

मैं पाकिस्तान में सताया गया हिंदू हूं मैं हिंदुस्तान में दबाया गया मुस्लिम हूं मैं इज़रायल का मारा फ़िलिस्तीनी हूं मैं जर्मनी में कत्ल हुआ यहूदी हूं मैं इराक का जलाया हुआ कुवैती हूं मैं चीन द्वारा कुचला गया तिब्बती हूं मैं अमेरिका में घुटता हुआ ब्लैक हूं मैं आइसिस से प्रताड़ित यज़ीदी हूं मैं अशोक से हारा कलिंगी हूं …

आंतरिक मामला

भुखमरी बेरोजगारी हत्याएं बलात्कार मंदी भ्रष्टाचार अशिक्षा कुपोषण बीमारी हमारा आंतरिक मामला है हमें किसी बाहरी हस्तक्षेप की ज़रूरत नहीं है हम जब चाहें एक पूरे सूबे को जेल बना दें और किसी भी जेल को अपराधियों के लिए स्वर्ग और मासूम लोगों के लिए नर्क बना दें ये हमारा आंतरिक मामला है. हम कीड़े पड़े एक पुराने नक़्शे को …

उजड़े हुए लोगों तुम्हें आज़ादी मुबारक

उतरे हुए चेहरों तुम्हें आज़ादी मुबारक उजड़े हुए लोगों तुम्हें आज़ादी मुबारक सहमी हुई गलियों कोई मेला कोई नारा जकड़े हुए शहरों तुम्हें आज़ादी मुबारक ज़ंजीर की छन-छन पे कोई रक़्सो तमाशा नारों के ग़ुलामों तुम्हें आज़ादी मुबारक अब ख़ुश हो ? कि हर दिल में हैं नफ़रत के अलाव ऐ दीन फ़रोशों(धर्म बेचने वालों) तुम्हें आज़ादी मुबारक बहती हुई …

क्या आप सोचते हो ?

क्या आप सोचते हो ? क्या आप सोच को लिख सकते हो ? यदि हांं तो लिखो जो आप सोचते हो. सच को सच लिखो बावजूद इसके कि यदि आपने सच लिखा तो आपकी खैर नहीं फिर भी, लिखो लिखना जरूरी है. क्या आप बोलते हो ? क्या आप सच बोलते हो ? तो बोलो यह भी सच है आपने …

यह कैसा राष्ट्रवाद

राष्ट्रवाद का यह कौन-सा नुस्खा है, जो हर वह काम करता है, जिससे राष्ट्र टूटता है, छीजता है, और बिखरने की ओर बढ़ने लगता है. यह कैसा राष्ट्रवाद है, जो अपने ही नागरिकों के बीच, धर्म के झगड़े फैलाता है, जाति भेद के विष बोता है, क्षेत्र के आधार पर, राजनीतिक फैसले कराता है. इतिहास के उन सारे पन्नो को, …

तुम्हारा डर, हमारी जीत

ऐ शोषक ! तुम्हारे लिए आसान होगा हमे कैद कर देना पर हमें इससे डर नही लगता बल्कि आती है तुम्हारी इस धूर्तता पर हँसी। कितना डरते हो तुम हमसे कि बेचैन रहते हो हमे कैद करने के लिए, पर नही जानते तुम किसी सलाखों में नही कर सकते कैद हमें न कभी मार पाओगे हमे अगर मार पाते तो …

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