'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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कविताएं

सूत्र

कच्चा घड़ा काम का घड़ा नहीं होता घड़ा देखने में बस घड़ा होता है दरका हुआ पक्का घड़ा काम का घड़ा नहीं होता घड़ा देखने में बस घड़ा होता है कुत्ते कितने भूखे थे मांस का एक टुकड़ा मिलते ही जर्मन शेफर्ड, बुल डॉग.. सब एक साथ टूट पड़े गिद्ध कितना भी भूखा हो मरी ही खाता है कभी कोई …

हम कोई कबाइली मुल्क नहीं हैं

कल मुठभेड़ में मरने की उसकी बारी थी आज मेरी है कल तुम्हारी फिर परसों किसी और की होगी कृपया शांति पंक्ति और भक्ति बनाए रखें कानून और अनुशासन में रहते अपनी अपनी बारी के आने का इंतज़ार करें मालूम हो हम कोई कबाइली मुल्क नहीं हैं राम प्रसाद यादव विशाखपट्टणम [प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के …

दिल्ली दूर है

दिल्ली दूर है तुम खून बहाओ या पसीने दिल्ली दूर है तुम्हारे लिए उसे न खून की जरूरत है न अब तुम्हारे पसीने की उसे जो मिलना था, मिल गया जहां पहुंचना था, पहुंच गया अब तुम्हें जहां ज्यादा दाम मिले तुम आजाद हो खरीदने बिकने जमा करने के लिए तुम्हारे रास्ते तुम्हारे स्वागत में न फूल बिछे हैं, न …

हिसाब

उधर से इधर कोई नहीं आया इधर से उधर कोई नहीं गया हम वहीं हैं जहां कल थे वो वहीं है जहां कल था ये कुछ सुफेद आवारा ध्रुवीय भालू हैं जो हिमाच्छादित चोटियां अतिक्रमण कर जाते हैं इधर मुल्क में भ्रम फैलाते हर रात नींद हराम करते कुछ जहरीले मच्छर भी हैं लेकिन, हम सक्षम हैं तैयार हैं ईंट …

प्रलाप

किशोरी तुम्हारी गाल पर उगे मुंंहासे नव ग्रह हैं या अंधकार की असीम कोख में पलते सितारे तुम्हें कभी नहीं पता चलेगा प्रमथ्यु ने आग को उसके झोंटे से पकड़ कर जिस दिन पृथ्वी पर लाया आदमी ने उसी दिन देखा पहला पुच्छल तारा और, अनिष्ट की संभावनाओं से जन्म लिया ईश्वर लाजरस तुम्हारा आना इसी क्रम का व्यतिक्रम था …

आवारा बच्चे शिकायत नहीं करते

आवारा लड़के आवारा लड़कियों के पीछा करते हैं आवारा लड़के लड़कियां नामुराद होकर दफ़्तरों के चक्कर लगाते हैं नौकरी की तलाश में जो नहीं है ठीक उसी तरह जैसे हम पूजाघरों के चक्कर लगाते हैं उस ईश्वर की तलाश में जो नहीं है आवारा लड़के और आवारा लड़कियां ढूंढ लेते हैं एक दूसरे को दिन के अंत मेंं ठीक उसी …

सूंघने के अपने मजे हैं

हवा में किस बदन की बदबू कितनी घुली है सब सूंघने में लगे हैं कल तक कबीले को सरदार मिल जाएगा सूंघने के अपने मजे हैं जब ढाबे पर खाना है सराय में सोना है तो घर की क्या जरूरत इस सुंदर वन के रोयाल बेंगाल ने पता लगा लिया है कौन शिकारी दांव के इस पेंचो खम में कितना …

लानत है ऐसी अदालत पर

जश्न ए चिराग जब सूरज डूब जाएगा और चांद जब कहीं नहीं होगा आसपास तुम्हें पूरी छूट होगी जश्न ए चिराग मनाने की जब गुमास्ता आएगा और पूछेगा क्यों गैरहाजिर है चांद कह दूंगा अभी क्वारेंटाइन में है प्रवास से अभी अभी लौटा है जश्न ए चिराग हो और पटाखे न फूटे कैसे हो सकता है सदियों की परंपरा मिनटों …

कविता के लिए यह कठिन समय है

कविता के लिए यह कठिन समय है जो समय आदमी के लिए जितना कठिन होगा वह समय कविता के लिए भी उतना ही कठिन होता है कविता को अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए अब सीधी लड़ाई में उतरनी होगी खुले मैदान में भारी भरकम शब्दों और विंबों के दरवाज़ों के पीछे छुपकर मानसिक मैथुन का सुख पाने का समय …

हिसाब

उधर से इधर कोई नहीं आया इधर से उधर कोई नहीं गया हम वहीं हैं जहां कल थे वो वहीं है जहां कल था ये कुछ सुफेद आवारा ध्रुवीय भालू हैं जो हिमाच्छादित चोटियां अतिक्रमण कर जाते हैं इधर मुल्क में भ्रम फैलाते हर रात नींद हराम करते कुछ जहरीले मच्छर भी हैं लेकिन, हम सक्षम हैं तैयार हैं ईंट …

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