'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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कविताएं

प्रहसन

प्रहसन देख कर लौटते हुए सभी खुश थे किसी ने राजा में विदूषक देखा था किसी ने विदूषक में हत्यारा किसी ने हत्यारे में मसीहा किसी ने मसीहा में जड़ बुद्धि आलोचक किसी ने आलोचक में रचयिता प्रहसन देख कर लौटते हुए लोगों में मैं भी शामिल था मुझे, लौटते हुए लोगों में थकान दिखी और ऊब एक पखवाड़े के …

पार्वती योनि

ऐसा क्या किया था शिव तुमने ? रची थी कौन-सी लीला ? ? ? जो इतना विख्यात हो गया तुम्हारा लिंग माताएं बेटों के यश, धन व पुत्रादि के लिए पतिव्रताएं पति की लंबी उम्र के लिए अच्छे घर-वर के लिए कुवांरियां पूजती है तुम्हारे लिंग को, दूध-दही-गुड़-फल-मेवा वगैरह अर्पित होता है तुम्हारे लिंग पर रोली, चंदन, महावर से आड़ी-तिरछी …

विष्णु नागर की दो कविताएं

1. अफवाह यह अफवाह है कि नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं अमित शाह गृहमंत्री आरएसएस हिंदूवादी संगठन है पुलिस को मिली पुख्ता जानकारी के अनुसार ये अफवाहें जवाहरलाल नेहरू अपने गुप्त ठिकाने से फैला रहे हैं यह अफवाह भी उन्हीं की फैलाई हुई है कि भारत एक देश है धर्मनिरपेक्षता एक मूल्य अफवाहों से सावधान पुलिस की आंख, नाक, …

मी लॉर्ड

चौपाया बनने के दिन हैं पूंछ उठा कर मादा गिनने के दिन गए अच्छा है कि मादा के अपमान से बाहर निकल कर अपने पशु बन जाने की प्रक्रिया पर रश्क करो अब तो तुम्हारे चेहरे पर थूकने का भी जी नहीं चाहता है मी लॉर्ड भला जानवरों पर भी कोई थूकता है क्या डार्विन को पाठ्यक्रम से हटाने के …

मां डरती है…

मां बेटी को फोन करने से डरती है न जाने क्या मुंह से निकल जाए और ‘खुफ़िया एजेंसी’ सुन ले बाप बेटी को समझाता है चिंता तो लगी रहेगी लेकिन ज्यादा फोन मत करना न जाने क्या मुंह से निकल जाए और खुफ़िया एजेंसी… कॉल बेल की घंटी अब उत्साह पैदा नहीं करती कि कोई हाल खबर लेने आया है …

युद्ध में…

युद्ध में सिर्फ़ हथियार के व्यापारी ही खुश नहीं होते कफ़न के व्यापारी देशों के राजा और अनेक भी खुश होते हैं फिर भी मैं उस युद्ध के खिलाफ हो कर लिजलिजी कविताएं नहीं लिख सकता हूं जो युद्ध आदमी की अस्मिता को बचाने के लिए लड़ी जाती है अपने अंदर या बाहर हरेक युद्ध खुले मैदान में या पहाड़ों …

सुनो स्त्रियों…

सुनो स्त्रियों… पुरुषों से डरना या फिर उन्हें नकारना बंद करो उनका अपमान करना, हर पुरुष को वहशी करार देना, बंद करो उन्हें तुमसे…. प्रेम चाहिये … ढेर सारा प्रेम … ठीक वैसे ही…. जैसे तुम्हें चाहिये. तुम्हारी ख़ुद को बेचारी, कमज़ोर या फिर सर्वगुण संपन्न मानकर और सबसे मनवाकर आकर्षण का केंद्र बनने की लालसा उन्हें निचोड़ रही है… …

जुर्म

– जी. एन. साईबाबा किस जुर्म में जेल में रहे ? – वे अंग्रेजी के विद्वान थे. – मैं उनकी जीवनी नहीं पूछ रहा, जुर्म पूछ रहा हूं. – मैं वही बता रहा हूं वे अंग्रेजी के प्रोफेसर थे. – तो ? ये जुर्म कैसे हुआ ? – सामने वाला अनपढ़ था, सिंपल. शक्ति प्रकाश [ प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. …

देखिये इस जिद्दी शख्स को…

हर खासो आम जाने व्हील चेयर पर जीवन बसर करने वाला यह शिक्षक 54 इंच छाती वाली सत्ता के लिए खतरा बन गया था ! इसलिए उसे तिल तिल कर मार दिया गया स्टेन स्वामी की तरह (वंचितों के लिए बोलने वाला हर शख्स सत्ता के खतरा क्यों बन जाता है !) फर्क बस इतना कि स्टेन जेल में मरे …

सबसे ख़तरनाक हथियार…

युद्ध के डर से मैं ताउम्र उससे दूरी बनाए रखा और इस दूरी बनाए रखने के युद्ध में असमय मारा गया टेलिविज़न स्क्रीन पर अग्निगर्भा जहाज़ों को आग थूकते हुए देख कर रोमांचित होता रहा और अपनी मृत मां के शरीर से लिपटे हुए बच्चे के क्रंदन पर आंसू भी बहाता रहा ठीक जिस समय पर तुम मेरी बेहिसी और …

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