उतरे हुए चेहरों तुम्हें आज़ादी मुबारक उजड़े हुए लोगों तुम्हें आज़ादी मुबारक सहमी हुई गलियों कोई मेला कोई नारा जकड़े हुए शहरों तुम्हें आज़ादी मुबारक ज़ंजीर की छन-छन पे कोई रक़्सो तमाशा नारों के ग़ुलामों तुम्हें आज़ादी मुबारक अब ख़ुश हो ? कि हर दिल में हैं नफ़रत के अलाव ऐ दीन फ़रोशों(धर्म बेचने वालों) तुम्हें आज़ादी मुबारक बहती हुई …