'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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कविताएं

चरवाहा

चरवाहा देश के बारे में नहीं जानता प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के बारे में नहीं जानता पर चरवाहा जंगल के बारे में जानता है पेड़ों के बारे में जानता है यहां बहने वाली नदियों के बारे में जानता है अपनी बकरियों, गायों और भैंसों के बारे में जानता है यहां रहने वाले लोगों के बारे में जानता है उसके लिए इन …

क्रांति का रास्ता खेतों से हो कर ही जाता है !

किसानों को देख कर लगता है कि क्रांति होगी चाहे वो किसान बस्तर का हो या पंजाब का इनकी बात ही कुछ और है जब ये सत्ता से टकराते है तो चिंगारी निकलने लगती है जो काफी है जंगल में आग लगा देने के लिए इस चिंगारी को दावानल बनाना ही मेरा काम है मुझे कविता के लिए शब्द इस …

प्रह्लाद

प्रह्लाद तुम्हारा नहीं उसका है बेटा तुम्हारा तुम्हारे नाम भर का है वह न तुम्हारा न तुम्हारे हित का रहा पूरी तरह अब वह उसके हित साधनमें है पूरी तरह उसके छलावे में है अफ़ीम की उसने कुछ ऐसी मस्करी गोली खिलायी है कि वह भूल गया है बाप बेटे के बीच का रिश्ता तुम्हारा दुश्मन अब उसका ख़ास अपना …

लौट आओ…

मैं जिस बसंती का हाथ थामे एक रंग बिरंगे जंगल में समाना चाहता हूं वहां तुम्हारी चाहतों का एक चिपचिपा सा लेप मौसम की पहली मंजरी सा आम के डंठल पर टिकने को बेक़रार है आम के गाल पर टपके हुए आंसू प्रेम के अतिरेक से उपजे हुए स्वेद हैं यह और बात है कि किसान की भूख और आम …

दंगाई

एक नंबर के दंगाई ने दो नंबर के दंगाई को बचाया फिर दो नंबर के दंगाई ने एक नंबर के दंगाई को सम्मानित किया फिर दोनों ने एक-दूसरे को देख कर मुस्कुराया और इस तरह हिन्दू राष्ट्र बनाने का जश्न मनाया फिर तीन नंबर के दंगाई ने दोनों के लिए ताली बजाया दोनों का गुड़गान किया और बदले में ढेर …

सैनिक

लाल तंबू के नीचे जब होश आया तो मैंने अपने आजू बाज़ू दोनों बिस्तर में पड़ी दो लाशों को देखा दोनों मेरे सहोदर भाई थे हम तीनों सहोदर भाई अपने अपने राजा के लिए लड़ते थे राजा ने हमें समझाया था कि उनके हरम को गर्म रखने के लिए बीच बीच में सैनिकों के गर्म खून की ज़रूरत पड़ती है …

आख़िरी प्रेम गीत

मेरी पुरानी डायरी के आख़िरी पन्ने पर दर्ज़ आख़िरी गीत तुम्हें ऑनलाइन नहीं भेजना चाहता था इसलिए उसे फाड़ कर अपनी पुरानी कोट की जेब में डाल दिया और निकल पड़ा उस तरफ़ जहाँ कभी तुम्हारा घर हुआ करता था वैसे तो मेरे पास कभी भी तुम्हारे घर का पता नहीं था लेकिन मैं उन रास्तों पर निकल पड़ा जिन …

उससे किसी ने प्यार नहीं किया…

उससे किसी लड़की ने प्यार नहीं किया ये और बात है कि उसने कई लड़कियों से प्यार किया उन्हें प्रपोज किया फिर भी अकेला ही रह गया जबकि उसके दोस्त प्रेम की दुनिया में व्यस्त रहे कभी मैना तो कभी तोता के साथ आकाश में उडते रहे जब भी वो उन्हें देखता तो अपनी किस्मत पर रोता और इस भरी …

आज़ाद

जो इंसान इंसान के लिए खड़ा नही होगा वो कभी देश के लिए खड़ा नही होगा क्योंकि देश के लिए खड़ा होने का मतलब है करोड़ो इंसानों के लिए खड़ा होना और इसकी शुरूआत एक इंसान के साथ खड़ा होने के साथ ही शुरू होती है जो व्यक्ति अपने घर में अन्याय के खिलाफ़ खड़ा नहीं होगा अपने गांव में …

मेरे लोगों

मेरे लोगो अपने भीतर झांको अपनी ताकत पहचानों तुम तब भी थे जब राजा नहीं था तुम तब भी रहोगे जब राजा नहीं रहेगा तुम्हारा होना या न होना तुम पर निर्भर करता है तुम्हारा हार और जीत भी तुम से ही तय होता है इसलिए पहले तुम खुद को पहचानों खुद को जानो तुम्हारे अंदर जो आग है उसे …

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