'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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कविताएं

जीवन – मृत्यु

हरेक रोज़ हज़ारों मरेंगे हज़ारों चितायें जलेंगी हज़ारों बेघरों को आश्रय देगी श्मशान भूमि जलती हुई चिताओं के पास लेट कर कफ़न ओढ़ कर खुले आसमान से बरसते ठंढ के क़हर से बचने के लिए स्वर्णिम मौक़ा मिलेगा ज़िंदगी हर हाल में मौत से ज़्यादा क़ीमती है ये अलग बात है कि जीवन और मृत्यु का रेल की दो पटरियों …

कॉमरेड जीसस को लाल सलाम !

जीसस ने बचपन से बहुत आकर्षित किया चरवाहे के घर पैदा हुआ भेड़ें चराता रहा एक निर्दोष जीवन जिया महिला को सजा देने के लिए पत्थर मारने वाली भीड़ से कहा – पहला पत्थर वो मारे जिसने पाप ना किया हो कितने साहस की बात ? जीसस का जन्म का धर्म यहूदी था तब तक कहा जाता था कि दांत …

आमरण अनशन

अन्न पाणी त्याग थोड़ा-थोड़ा मरने से हुक्मरान की संवेदनाएं लौट आएंगी मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है मैं हवा में बातें नहीं कर रहा मैं देख रहा हूं बस्तर के जंगलों में छोटे छोटे बच्चों के हाथों की ऊंगलियां कटते हुए उनके गले और सिर में गोलियां लगते हुए धान काटने गये किसानों को फर्जी मुठभेड़ में मरते हुए छोटी-छोटी बच्चियों …

भेड़िये

  वे भेड़िये हैं भोले भाले भालू नहीं हैं कि मेरे शांत, स्पंदनहीन, सर्द शरीर को देख कर आगे बढ़ जाएं वे मुर्दों को भी खाते हैं मैं तो फिर भी ज़िंदा हूं इसलिए, वे मेरी सर्द त्वचा में अपने दांतों को गड़ा कर ढूंढ लेंगे उसके नीचे बहते हुए मेरे गर्म लहू को और मेरा निष्क्रिय निरपेक्ष होना कोई …

कवि रघुवीर सहाय के जन्मदिन पर – ‘विचित्र सभा’

एक सभा हुई उसमें आंदोलन के नेता बुलाये गये पहले वे आ नहीं रहे थे फिर आ गये क्योंकि मैं भी सभा के पक्ष में था सभा अन्त होने लगी तब बाजा बज उठा, उसके बन्द होते ही मंच पर अंधेरा हुआ और मंच पर बैठे लोगों के पीछे आकृतियां खड़ी हो गयीं रोशनी पीछे थी आकृतियां काली थीं उन्होंने …

अगर मैं कभी गायब हो जाऊं अचानक से…

अगर मैं कभी गायब हो जाऊं अचानक से, कभी निकल जाऊं घर छोड़ के बिना बताए, तो मेरे भाई मुझे मत ढूंढना, मुझे मत ढूंढना, सरकारी कर्मचारी या किसी अधिकारी के लिबासों में मुझे वहां भी मत ढूंढना, जहां रहते हों इंसान को इंसान न समझने वाले मुट्ठी भर अमीर घराने के लोग ! मेरे भाई मुझे वहां मत ढूंढना… …

मरम्मत से काम बनता नहीं

आपके साथ जो हुआ वह निश्चित ही अन्याय है पर, आपके बेटे की क्या गलती जो बेशक बहुत अव्वल नहीं लेकिन जिसके लिए किसी विद्यालय में पढ़ने का अवसर नहीं आपके भाई का गुस्सा एक दम वाजिब है वर्षों से जमी जिसकी दुकान को म्यूनिस्पैलिटी के ड्रोजरों ने सड़क चौड़ाकरण अभियान में पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया आपकी बहन …

बहुत सारे फिलिस्तीन हैं और इस्राईल भी…

बहुत सारे फिलिस्तीन हैं और इस्राईल भी बहुत हैं असल में हम सब के भीतर इस्राईल भी है और फिलिस्तीन भी दुनिया में कितनी ही बार मार डाले गए कमज़ोर जैसे फिलिस्तीन में मारे जा रहे हैं अभी अभी भारत में भी एक फिलिस्तीन है जहां बच्चों के हाथ काटते हैं हमारे सिपाही जहां के खनिज लूट कर झोंके जाते …

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए जैसे उकसाते हुए ब्राम्हणवाद को मनवाते हुए तुलसी सत्ता को मनवाते हुए बाबा बैरागी सत्ता से कोई शिकायत नहीं उनका काम वही यह लेखक जब ऐसा करते हैं तो सत्य को तो पराजित रहना ही है कोई नई आशा दिशा नहीं बेशर्म …

प्रहसन

प्रहसन देख कर लौटते हुए सभी खुश थे किसी ने राजा में विदूषक देखा था किसी ने विदूषक में हत्यारा किसी ने हत्यारे में मसीहा किसी ने मसीहा में जड़ बुद्धि आलोचक किसी ने आलोचक में रचयिता प्रहसन देख कर लौटते हुए लोगों में मैं भी शामिल था मुझे, लौटते हुए लोगों में थकान दिखी और ऊब एक पखवाड़े के …

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