'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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कविताएं

खंडहरों के बीच

खंडहरों के बीच इंसान को नष्ट किया जा सकता है पराजित नहीं सबसे कम हेमिंगवे कुछ खंडहर पर्यटकों का आकर्षण है आधे पके हुए किस्से सुन रहा हूं बायगोन शहरों के इतिहास के आत्मशैली मार्गदर्शकों से आलू चिप्स पर पर्यटक मुन्ह और उनके सिगारों को धूम्रपान करें और, उनकी बियर पर चुस्की लें (कड़वी गोलियों को निगलने के लिए कुछ …

धूप के ठग

प्रियजनों को सी-ऑफ करना महंगा हो गया है एपी एक्सप्रेस का प्लेटफार्म नंबर आठ पर लगने की सूचना है यह भाड़े की भीड़ अनावश्यक भीड़ नहीं है यह हाईप्रोफाइल रैली है उड़ते और उतरते जहाजों को देखना कितना करिश्माई है वे केवल दिखते ही नहीं वे जहीन हैं जो उड़ते परिंदों के पर गिन लेते हैं लाल किला गये बहुत …

हमारे निगरां

झूठ इतना विस्तारित है कि ढ़कने की चादर छोटी पड़ रही है ईत्र का छिड़काव बेअसर है दुर्गंध कुछ ऐसी है सुबह कविता पढ़ने लिखने से नहीं बहुत दुखद सादर नमन विनम्र श्रद्धांजलि पढ़ कर लिख कर शुरू हो रही है समाचार लेकिन यह है सब अच्छा है कहीं किसी बात की कमी नहीं है भ्रम फैलाने वाले जेल भेजे …

जंगल क्षेत्र

यह जंगल क्षेत्र है खूंखार जानवरों से इलाका अटा पड़ा है सम्हल कर रहना है संसद का दरवाजा अंदर ठीक तरह से बंद कर लेना है जानवर जो अंदर घुस आये है सदरे रियासत के साथ कुछ चौधरी कुछ चौहान बन बैठे हैं वन विभाग को सतर्क कर देना चाहिए रिस्क क्यों लेना समय रहते कार्रवाई जरूरी है ये मलेरिया …

कोरोना है तो है

कोरोना है तो है आप पहले चुनाव प्रचार कर लिजिए कोरोना है तो है कुर्सी किसी हाल हासिल होनी है जान जाये या बचे या जिंदगी जिंदगी की भीख मांगे या लाशों का श्मशानों में अंबार लगे मौत का क्या जो जन्मा है मरेंगा आज या कल मौत का आंकड़ा कम हो या नहीं सीटों का आंकड़ा कम नहीं होना …

अगर तुम युवा हो … !

जब तुम्हें होना है… हमारे इस ऊर्जस्वी, सम्भावनासम्पन्न, लेकिन अंधेरे, अभागे देश में, एक योद्धा शिल्पी की तरह..! और रोशनी की एक चटाई बुननी है..! और आग और पानी और फ़ूलों और पुरातन पत्थरों से बच्चों का सपनाघर बनाना है..! तुम सुस्ता रहे हो… एक बूढ़े बरगद के नीचे..! अपने सपनों के लिए, एक गहरी कब्र खोदने के बाद..! तुम्हारे …

जब हम कहते हैं घर में ही रहें

जब हम कहते हैं घर में ही रहें तो मान कर चलते हैं कि इस दुनिया में सबके पास और कुछ हो न हो घर ज़रूर होगा ही उनके पास भी जो घर पालने की फ़िक्र में घर छोड़कर घर से बहुत दूर हैं जो बंजारें हैं भिखमंगें हैं जो रोज़ दूसरे का कुआं खोदकर अंजुरी भर पानी पाते हैं …

तुम मेरे दुश्मन नहीं हो

मुझे मालूम है तुम मेरे दुश्मन नहीं हो मेरी तरह फटेहाल हुक्म के गुलाम हो मैं अपने लिए लड़ता हूं तुम उनके लिए तुम्हारी गोली से मैं मरूं या मेरी लैंड माइंस से तुम उन्हें फर्क नहीं पड़ता उनके बच्चों की पढाई नहीं रुकती कारोबार बदस्तूर चलता रहता है लाभकारी मूल्य मिलता रहता है मेरी लाश के साथ वे अपनी …

तुम अकेली मादा नहीं हो

तुम इस बाग की खूबसूरत फूल हो जिस पर तितलियां और भौंरे अक्सर मंडराते रहते हैं इनकी शराफत काबिले तारीफ होती है लेकिन सब ऐसे नहीं होते कुछ राह चलते जानवर इसे कुचलने की जुर्रत भी करते हैं धरती के किसी कालखंड से लेकर शराफत की उच्चतम ऊंचाई का पैमाना जब तब बदलता रहा है यह कभी भरोसे का नहीं …

किताब का डर

किताब जो पढ़ी जानी थी पढ़ी नहीं गई किताब पढ़ते उसे फांसी मिली किताब का वह पन्ना अब तक मुड़ा है पढ़े जाने के इंतजार में जुर्म कुछ ऐसा नहीं था जिसकी सजा फांसी थी खतरनाक वह जुर्म नहीं खतरनाक वह किताब थी किताब का डर गया नहीं बरकरार है फांसी की सजा अब तक बहाल है सत्ता अदालत वही …

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